Parenting Tips: जानिए कैसे छोटे बच्चों में डालें डिसिप्लिन की आदत, बिना डांटे भी सिखा सकते हैं ये अच्छी हेबिट
बच्चों को बचपन से अनुशासन की आदत डालने के लिए अपनाएं ये टिप्स
Parenting Tips: छोटे बच्चों की परवरिश माता-पिता के सामने बड़ी चुनौती होती है। माता पिता के लिए बच्चों को अनुशासित बनाना भी एक बड़ी चुनौती होती है। अक्सर माता-पिता के मन में ये प्रश्न रहता है कि बच्चे को अनुशासन कैसे सिखाया जाए?
ये सचहै बच्चों को अनुशासित बनाने का प्रयास कम उम्र से ही शुरू कर देना चाहिए। दो से पांच साल तक की उम्र बच्चों के व्यवहार को निर्धारित करने में बड़ी भूमिका निभाती है। आज इस आलेख में हम आपको बता रहे हैं कि पैरेंट्स किन तरीकों से अपने बच्चे में डिसिप्लिन की आदत विकसित कर सकते हैं।
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आपके अनुशासन से सीखते हैं बच्चे अनुशासन
बच्चे बातों से ज्यादा अपने माता-पिता के कामों पर ध्यान देते हैं। जो वे अपने पैरेंट्स को करते हुए देखते हैं वे भी वही फॉलो करते हैं इसलिए, उन्हें अनुशासित बनाने की पहली शर्त है- आपका स्वयं अनुशासित होना। अगर आप बातचीत में अपशब्दों का प्रयोग करते हैं, तो बच्चे को यह सिखाना व्यर्थ है कि उसे अच्छा बोलना चाहिए।
बच्चे को यह बताने की ज़रुरत नहीं है कि उसे क्या नहीं करना है। बल्कि, उसके सामने इस बात का उदाहरण दीजिए कि उसे क्या करना है।
तर्क के साथ रखें पक्ष
बच्चों को व्यवहार से जुड़ी कोई सीख देते समय उनके मन में उठने वाले प्रश्नों पर ध्यान दें। यदि वह पलटकर कोई प्रश्न पूछें, तो आपको उसका उत्तर देना चाहिए। इससे बच्चा आपकी कही हर बात को आत्मसात कर पाता है। जैसे ही आप उसके प्रश्नों पर उसे डांटकर चुप कराने और बस आपका आदेश मानने के लिए कहते हैं, वह उन बातों को न अपनाने के लिए प्रेरित होता है।
पहली गलती न करें नज़रंदाज़
बचपन में जब बच्चा पहली बार कोई ग़लती करता है तो अक्सर पैरेंट्स उसे नज़रंदाज़ करते हैं। कई बार छोटे बच्चे की किसी गलती को माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य ही हंसकर टाल देते हैं। जैसे जब कभी बच्चा अपनी तोतली भाषा में अपशब्द कह देता है तो अक्सर पैरेंट्स लाड़ में हंस देते है। कई बार जिद में जब बच्चा किसी बड़े पर हाथ उठाता है, तब भी यह कहकर टाल दिया जाता है कि बच्चा है, सीख जाएगा। यह गलत है।
बच्चे की किसी भी ऐसी बात का समर्थन मत कीजिए, जो आप चाहते हैं कि उसकी आदत का हिस्सा न बने। पहली ही गलती पर उसे रोकें।
ज़रुरत और जिद में अंतर समझें
पैरेंट्स अक्सर अपने बच्चे की हर इच्छा पूरी करने के प्रयास में उसे जिद्दी बना देते हैं। ऐसा न करें। आपको अपने बच्चे की इच्छा और जिद के बीच के अंतर समझना होगा। बच्चे को यह समझ में आना चाहिए कि उसकी कही हर बात या उसकी हर मांग पूरी नहीं की जा सकती है। उसकी इच्छाएं जिद में न बदले, इसका प्रयास करना जरूरी है।
अच्छे काम की करें प्रशंसा
जितना जरूरी बच्चों को गलती करने पर उन्हें टोकना है, अच्छा करने पर प्रशंसा भी उतनी ही जरूरी है। बच्चे को अच्छी आदतों के लिए प्रोत्साहित करें और जब वह कुछ अच्छा करे, तो उसकी प्रशंसा करके उत्साह भी बढ़ाएं। इससे बच्चे को सही और गलत के बीच अंतर समझने में आसानी होती है। वह अपने कार्यों में इस अंतर को समझ पाता है कि क्या करने पर उसे टोका जा रहा है और क्या करने पर प्रशंसा मिल रही है।