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Written By DW
Last Updated : बुधवार, 1 दिसंबर 2021 (17:54 IST)

'जिंदगी का सबसे बड़ा झटका': वैज्ञानिकों को ऐसे मिला ओमिक्रॉन

'जिंदगी का सबसे बड़ा झटका': वैज्ञानिकों को ऐसे मिला ओमिक्रॉन - This is how scientists found Omicron
दक्षिण अफ्रीका में जिस वैज्ञानिक ने सबसे पहले ओमिक्रॉन को देखा, उसके लिए यह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। ओमिक्रॉन की पहचान की पूरी कहानी 3 दिन की है।
 
दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी निजी टेस्टिंग लैब लांसेट की विज्ञान प्रमुख रकेल वियाना के लिए वह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। उनके सामने कोरोनावायरस के 8 नमूनों के विश्लेषण थे। और इन सभी में अत्याधिक म्यूटेशन नजर आ रहा था, खासकर उस प्रोटीन की मात्रा तो बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी जिसका इस्तेमाल वायरस इंसान के शरीर में घुसने के लिए करता है।
 
रकेल वियाना बताती हैं, 'वो देखकर तो मुझे बड़ा झटका लगा था। मैंने पूछा भी कि कहीं प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई है। लेकिन जल्दी ही वो झटका एक गहरी निराशा में बदल गया क्योंकि उन नमूनों के बहुत गंभीर नतीजे होने वाले थे।'
 
वियाना ने फौरन फोन उठाया और जोहानिसबर्ग स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीज (NICD) स्थित अपने एक सहयोगी वैज्ञानिक डेनियल एमोआको को फोन किया। एमोआको जीन सीक्वेंसर हैं। वियाना कहती हैं, 'मुझे समझ नहीं आ रहा ये बात उन्हें कैसे बताई जाए। मुझे तो ये एक अलग ही शाखा लग रही थी।'
 
यह ओमिक्रॉन था!
 
यह शाखा दरअसल कोरोनावायरस का वो वेरिएंट ओमिक्रॉन था, जिसने इस वक्त पूरी दुनिया को चिंता में डाला हुआ है। दो साल बाद जब हालात सामान्य होने लगे थे तब एक बार फिर दुनिया बड़े लॉकडाउन के मुहाने पर पहुंच गई है। कई देश अपनी सीमाएं बंद कर चुके हैं और विशेषज्ञों में डर है कि अब तक किया गया टीकाकरण भी इस वेरिएंट के सामने नाकाम हो सकता है।
 
20-21 नवंबर को एमोआको और उनकी टीम ने वियाना के भेजे 8 नमूनों का अध्ययन किया। एमोआको बताते हैं कि उन सभी में समान म्यूटेशन पाई गई। एक बार तो उन लोगों को भी लगा कि कहीं कोई गलती हुई है। फिर उन्हें ख्याल आया कि पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में असामान्य वृद्धि हुई थी, जिसकी वजह यह नया वेरिएंट हो सकता है।
 
इससे पहले वियाना को उनके एक सहयोगी ने भी एक अलग तरह के म्यूटेशन के बारे में चेताया था जो अब तक के सबसे खतरनाक वेरिएंट डेल्टा से टूटकर बना था। एमोआको बताते हैं, '23 नवंबर, मंगलवार तक हमने जोहानिसबर्ग और प्रेटोरिया के इर्द-गिर्द 32 और नमूनों की जांच की। इसके बाद तस्वीर साफ हो गई। यह डराने वाली थी।'
 
दुनियाभर में प्रसार
 
मंगलवार को ही NICD की टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय और देश की अन्य प्रयोगशालाओं को सूचित किया। बाकी प्रयोगशालाओं को भी वैसे ही नतीजे मिले। आंकड़ों को वैश्विक डेटाबेस GISAID को भेजा गया और तब पता चला कि बोत्सवाना और हांग कांग में भी ऐसे ही जीन सीक्वेंस वाले मामले मिल चुके हैं।
 
24 नवंबर को NICD व दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया। वियाना कहती हैं कि तब तक दक्षिण अफ्रीकी राज्य गाउटेंग में मिले कोरोनावायरस के मामलों में दो तिहाई से ज्यादा ओमिक्रॉन के थे, जो एक संकेत था कि यह वेरिएंट तेजी से फैल रहा था।
 
सोमवार को देश के प्रमुख विशेषज्ञ सलीम अब्दुल करीम ने बताया कि ओमिक्रॉन की वजह से इस हफ्ते के आखिर तक दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मामले चार गुना बढ़कर 10 हजार को पार कर जाएंगे।
 
अब वैज्ञानिको के सामने बड़ा सवाल यह है कि ओमिक्रॉन वैक्सीन या पहले हुए संक्रमण से तैयार हुई इम्यूनिटी को धोखा दे सकता है या नहीं। साथ ही यह भी कि किस आयुवर्ग पर इस वेरिएंट का असर सबसे ज्यादा होगा। इन सवालों के जवाब खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि इनके जवाब मिलने में 3-चार हफ्ते का वक्त लग सकता है।
 
वीके/एए (रॉयटर्स)
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