चाणक्य नीति अपनाकर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम की नाम वापसी की लिखी पटकथा
कैलाश विजयवर्गीय इंदौर की राजनीति का एक ऐसा नाम है जिसके आसपास पिछले तीन दशक से इंदौर ही नहीं पूरा मालवा की राजनीति घूमती रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जब पार्टी ने उन्हें इंदौर-1 विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था तभी यह साफ हो गया था कि एक दशक के बाद फिर कैलाश विजयवर्गीय सूबे की सियासत में अपनी धमक दिखाने जा रहे है।
सोमवार को इंदौर लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम की नाम वापसी और उन्हें भाजपा में शामिल कराने की पूरी रणनीति के सूत्रधार कैलाश विजयवर्गीय ही है। कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा वापस कराकर कैलाश विजयवर्गीय ने साबित कर दिया है कि इंदौर की राजनीति के असली खिलाड़ी वहीं है। उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सीधा संकेत दे दिया है कि आज भी उनके चुनावी मैनजमेंट का कोई तोड़ नहीं है।
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साम दाम दंड भेद की चाणक्य नीति को अपना कर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन वापस कर दिया। कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होने के बाद जिस तरह अक्षय कांति बम पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था और भाजपा उनसे जुड़े पुराने मामलों को जैसे-जैसे मुद्दा बनाती जा रही थी उससे उन पर दबाव बढ़ता जा रहा था। कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद अक्षय कांति बम पर 17 साल पुराने मामले में IPC की धारा 307 का मामल दर्ज होना यह बताता है कि उनकी राहें कितनी मुश्कल थी। वहीं बताया जा रहा है कि अक्षय कांति बम का लॉ कॉलेज से जुड़ा मामले और एक महिला से जुड़े मामले में होने वाली संभावित कार्रवाई के डर से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। अगर अक्षय कांति बम अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं लेते तो उन पर दो संगीन मामलों में कार्रवाई संभावित थी।
आज कैलाश विजयर्गीय ने जिस तरह से अक्षय कांति बम के साथ जिस तरह से अपनी तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की उससे साफ है कि उन्होंने अपने विरोधियों के साथ-साथ पार्टी के अंदर भी बड़ा संकेत दे दिया है। इससे पहले विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पिछले दिनों उन्होंने जिस तरह से अपने विरोधी संजय शुक्ला को भाजपा में शामिल कराया था उससे भी उन्होंने इंदौर की राजनीति में सीधा संकेत दे दिया था।
1990 से अब तक 8 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके कैलाश विजयवर्गीय अब प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है और मौजूदा मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री है। कहा जाता है कि इंदौर की राजनीति में कैलाश विजयवर्गीय के इशारे के बाद पत्ता भी नहीं हिलता है और विरोधी भी उनसे पनाह मांगते है। ऐसे नहीं है कि कैलाश विजयवर्गीय का विवादों से नाता नहीं रहा है। अपे बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले कैलाश विजयवर्गीय की आने वाले समय प्रदेश की राजनीति में क्या भूमिका होगी यह समय ही बताएगा लेकिन इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन वापस कराकर उन्होंने अपनी भविष्य की राजनीति के बड़े संकेत दे दिए है।