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  4. After Ram temple, now the movement will start for Kashi-Mathura also :: Praveen Togadia
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 10 अगस्त 2021 (14:49 IST)

अयोध्या की तरह काशी-मथुरा के लिए शुरू होगा आंदोलन,‘वेबदुनिया’ से बोले प्रवीण तोगड़िया,RSS से अलग होने का राज भी खोला

अयोध्या की तरह काशी-मथुरा के लिए शुरू होगा आंदोलन,‘वेबदुनिया’ से बोले प्रवीण तोगड़िया,RSS से अलग होने का राज भी खोला - After Ram temple, now the movement will start for Kashi-Mathura also :: Praveen Togadia
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है,हिंदुत्व का राग भी उतना ही तेज होता जा रहा है। अयोध्या में राममंदिर बनने के बाद अब हिंदूवादी संगठन काशी और मथुरा को लेकर आंदोलन शुरु करने की जोर-शोर से तैयारी कर रहे है। अयोध्या में राममंदिर आंदोलन के बड़े चेहेरों में से एक विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया कहते हैं कि अयोध्या के बाद अब काशी-मथुरा हमारे एजेंडे में सबसे प्रमुख है।

‘वेबदुनिया’ से एक्सक्लूसिव बातचीत में हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता प्रवीण तोगड़िया कहते हैं कि काशी-मथुरा हमारे एजेंडे में सबसे उपर है और योग्य समय पर इसके लिए आंदोलन शुरू करेंगे। वह कहते हैं कि हमने डंके की चोट पर राममंदिर बना दिया और काशी-मथुरा को भी पूरा कर भगवान के आशीर्वाद से अखंड भारत को बना देंगे। 
‘वेबदुनिया’ से एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रवीण तोगड़िया राममंदिर समेत काशी-मथुरा को लेकर आरएसएस और भाजपा पर काफी हमलावर नजर आते है। वह कहते है कि दिल्ली में राममंदिर को लेकर हुई धर्म संसद में पारित प्रस्ताव में अयोध्या के साथ काशी और मथुरा में मंदिरों की पुनः प्रतिष्ठा की बात कही गई थी।

राममंदिर तो बन गया लेकिन काशी-मथुरा का कुछ नहीं हुआ और जो लोग आंदोलन से जुड़े थे उन्होंने साफ कह दिया है कि काशी-मथुरा हमारे एजेंडे में ही नहीं है। इससे ऐसा लगता है कि राममंदिर आंदोलन से जो लोग जुड़े थे उनमें से कुछ लोगों को लक्ष्य सत्ता प्राप्त करना था और वह सत्ता प्राप्ति के बाद अब रुक गए है और इन लोगों ने काशी और मथुरा को छोड़ दिया है।

प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर पर भाजपा की श्रेय लेने की राजनीति पर कहते हैं कि अगर कोर्ट के निर्णय से ही मंदिर बनाना था तो 1982 से शुरु हुए जनआंदोलन में संघर्ष लाठी,गोली और बलिदान और 1989-90 की कारसेवा में लोगों को मरवाने की क्या जरुरत थी? राम मंदिर के बारे में शुरु से कांग्रेस के स्टैंड और हिंदुत्ववादी संगठनों के स्टैंड में अंतर था। कांग्रेस कहती थी कि न्यायालय निर्णय करें और आरएसएस, वीएचपी और भाजपा का स्टैंड था कि न्यायालय श्रद्धा का निर्णय नहीं कर सकता है, इसीलिए मंदिर तो संसद के कानून बनाकर उसकी तरह हो जैसा सोमनाथ मंदिर के बारे में सरदार पटेल ने किया था और इसलिए आडवाणी जी ने सोमनाथ से रथ यात्रा भी निकाली।  
 
बातचीत में प्रवीण तोगड़िया आगे कहते हैं कि 2014 में सत्ता आ गई और संसद में कानून बनाने का वादा का RSS और भाजपा ने पालन नहीं किया और इसको लेकर मैंने आरएसएस पर दबाव बनाया। 2017 में भोपाल में आरएसएस सुप्रीमो ने हमको बुलाकर कहा कि राममंदिर की बात छोड़ दो और संसद में कानून बनाने की बात छोड़ दो। मैंने उनको छोड़ दिया लेकिन राम को नहीं छोड़ा। आज राममंदिर न्यायालय के निर्णय से बन रहा है लेकिन जिन्होंने वचन दिया,लोगों को लाठी गोलियां खाने के लिए प्रेरित किया उनको इतिहास हमेशा याद रखेगा। 
 
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