OBC को 27% आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई, सीएम ने दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल से की मुलाकात
भोपाल। मध्यप्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब निर्णायक दौर में पहुंच गया है। बुधवार से सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण मामले को लेकर रोजाना सुनवाई होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण का मामला टॉप ऑफ द बोर्ड' श्रेणी में सूचीबद्ध किया है, यानि अब इस मामले पर रोज सुनवाई होगी और तब तक जारी रहेगी, जब तक कि अंतिम निर्णय नहीं हो जाता।
वहीं ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले सरकार से लेकर संगठन काफी सक्रिय है। मुख्यमन्त्री डॉ मोहन यादव ने सोमवार को नई दिल्ली में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मुलाकात कर इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता के साथ कार्यवाही की जा रही है।
वहीं विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि हम डंके की चोट पर कह रहे हैं 27% आरक्षण देंगे। हमारे कई विभागों के अंदर जहां स्टे नहीं था वहां हमने 27% पहले ही आरक्षण दे दिया है। लेकिन, जहां कोर्ट में मामला अटका पड़ा है, वहां भी हम अपनी तरफ से सरकार के पक्ष में 27% आरक्षण की बात लिखकर दे रहे हैं।
गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य सरकार का मानना है कि ओबीसी वर्ग को उनके हक का पूरा प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए और इसी दिशा में यह कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से उम्मीद जताई जा रही है कि लंबे समय से अटके इस मसले पर जल्द ही अंतिम फैसला आ जाएगा। मध्य प्रदेश में पहले ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी था, जिसे 2019 में अध्यादेश के जरिए बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया गया था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई से पहले राज्य सरकार ने पूरे मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें सभी दल 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर एकमत थे। सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने पर सहमति जताई थी। इसके साथ ही एक संकल्प भी पारित किया गया था। सभी दलों के विधायक विधानसभा में 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात उठाते रहे हैं. इस मामले में अलग-अलग वकील केस लड़ रहे हैं, जिस पर न्यायालय ने एक निर्णय लिया है।