भारत में Coronavirus का डेथ 'मार्च', 5 हजार 830 की मौत
कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते देश में हालात बुरी तरह बिगड़ रहे हैं। एक तरफ जहां संक्रमितों आंकड़ों का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ रहा है। वहीं, मौत का आंकड़ा भी चिंता बढ़ा रहा है। मार्च 2021 में 5 हजार 830 लोगों की मौत हो चुकी है। यदि मार्च 2020 के आंकड़ों से तुलना करें तो यह करीब 150 गुना ज्यादा है। अकेले इंदौर में मार्च के महीने में 10 हजार 585 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है।
यदि हम सिर्फ मार्च महीने की बात करें तो 1 तारीख को मौत का आंकड़ा 91 था, जबकि 31 मार्च आते-आते यह ग्राफ चढ़कर 459 तक पहुंच गया। पूरे महीने मौत के आंकड़ों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई, कुछेक दिन ही ऐसे रहे जब मौत का आंकड़ा पिछले दिन से कम रहा। 27 मार्च को 312 लोगों की मौत हुई थी, जबकि अगले दो दिन यह आंकड़ा 291 और 271 रहा। अगले ही यानी 30 मार्च को मौत का आंकड़ा बढ़कर 354 हो गया। संक्रमितों की बात करें तो 31 मार्च को यह आंकड़ा 72 हजार 330 रहा। इनमें से अकेले महाराष्ट्र में 39 हजार 544 संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
कोरोना का बदलता स्वरूप चिंताजनक : चोइथराम के ICU एवं क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष और चीफ कंसल्टेंट इन्टेंसिविस्ट डॉ. आनंद सांघी ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आईसीएमआर ने भी भारत में यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के कोरोना वैरिएंट की बात कही है। ऐसे में कोरोना का जो म्यूटेशन हो रहा है वह और मुश्किल बढ़ा रहा है। क्योंकि फिलहाल कोरोना का कोई फिक्स ट्रीटमेंट नहीं है। कई बार ज्यादा गंभीर मामलों में स्टेरॉयड और रेमडीसिविर भी काम नहीं करते।
हालात ज्यादा गंभीर : दरअसल, पिछले साल की तुलना में इस बार स्थिति ज्यादा गंभीर है। मार्च महीने की ही बात करें तो 31 मार्च 2021 को मौत का आंकड़ा मात्र 3 था और साप्ताहिक मौत का औसत 4 था। इस मान से इस बार स्थितियां ज्यादा गंभीर हैं। पिछले साल सर्वाधिक मौत का आंकड़ा 17 सितंबर को 1174 था। इसके बाद ही कोरोना का ग्राफ लगातार नीचे आया था। 31 दिसंबर, 2020 का दिन ऐसा भी था जब मौत का एक भी केस नहीं आया था। हालांकि उस सप्ताह मौत का औसत 235 रहा था।
जानकारों की मानें तो कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के पीछे लोगों की लापरवाही ज्यादा सामने आ रही है। वे न तो सोशल डिस्टेंसिंग को मान रहे हैं न ही मास्क को लेकर गंभीर हैं। चुनावी सभाओं में धड़ल्ले से भीड़ जुट रही है। अर्थात जिम्मेदार लोग भी इस चीज को अनदेखा कर रहे हैं।
डॉ. सांघी कहते हैं कि इस बार 40 से 60 साल तक लोगों में संक्रमण की गंभीरता ज्यादा देखने को मिल रही है। हम यह भले ही नहीं कहें कि लोग केयरलेस हुए हैं, लेकिन वे लक्षणों को अनदेखा जरूर कर रहे हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार को सामान्य बीमारी मानकर अनदेखा कर रहे हैं। 10 में से एक-दो मामले ऐसे होते हैं, जो देरी से अस्पताल पहुंचते हैं। डॉ. सांघी का कहना है कि इस तरह के लक्षणों को अनदेखा न करें, तत्काल डॉक्टर की सलाह लें और जांच कराएं। साथ ही डायरिया भी कोरोना का लक्षण हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 24 घंटों के आंकड़ों को मिलाकर देश में अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढ़कर 1 करोड़ 22 लाख 21 हजार 665 हो गई है, 459 और मरीजों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1 लाख 62 हजार 927 हो गई है। हालांकि 1 करोड़ 14 लाख 74 हजार 683 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और अभी 5 लाख 84 हजार 55 लोगों का इलाज चल रहा है।