मध्यप्रदेश की सियासत इन दिनों भाजपा हाईकमान के राडार पर है। प्रदेश में 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और 12 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूरी कमान अपने हाथों में ले ली है। पिछले दिनों छिंदवाड़ा में गृहमंत्री अमित शाह ने जिस तेवर और अंदाज से प्रदेश में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में जीत की हुंकार भरी है उससे भाजपा की अक्रामक चुनावी राजनीति का साफ संकेत मिलता है।
2019 लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा ने 29 लोकसभा सीटों मे से 28 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने इस पुराने प्रदर्शन को कायम रख एक मात्र हारी हुई सीट छिंदवाड़ा पर निगाहें टिका दी है। अगर प्रदेश में वर्तमान सियासी हालात और लोकसभा सीटों के सांसदों के प्रदर्शन को देखे तो भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में अपने कई सांसदों का टिकट काटने की तैयारी में है। भाजपा लोकसभा चुनाव में प्रदेश के तीन बड़े जिलों भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतार सकती है।
भोपाल में कटेगा वर्तमान सांसद का टिकट!- 2024 में भाजपा भोपाल लोकसभा सीट से किसी नए चेहरे की तलाश में है। भोपाल से वर्तमान सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट कटना तय माना जा रहा है। इस वजह सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का लगातार विवादों में होने और उनके विवादित बयान है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के महात्मा गांधी को लेकर दिए बयान पर नाराजगी जता चुके है।
ऐसे में भोपाल लोकसभा सीट जो भाजपा के लिए बेहद सुरक्षित सीट मानी जाती है वहां से पार्टी अपने किसी बड़े चेहरों को मैदान में उतार सकती है, इनमें कांग्रेस से भाजपा में आए और वर्तमान में राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल है। ज्योतिरदित्य सिंधिया आज भाजपा को वह चेहरा बन चुके है जो चुनाव में कांग्रेस को घेरने में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे है। सिंधिया की लोकप्रियता का ग्राफ औ पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से नजदीकी के चलते पार्टी उन्हें सुरक्षित सीट देने की तैयारी में है। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था वहीं कांग्रेस 2024 में भी भोपाल से किसी बड़े चेहरों को उतराने की तैयारी में है।
अगर भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं देती है तो वह पार्टी किसी खांटी भाजपा कार्यकर्ता को मौका दे सकती है। पिछले दिनों भोपाल में जिस तरह सिंधी महापंचायत के बहाने पार्टी महामंत्री भगवान दास सबनानी ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया उसके बाद उनको भी भोपाल लोकसभा सीट से एक दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
इंदौर में भी बदला जाएगा टिकट!- वहीं भोपाल के साथ इंदौर जिसको भाजपा और संघ का गढ़ माना जाता है वहां पर भी पार्टी अपने मौजूदा सांसद शंकर लालवानी का टिकट काट सकती है। 2019 में रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले शंकर लालवानी लगातार आलोचनाओं के घेरे में है। पिछले दिनों इंदौर में हुए मंदिर हादसे के बाद भी शंकर लालवानी सवालों के घेरे में है और स्थानीय तौर पर उनका काफी विरोध देखा जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने शंकर लालवानी को जिस सियासी गणित के साधने के लिए मैदान में उतारा है उसमें आज की तारीख में शंकर लालवानी फिट नहीं बैठ रहे है, ऐसे में पार्टी इंदौर से किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है।
संघ का गढ़ माने जाने वाले इंदौर में भाजपा की तरफ से टिकट के दावेदारों पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पार्टी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी है। कैलाश विजयवर्गीय इंदौर की राजनीति का वह नाम है जिसको चुनाव लड़ना भाजपा के लिए जीत का गांरटी है। अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय के सियासी करियर के लिए कैलाश विजयवर्गीय चुनाव राजनीति से दूर हो गए थे लेकिन अब बदल हुए हालात में पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को फिर से मौका दे सकती है।
वहीं इंदौर से पार्टी के टिकट दावेदारों में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी लिया जा रहा है। इसकी वजह सिंधिया का इंदौर से गहरा नाता और उनकी सियासी जमावट भी है। बतौर केंद्रीय नागारिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर को कई सौगात दे चुके है और वह लगातार इंदौर में सक्रिय है ऐसे मे सिंधिया के इंदौर से चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
लोकसभा चुनाव में ग्वालियर में नया चेहरा तय!-ग्वालियर लोकसभा सीट पर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में नए चेहरे मौका देने की तैयारी में है। ग्वालियर से पार्टी के वर्तमान सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट कटना तय माना जा रहा। विवेक नारायण शेजवलकर के टिकट कटने का सबसे बड़ा कारण उम्र का काइटेरिया है। विवेक नारायण शेजवलकर 75 साल की उम्र को पार कर चुके है ऐसे में वह पार्टी के एज क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठ रहे है। इसके साथ भाजपा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। स्थानीय तौर पर पार्टी के विधायकों के कार्यक्रम से शेजवलकर की दूरी बना कर रखना उनको अक्सर विवादों के घेर में ला देती है।
ग्वालियर में नगर निगम चुनाव में जिस तरह से भाजपा के महापौर उम्मीदवार को हार मिली उससे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सकते में है। ऐसे में पार्टी 2014 लोकसभा चुनाव में ग्वालियर से अपने किसी बड़े चेहरे को मैदान में उतराने की तैयारी में है। ग्वालियर लोकसभा सीट से पार्टी के लोकसभा टिकट के दावेदरों में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम सबसे आगे है। वर्तमान में नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से सांसद है और वह अब ग्वालियर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। नगर निगम चुनाव में मुरैना महापौर चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार की हार के बाद जमीनी हालात भाजपा के अनुकूल नहीं है।
मध्यप्रदेश की सियासत में ग्वालियर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ के रूप में देखा जाता रहा है लेकिन ग्वालियर के वर्तमान सियासी हालात सिंधिया के अनुकूल नहीं है। 2109 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल में आने वाली गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से एक लाख से अधिक वोटों से हारने वाले सिंधिया 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी सुरक्षित सीट की तलाश में है, ऐसे में वह ग्वालियर-चंबल से बाहर की किसी सीट का रूख सकते है। हलांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों ग्वालियर में बेहद सक्रिय है वह लगातार ग्वालियर का दौरा कर कार्यक्रमों में शामिल हो रहे है।