108वीं बार रक्तदान करने वाले PF के फिरोज दाजी का महू में सम्मान
इंदौर। इंदौर के भविष्य निधि कार्यालय में कार्यरत और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले फिरोज दाजी ने शुक्रवार को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के पावन पर्व पर चोइथराम अस्पताल में 108वीं बार रक्तदान किया। फिरोज की सेवाओं के लिए महू में लॉयंस क्लब ने उनका सम्मान भी किया।
इस मौके पर 53 वर्षीय फिरोज ने कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर यदि रक्तदान करने का अवसर मिले और वह भी बचपन के शाला मित्र के साथ तो उसका महत्व और ज्यादा हो जाता है। मुझे खुशी है कि मैंने इस मौके पर 108वीं बार रक्तदान किया। मेरे लिए यह यादगार पल इसलिए भी रहा क्योंकि मेरे साथ 20वीं बार रक्तदान करने वाले मेरे स्कूल के मित्र पराग व्यास भी थे। हम दोनों को यह दिन उम्र भर याद रहेगा।
महू में फिरोज का सम्मान : महू के लायनेस क्लब चांदनी (लायन्स क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3233 G-1) द्वारा फिरोज दाजी का सम्मान किया गया। यह कार्यक्रम रेलवे स्टेशन महू के परिसर में हुआ। यहां पर स्थापित महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर फिरोज ने माल्यार्पण किया। फिरोज के द्वारा किए जाने वाले समाज सेवा के कार्यक्रमों की जानकारी क्लब अध्यक्षा पायल परदेशी ने प्रस्तुत की और अतिथियों का स्वागत किया। साथ में उनके 108वीं बार रक्तदान करने के लिए शुभकामनाएं दी गई।
किसी रिकॉर्ड के लिए नहीं करते रक्तदान : सनद रहे कि फिरोज दाजी ने रक्तदान का शतक पूरा किया था, तब पूरे शहर में उनके काफी चर्चे हुए थे। एक विशेष मुलाकात में फिरोज ने कहा कि मैं जब भी रक्तदान करके वापस आता हूं, मन में अजीब-सी शांति मिलती है कि हम भी समाज को कुछ दे रहे हैं। समाज से हमने हमेशा पाया ही है। हमारे भी कुछ नागरिक कर्तव्य हैं। हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर सामाजिक कार्य करता है। मेरा रक्त किसी इंसान के काम आए, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। यह सब मैं किसी नाम या रिकॉर्ड के लिए नहीं करता हूं, बल्कि मुझे खुशी होती है कि मेरे इस कार्य से दूसरे लोग प्रेरित होते हैं। इंदौर में तेजी से रक्तदाताओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।
समाज के लिए छोटा सा योगदान : फिरोज के अनुसार मैंने अकसर देखा है कि जब किसी का अपना अस्पताल के बिस्तर पर जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा होता है और डॉक्टर्स जान बचाने के लिए खून की बोतलों का इंतजाम रखने का कहते हैं, तब पीड़ित के परिजनों पर क्या गुजरती है। यही कारण है कि मैं खुद ही नहीं बल्कि मेरे सर्कल में सभी लोग समय-समय पर रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाने में अपना छोटा सा योगदान कर रहे हैं।