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Last Modified: लखनऊ , शनिवार, 9 नवंबर 2024 (01:17 IST)

UP महिला आयोग ने रखा प्रस्‍ताव- सिर्फ महिलाएं ही लें औरतों के कपड़ों के नाप, जिम और योग केंद्रों में हों महिला प्रशिक्षक

UP महिला आयोग ने रखा प्रस्‍ताव- सिर्फ महिलाएं ही लें औरतों के कपड़ों के नाप, जिम और योग केंद्रों में हों महिला प्रशिक्षक - To protect women from bad touch in UP Women's Commission made this proposal
Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिलाओं को ‘बैड टच’ (बुरे इरादे से छूना) से बचाने के लिए सिलाई के वास्ते महिलाओं के कपड़ों के नाप लेने का काम सिर्फ महिला दर्जी से ही कराने और औरतों के तमाम जिम तथा योग केंद्रों में महिला प्रशिक्षकों की तैनाती अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है। इन प्रस्तावों का कुछ लोग समर्थन तो कुछ विरोध कर रहे हैं।
 
यहां 28 अक्टूबर को हुई आयोग की एक बैठक में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण से जुड़े कई निर्णय लिए गए। उन्हीं निर्णयों में उपरोक्त प्रस्ताव भी शामिल हैं। आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने शुक्रवार को बताया कि बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि दर्जी की दुकान पर एक औरत ही महिला के कपड़ों के लिए नाप ले और जिस जगह नाप लिया जा रहा हो वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
 
उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने रखा था जिसका बैठक में मौजूद सदस्यों ने समर्थन किया। महिला आयोग इस बात से वाकिफ है कि पूरे राज्य में इस आदेश को लागू करने में कुछ वक्त लगेगा। हालांकि उसका कहना है कि इससे अधिक संख्या में महिलाओं को ‘रोजगार’ मिलेगा।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने कहा, जिम और महिलाओं के बुटीक में पुरुष द्वारा ‘बैड टच’ की शिकायतें बढ़ रही हैं। दर्जी की दुकानों पर महिलाओं के कपड़ों का नाप लेने के लिए ज्यादातर पुरुष ही होते हैं। हमारा कहना है कि पुरुष दर्जी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन नाप सिर्फ महिलाओं को ही लेना चाहिए।
 
चौहान ने कहा, हमें पता है कि इन सभी जगहों पर प्रशिक्षित महिलाओं को काम पर रखना होगा और इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन फिर भी इस कदम से महिलाओं को ‘बैड टच’ से बचाने के अलावा अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा।
 
महिलाओं के मुद्दो पर काम करने वाली लखनऊ की नीति ने कहा, पुरुषों को संवेदनशील बनाने और उन्हें अलग-थलग करने में अंतर है। महिला आयोग के प्रस्ताव में कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि हर चीज का हमेशा दूसरा पक्ष भी होता है।
उन्होंने कहा, मुद्दा यह है कि अगर आप इसे बहुत आगे ले जाते हैं, तो कोई यह भी तर्क दे सकता है कि आप छात्राओं को प्रजनन प्रणाली सिखाने के लिए महिला शिक्षकों की मांग कर सकते हैं। फिर कई पुरुष स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जो बहुत अच्छे हैं, तो हम उनके साथ क्या कर सकते हैं? इसलिए जब तक आप महिलाओं पर निर्णय नहीं थोपते हैं और यह उन पर छोड़ देते हैं कि वे किसकी सेवा लेना पसंद करती हैं या किससे अधिक सहज हैं, तब तक सब ठीक है।
 
जब महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान से उनके प्रस्ताव पर मिली प्रतिक्रियाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उनके प्रस्ताव का उद्देश्य किसी को लैंगिक आधार पर किसी की सेवाएं लेने के लिए मजबूर करना नहीं है। चौहान ने कहा, मैं महिलाओं से यह नहीं कह रही हूं कि आप जिम या बुटीक में केवल महिलाओं से ही सेवाएं लें।

चौहान ने कहा, मैं कह रही हूं कि मैं विकल्प प्रदान करने के पक्ष में हूं और यह महिलाओं पर छोड़ती हूं कि वे पुरुषों के साथ अधिक सहज हैं या महिलाओं के साथ। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि जो महिलाएं ‘बैड टच’ की शिकायत करती हैं और उनके पास विकल्प होना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके प्रस्तावों को पूरे राज्य में कहीं भी लागू किया गया है, चौहान ने कहा, हम यह पता लगाने की प्रक्रिया में हैं कि क्या हमारे प्रस्ताव सभी जिलाधिकारी तक पहुंचे हैं। हमने अपने प्रस्ताव मुख्य सचिव को भी भेजे हैं और सरकार ही है जो प्रस्तावों को लागू करेगी।
 
यह पूछे जाने पर कि महिला आयोग ने ऐसा प्रस्ताव क्यों रखा, महिला आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने कहा, हमारा मानना है कि इस तरह के पेशे में पुरुष भी शामिल हैं और नाप लेने के दौरान महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती है। वे (पुरुष) गलत तरीके से छूने की कोशिश करते हैं। कुछ पुरुषों की मंशा भी अच्छी नहीं होती। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी पुरुषों की मंशा खराब होती है। इसलिए महिलाओं को ही महिलाओं का नाप लेना चाहिए।
 
उन्होंने कहा, अभी यह प्रस्ताव है और हमने कहा है कि ऐसा होना चाहिए। इसके बाद हम राज्य सरकार से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करेंगे। हिमानी ने यह भी कहा कि बैठक में 25 सदस्यों में से लगभग सभी मौजूद थे। उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रूप से मैं इस प्रस्ताव के पक्ष में हूं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह का प्रस्ताव संकीर्ण सोच को नहीं दर्शाता है, महिला आयोग की सदस्य ने कहा, ऐसा नहीं है। बैठक में आए एक अन्य प्रस्ताव का हवाला देते हुए हिमानी ने कहा, हमने यह भी कहा है कि सैलून में महिला ग्राहकों की देखभाल महिला कर्मचारी को ही करनी चाहिए।
 
इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया है कि महिला जिम और योग केंद्रों में महिला प्रशिक्षक होनी चाहिए और उनका सत्यापन भी कराया जाए। सूत्रों ने बताया कि साथ ही केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य किए जाए जो चालू हालत में हों।
 
सूत्रों के मुताबिक बैठक में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया है कि स्कूल बसों में महिला सुरक्षाकर्मी या शिक्षिका का होना अनिवार्य किया जाए। साथ ही नाट्य कला केंद्रों में महिला नृत्य शिक्षिका की तैनाती की जाए और वहां भी सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगे हों।
सूत्रों के अनुसार बैठक में कोचिंग सेंटरों पर सीसीटीवी कैमरे तथा शौचालय की व्यवस्था और महिलाओं से संबंधित वस्त्रों की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य किए जाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। उसके मुताबिक बैठक में सभी जिलाधिकारियों को अर्द्धशासकीय पत्र भेजते हुए आयोग द्वारा लिए गए निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग के इस निर्णय पर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है।
 
जौनपुर की मछलीशहर सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक रागिनी सोनकर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह न्यायसंगत निर्णय है क्योंकि यह हर किसी की व्यक्तिगत पसंद है कि वह पुरुषकर्मी से अपना कार्य करवाना चाहता है या महिलाकर्मी से।
 
सोनकर ने कहा, दर्जी की दुकानों और महिलाओं के कपड़ों की दुकानों में महिलाओं की मौजूदगी अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन आखिर इससे व्यक्तिगत पसंदगी की अवहेलना हो रही है।
 
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कार्यवाहक कुलपति एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने कहा, इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण विचार नहीं हो सकता, क्योंकि जो आवश्यक है वह यह है कि लोगों के मन में यह मनोविज्ञान पैदा किया जाए कि हम अलग-अलग इंसान नहीं हैं।
एडवा (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन) की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव मधु गर्ग ने कहा, यह सही सोच नहीं है और यह उन लोगों द्वारा किया जा रहा है, जिनकी सोच संकीर्ण है। ऐसा करने से सैकड़ों लोगों का रोजगार जाने का खतरा है।
 
उन्होंने कहा, आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाएं खुद ही दर्जी को अपना नाप देती हैं। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। अगर (उत्तर प्रदेश) महिला आयोग कुछ करना चाहता है, तो महिलाओं के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटनाओं को रोके। वे इस बारे में कुछ नहीं कर पा रहे हैं और छोटी-छोटी बातों पर इस तरह की बातें कर रहे हैं।
 
हालांकि मुजफ्फरनगर जिले में ‘मिशन शक्ति’ की जिला समन्वयक वीणा शर्मा और शामली की सामाजिक कार्यकर्ता मोहसिना चौधरी ने महिला आयोग के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह सही है कि कपड़े सिलवाने के लिए नाप देते वक्त पुरुष दर्जियों द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ किए जाने की अनेक शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में आयोग के प्रस्ताव पर आधारित कानून बनाया जाना चाहिए।
 
मुजफ्फरनगर की ही किरन सेवा समाज उत्थान समिति की अध्यक्ष रविता धागने ने भी कहा कि महिला आयोग के प्रस्ताव पर कानून बनाया जाना चाहिए। लखनऊ के प्राग नारायण मार्ग पर बुटीक संचालित करने वाली सुप्रिया कोहली ने भी महिला आयोग के प्रस्ताव का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है कि नाप कौन ले रहा है लेकिन अगर महिला ग्राहक कहती है तो हमारे पास उसका नाप लेने के लिए महिलाकर्मी होनी चाहिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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