भोपाल। मध्यप्रदेश में बुधनी और विजयपुर दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों को भितरघात औ बगावती तेवरों का सामना करना पड़ा है। बुधनी से भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव का जहां पार्टी के कार्यकर्ता विरोध कर रहे है तो कांग्रेस के बागी और समाजवादी पार्टी से नामांकन भरने वाले अर्जुन आर्य कांग्रे के अधिकृत उम्मीदवार राजकुमार पटेल के लिए बड़ा चैलेंज बन गया है।
बुधनी में घर में ही घिरी भाजपा, कार्यकर्ताओं की बगावत-बुधनी विधानसभा सीट से भाजपा ने विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को चुनावी मैदान में उतारा है। रमाकांत भार्गव की उम्मीदवारी का एलान होते हुए बुधनी के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह राजपूत ने बागी तेवर अपना लिए है, वह पार्टी की बैठकों से लगातर दूरी बनाए हुए है। 20 साल तक बुधनी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के भोपाल आवास पर बुधनी उपचुनाव को लेकर हुई बैठक में भी सुरेंद्र सिंह राजपूत नहीं पहुंचे।
बुधनी में भाजपा कार्यकर्ता भी रमांकात भार्गव की उम्मीदवारी का खुला विरोध कर रहे है और वह खुले तौर प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे है। भाजपा कार्यकर्ता ने बुधनी उपचुनाव के सह प्रभारी बनाए गए शिवराज के करीबी पूर्व विधायक रामपाल सिंह के भेंरूदा दौरे के दौरान खुला विरोध कर दिया। रामपाल सिंह ने जब कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश की तो कार्यकर्ताओं ने साफ शब्दों में कह दिया है कि उन्हें रमाकांत भार्गव जैसा प्रत्याशी मंजूर नहीं है और कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण रामपाल सिंह को अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा।
डैमेज कंट्रोल में जुटे शिवराज के बेटे कार्तिकेय-बुधनी में भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के बढ़ते विरोध के बाद अब शिवराज सिंह चौहन के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान खुद डैमेज कंट्रोल में जुट गए। बुधवार को भैरूंदा पहुंचे कार्तिकेय सिंह चौहान ने कहा पार्टी ने बुधनी से रमाकांत भार्गव को अपना प्रत्याशी घोषित किया है और पार्टी का यह निर्णय उचित हैं। हम सभी कार्यकर्ता पूरी मेहनत और लगन के साथ प्रचार के काम में जुट जाएं और जीत के पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी को यहां से प्रचंड जीत दिलाएं।
वहीं कार्तिकेय सिंह ने बुधनी से खुद की दावेदारी पर कहा कि बुधनी के मेरे वरिष्ठों, कार्यकर्ताओं और साथियों ने केन्द्रीय नेतृत्व तक मेरा नाम पहुंचाया है, मेरे लिए इतना ही काफी है, आपका इस प्यार और स्नेह के आगे मुझे स्वर्ग केा सिंहासन भी फीका लगता है। मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रदेश नेतृत्व, राष्ट्रीय नेतृत्व और आप सभी को प्रणाम करता हूं। उन्होंने कहा कि, मैं राजनीतिक परिवार से हूं और आपके बीच लंबे समय से आ रहा हूं, मुझे पता है कि, पिता पद पर हैं तो ये शोभा नहीं देता कि, मैं भी चुनाव लड़ूं। मुझे टिकट मिलना उचित नहीं है और मैं टिकट की लालसा के साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए काम नहीं करता हूं। कार्तिकेय ने कहा कि, क्षेत्र में भाजपा का विधायक होगा तो ही हम सभी का अस्तित्व होगा।
कांग्रेस के राजकुमार पटेल को भितरघात से निपटना बड़ी चुनौती- हाईप्रोफाइल बुधनी विधानसभा सीट से कांग्रेस की ओर किरार समाज से आने वाले पूर्व विधायक राजकुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है, बुधनी में किरार समाज के वोटरों की संख्या 50 हजार से अधिक है। राजकुमार पटेल 1993 में बुधनी से विधायक रहे चुके है और उनकी किरार समाज में गहरी पैठ मानी जाती है।
कांग्रेस की ओर से राजकुमार पटेल की उम्मीदवारी का एलान होते हुए कांग्रेस ने खुलकर बगावत हो गई है। कांग्रेस नेता अर्जुन आर्य अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में है। अर्जुन आर्य काफी लंबे समय से बुधनी में सक्रिय रहे है और वह चुनाव के समय बुधनी में पदयात्रा कर रहे है। ऐसे में अर्जुन आर्य राजकुमार पटेल के लिए चुनाव में एक चुनौती बन गए है।
विजयपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती- श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव एक हाईप्रोफाइल मुकाबला है। भाजपा ने विजयपुर विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं कांग्रेस ने भाजपा से कांग्रेस में आए सहारिया जाति के बड़े नेता मुकेश मल्होत्रा को मैदान में उतारा है। 2023 विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से बगावत करने वाले मुकेश मल्होत्रा निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे थे और 44 हजार वोट हासिल कर तीसरे नंबर थे।
ऐसे में अब जब भाजपा ने कांग्रेस से पार्टी में आए रामनिवास रावत को और कांग्रेस ने भाजपा से आए मुकेश मल्होत्रा को चुनावी मैदान में उतारा है तो पूरी सियासी लड़ाई कांटे की हो गई है। मुकेश मल्होत्रा जिस सहरिया विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे है उसकी आबादी 70 हजार है और सहारिया जाति के वोटर्स का रूख जीत-हार तय करता है। हलांकि भाजपा ने अपने पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।
विजयपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों का विरोध उनकी ही पार्टी के मूल कार्यकर्ता कर रहे है। रामनिवास रावत लंबे तक कांग्रेस के दिग्गज चेहरे रहे और अब उनके भाजपा में आने से, भाजपा के मूल कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे है और चुनाव में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाए रहे है। चुनाव से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं की नारजगी दूर करने लिए आज भाजपा रामनिवास रावत के नामांकन के जरिए एकजुटता का शक्ति प्रदर्शन करने जा रही है। विजयपुर में भाजपा की असली चुनौती पार्टी को एकजुट करना है।