विरासत की जंग में कौन भारी? आंध्र प्रदेश में भाई जगन और बहन शर्मिला आमने-सामने
भाजपा, तेदेपा और जनसेना के गठबंधन एनडीए से मिल रही जगन को कड़ी टक्कर
Andhra Pradesh Assembly Elections 2024: आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 175 और लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) की 25 सीटों के लिए हो रहे चुनावों में बड़ा ही रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। कभी कंधे से कंधा मिलाकर मुख्यमंत्री भाई जगन मोहन रेड्डी के साथ खड़ी दिखाई देने वाली बहन शर्मिला इस बार उन्हें आमने-सामने की चुनौती दे रही हैं। भाजपा, तेदेपा और जनसेना का गठबंधन भी जगन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। शर्मिला की मौजूदगी ने राज्य में मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। हालांकि सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा इसको लेकर अभी सिर्फ अटकलें ही हैं।
जगन को इस लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती अपनी बहन शर्मिला से मिल रही है। हालांकि आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है, लेकिन शर्मिला की मौजूदगी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। वे अपने भाई जगन की सरकार पर निशाना साध रही हैं और उसकी रीति-नीतियों पर भी सवाल उठा रही हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि शर्मिला की मौजूदगी जगन को ही नुकसान पहुंचाएंगी और इसका फायदा एनडीए को मिलेगा। हालांकि एक बात जरूर है कि शर्मिला की सक्रियता से कांग्रेस को भी फायदा होगा, जिसका आने वाले समय में असर दिख सकता है।
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2019 में कांग्रेस शून्य पर थी : दरअसल, वायएसआर कांग्रेस के गठन के बाद कांग्रेस की स्थिति राज्य में लगातार कमजोर होती गई। 2019 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं जीत पाई। जानकारों की मानें तो ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस इस बार भी कुछ चमत्कार कर पाएगी। उसे शर्मिला की मौजूदगी का थोड़ा-बहुत फायदा मिल सकता है। हालांकि शर्मिला लगातार सक्रियता बनाए हुए हैं, लेकिन सत्ता तक पहुंचना उनके लिए फिलहाल तो टेढ़ी खीर है।
आंध्र में राम मंदिर बड़ा मुद्दा नहीं : तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों ही राज्यों में न तो राम मंदिर कोई बड़ा मुद्दा है और न ही मोदी मैजिक का असर है। आंध्र और तेलंगाना के प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र
स्वतंत्र वार्ता के संपादक धीरेन्द्र प्रताप सिंह वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं आंध्र में जगन महन रेड्डी भले ही 2019 वाली सफलता न दोहरा पाएं, लेकिन उनकी स्थिति राज्य में अब भी मजबूत है। राम मंदिर भी यहां कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। मारवाड़ियों और अन्य हिन्दी भाषी राज्यों के बीच राम मंदिर मुद्दे का असर हो सकता है। हालांकि भाजपा, टीडीपी और जनसेना वाले एनडीए से जगन को कड़ी टक्कर मिल रही है। फिर भी जगन एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में रह सकते हैं।
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जगन को भी होगा नुकसान : लोकसभा चुनाव में जगन रेड्डी को पिछली बार की तुलना में नुकसान होता दिखाई दे रहा है। टीवी9, पीपुल्स इनसाइट, पोलस्टार के ओपिनियन पोल के मुताबिक वायएसआरसीपी को इस बार कम से कम 9 सीटों का नुकसान हो सकता है। पिछली बार जगन की पार्टी ने 22 सीटें जीती थीं, लेकिन इस उनकी पार्टी 13 सीटों के आसपास सिमट सकती है। इसके बाद तेलुगू देशम पार्टी सबसे ज्यादा 8 सीटें जीत सकती है, जबकि भाजपा और जनसेना 2-2 सीटें जीत सकती हैं।
क्यों बढ़ीं भाई-बहनों में दूरियां : वाईएसआर की मौत के बाद जब 2011 में जगन ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन किया था तब उन्हें कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा था। उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इस दौरान बहन शर्मिला ने मां विजयम्मा के साथ मिलकर पार्टी को संभाला था। 2019 में वाईएसआरसीपी ने 175 में 151 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था और जगन राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
इसके बाद जगन और शर्मिला के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। जुलाई 2021 में शर्मिला ने वाईएसआर तेलंगाना के नाम से नई पार्टी का गठन किया और वे उसकी मुखिया बन गईं। 4 जनवरी 2024 को अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। उसके 12 दिन बाद ही उन्हें आंध्र प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि दोनों के बीच संपत्ति पैतृक संपत्ति को लेकर भी विवाद था।
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भाई और भाभी की कर्जदार हैं शर्मिला : शर्मिला रेड्डी ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उनके परिवार की कुल संपत्ति 168 करोड़ है। जबकि, उन पर भाई जगन का 82 करोड़ रुपए का कर्ज है। भाभी भारती रेड्डी से भी उन्होंने 19.56 लाख रुपए उधार ले रखे हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala