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Written By DW
Last Modified: बुधवार, 1 सितम्बर 2021 (17:03 IST)

भारत में लोगों की उम्र से 9 साल घटा सकता है प्रदूषण

भारत में लोगों की उम्र से 9 साल घटा सकता है प्रदूषण - Pollution can reduce 9 years from the age of people in India
एक अमेरिकी शोध संस्थान ने कहा है कि भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 40 फीसदी लोगों की उम्र में से 9 साल तक कम हो सकते हैं। रिपोर्ट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया है।

शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय, पूर्वी और उत्तरी भारत में रहने वाले 48 करोड़ से ज्यादा लोग काफी बढ़े हुए स्तर के प्रदूषण में जी रहे हैं। इन इलाकों में देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है।

रिपोर्ट में कहा गया है, यह चिंताजनक है कि वायु प्रदूषण का इतना ऊंचा स्तर समय के साथ और इलाकों में फैला है। रिपोर्ट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि अब इन राज्यों में भी वायु की गुणवत्ता काफी गंभीर रूप से गिर गई है।

राष्ट्रीय कार्यक्रम की तारीफ
हालांकि रिपोर्ट में 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की तारीफ की गई है और कहा गया है कि अगर इसके तहत दिए गए लक्ष्यों को हासिल कर उनका स्तर बनाए रखा गया तो देश में जीवन प्रत्याशा या लाइफ एक्सपेक्टेंसी में 1.7 सालों की बढ़ोतरी हो जाएगी।

और तो और ऐसे में नई दिल्ली में जीवन प्रत्याशा 3.1 सालों से बढ़ जाएगी। एनसीएपी का लक्ष्य है 2024 तक वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के 102 शहरों में प्रदूषण के स्तर को 20-30 प्रतिशत घटाना।

इसके लिए औद्योगिक उत्सर्जन और गाड़ियों के धुएं को कम करना, यातायात ईंधनों के इस्तेमाल और जैव ईंधन को जलाने के लिए कड़े नियम लागू करना और धूल से होने वाले प्रदूषण को कम करना। इसके लिए निगरानी के लिए बेहतर सिस्टम भी लगाने होंगे।

बड़ा संकट
भारत के पड़ोसी देशों में भी हालात का मूल्यांकन करते हुए ईपीआईसी ने कहा है कि बांग्लादेश अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए हुए वायु गुणवत्ता के स्तर को हासिल कर लेता है तो वहां जीवन प्रत्याशा में 5.4 सालों की बढ़ोतरी हो सकती है।

उम्र के इन आंकड़ों को निकालने के लिए ईपीआईसी ने लंबे समय से अलग अलग स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे लोगों के स्वास्थ्य की तुलना की और फिर उन नतीजों के हिसाब से भारत और दूसरे देशों की स्थिति को देखा।

आईक्यूएयर नाम की स्विट्जरलैंड की एक संस्था के मुताबिक 2020 में नई दिल्ली ने दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित राष्ट्रीय राजधानी होने का दर्जा लगातार तीसरी बार हासिल किया। आईक्यूएयर हवा में पीएम 2.5 नाम के कणों की मौजूदगी के आधार पर वायु गुणवत्ता नापता है। यह कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- सीके/एए (रॉयटर्स)
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