महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन की सबसे बड़ी गांठ ?
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटों के चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। अब से ठीक एक महीने बाद 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। सूबे में इस बार सियासी महाभारत कांग्रेस-एनसीपी और भाजपा-शिवसेना के बीच होने की संभावना है, लेकिन तस्वीर अब भी पूरी तरह साफ नहीं है।
अगर बात करे महाराष्ट्र के सियासी समीकरण की तो 2104 के विधानसभा चुनाव के समय भी भाजपा और शिवसेना में आखिरी समय तक गठबंधन को लेकर पेंच फंसा हुआ था और अखिरकार दोनों ही पार्टियां अलग अलग चुनावी मैदान में उतरी थी।
इस बार भी सियासी समीकरण कुछ वैसे ही दिखाई दे रहे हैंं। एक ओर विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी में गठबंधन हो चुका है तो भाजपा और शिवसेना के गठबंधन पर सस्पेंस बना हुआ है। भाजपा और शिवसेना दोनों ही पार्टी के बड़े नेता दावा कर रहे है कि गठबंधन तय है, बस एलान बाकी है। ऐसे में सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि आखिर गठबंधन को लेकर वह कौन सी गांठ जो तारीखों के एलान के बाद भी नहीं सुलझ सकी है।
सीटों की संख्या पर फंसा पेंच- महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर सबसे बड़ा पेंच सीटों के बंटवारे को लेकर फंसा है। अगर बात करे वर्तमान विधानसभा की तो भाजपा के विधायकों की सदस्य संख्या 122 और शिवसेना के 63 विधायक है।
लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा इस बात की थी कि विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियां 50-50 फॉर्मूले के चुनाव लड़ने को तैयारी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई उसके बाद सियासी समीकरण बदल गए है और अब भाजपा विधानसभा की 288 सीटों में 160 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है वहीं वह अपनी मौजूदा सहयोगी को 120 सीटों के आसपास सीटें देना चाह रही है। सीटों के बंटवारे का यहीं फॉर्मूला दोनों ही दलों के बीच गांठ बन गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस चाह रहे हैंं कि इस बार गठबंधन का फैसला 2014 के विधानसभा चुनाव में जीती हुई सीटों के आधार पर हो तो शिवसेना मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव में किया गया वह वादा याद दिला रही है जिसमें उन्होंने 50-50 फार्मूले की बात कही थी।
उपमुख्यमंत्री पर फंसा पेंच- महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा चुनाव में शिवसेना की नई पीढ़ी का सियासी पर्दापण होने जा रहा है। शिवसेना की यूथ विंग युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे चुनाव की तारीखों के एलान से पहले पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके है। खुद आदित्य ठाकरे के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। अगर आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ते है तो यह पहली बार होगा कि ठाकरे परिवार का कोई सदस्य सीधे चुनावी मैदान से अपनी मुख्यधारा की सियासत की शुरुआत करेगा । सूबे की सियासत के जानकार बताते है कि शिवसेना आदित्य ठाकरे के लिए गठबंधन में डिप्टी सीएम की कुर्सी पहले से ही तय कर देना चाह रही है, इसकी को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है।
अब जब चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है तब देखना होगा कि कितनी जल्दी दोनों ही पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर आम सहमति बन जाएगी या एक बार फिर 2014 विधानसभा चुनाव के समय की कहानी दोहराई जाएगी।