केन्द्र सरकार ने शनिवार को नई अफीम नीति घोषित कर दी है। अफीम नीति का जो खाका सामने आया है वो पूरी तरह आगामी चुनावों के मद्देनजर अफीम किसानों को लुभाने वाला है। नई नीति में केन्द्र की भाजपा सरकार ने अफीम किसानों को जमकर खुश करने की कोशिश की है, क्योंकि देश में सबसे बड़े अफीम उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश और राजस्थान में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अफीम नीति को देखकर यह साफ लगता है कि सरकार ने अफीम किसानों के वोटों को देखते हुए अफीम नीति की घोषणा की है। इस नई अफीम नीति में ऐसे हजारों किसानों को पट्टे मिल जाएंगे, जिनके अफीम के पट्टे पूर्व में विभिन्न कारणों से सरकार ने काट दिए थे।
भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन 28 सितंबर 2018 के अनुसार मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के उन अफीम किसानों को 2018-19 में अफीम के पट्टे की पात्रता होगी, जिन्होंने बीते फसल वर्ष में अपनी अफीम में 4.9 प्रति हेक्टेयर की दर से मार्फिन प्रतिशत दिया हो अथवा उनका औसत 52 किलो प्रति हेक्टेयर रहा हो।
रियायत से होगा किसानों को फायदा : इसमें सबसे खास बात यह है कि सरकार ने पिछले साल पट्टा देने के लिए मार्फिन प्रतिशत 5.9 प्रति हेक्टेयर तय किया था, लेकिन इसमें एक प्रतिशत प्रति हेक्टेयर की कमी कर दी गई है। इससे हजारों किसान पट्टे के पात्र हो जाएंगे। वहीं इस नई अफीम नीति में सरकार ने उन किसानों की बल्ले-बल्ले कर दी, जिनके वर्ष 1998-1999 से 2002-2003 तक के बीच कम औसत के कारण अफीम के लायसेंस रद्द किए गए।
ऐसे किसानों को सरकार नई अफीम नीति में एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर औसत कम करके उन्हें सरकार पुनः पट्टे जारी करेगी, वहीं सरकार के इस गजट नोटिफिकेशन में उन अफीम किसानों को वर्ष 2002-03 से लगाकर 2016-17 तक के पट्टे मिलेंगे जिनके पट्टे कम औसत के कारण काट दिए गए थे, परंतु सरकार ऐसे किसानों के पट्टे कटे वर्ष से पिछले पांच साल का औसत 100 प्रतिशत पाए जाने पर उन्हे पुनः पट्टे जारी कर देगी।
नई अफीम नीति में सरकार ने यह भी प्रवाधान किया है कि जिन अफीम किसानों की अफीम वर्ष 1999 से लेकर 2017 के बीच अफीम क्षारोद कारखाने नीमच और गाजीपुर में घटिया पाई गई थी, लेकिन उनका मार्फिन प्रतिशत 9 से अधिक था उनको भी पट्टे का पात्र माना जाएगा।
इनकी भी बल्ले-बल्ले : वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में उन किसानेां को भी पट्टे का पात्र माना गया है, जिन पर वर्ष 1999 से 2018 के बीच एनडीपीएस एक्ट 1985 के प्रावधानों के तहत मुकदमा चला हो, लेकिन उस मुकदमे में वे दोषमुक्त हो गए हों, उनको भी कटे हुए पट्टे वापस मिलेंगे, वहीं उन किसानों को भी सरकार पट्टे देगी, जिन्होंने 1 अप्रैल 2004 से लगाकर 2014-2015 के बीच लाइसेंस की शर्तों का उल्लघंन (विभागीय नियमों का उल्लघंन) किया था अथवा केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो एवं नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निर्देशों का पालन नहीं किया था और उनका पट्टा रद्द कर दिया गया था। ऐसे सभी किसानों को पुन: पट्टे दे दिए जाएंगे।
मालवा और मेवाड़ में जश्न : इन सब के अलावा नई नीति में मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के सभी पात्र किसानों को 10-10 आरी के पट्टे दिए जाएंगे। किसान दो भूखंडों में भी अफीम की खेती कर पाएगा साथ ही किसान लीज पर जमीन लेकर भी अफीम की खेती कर पाएगा। वर्ष 2018-2019 में अफीम किसान को 5.9 हेक्टर मार्फिन प्रतिशत देना अनिर्वाय होगा तभी वह 2019-2020 में अफीम पट्टे के लिए पात्र हो पाएगा।
केन्द्र सरकार आने वाले फसल सत्र में मार्फिन प्रतिशत के आधार पर किसानों को अफीम काश्त का भुगतान कर सकती है। नई अफीम नीति घोषणा के साथ ही मध्यप्रदेश के मालवा और राजस्थान के मेवाड़ में उत्सव का माहोल है। वहीं इस अफीम नीति से भाजपा के नेता खुश नजर आ रहे हैं।
श्रेय की राजनीति भी शुरू : भाजपा नेता और जिला महामंत्री वीरेन्द्र पाटीदार ने कहा कि भाजपा की सरकार अफीम किसानों की हितैषी सरकार है। इस नीति से चुनावों का कोई सरोकार नहीं है, वहीं किसान नेता और प्रदेश कांग्रेस के सचिव उमरावसिंह गुर्जर ने कहा कि नई अफीम नीति में उन किसानों को जरूर पट्टे जारी हुए हैं जिनके पट्टे सरकार के ही गलत फैसलों के चलते कटे थे।
उन्होंने कहा कि नई अफीम नीति में नए किसानों को पट्टे देने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस अफीम नीति को लेकर भाजपाई भले अपने माथे पर तिलक लगाएं लेकिन जो कटे हुए पट्टे मिल रहे हैं वह कांग्रेस के आंदोलनों का परिणाम है। किसान नेता गुर्जर ने कहा कि सरकार ने आगामी फसल वर्ष के लिए मार्फिन प्रतिशत 5.9 का प्रावधान किया है, वह किसानों के लिए घातक साबित होगा जिसका कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर विरोध करेगी।