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Written By DW
Last Modified: इंफाल , शनिवार, 13 सितम्बर 2025 (07:56 IST)

मैतेई और कुकी के बीच की खाई पाट सकेगा प्रधानमंत्री का दौरा?

क्या जातीय हिंसा शुरू होने के करीब 28 महीने बाद शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी का दौरा राज्य के मैतेई और कुकी समुदायों के बीच की खाई को पाटने में कामयाब होगा? राज्य में फिलहाल यही सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है।

PM Modi Manipur Visit 2025
-प्रभाकर मणि तिवारी
मणिपुर में मई, 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी। अब तक जारी इस हिंसा में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 260 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। दो साल के बाद अब शनिवार को पहली बार करीब साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर का संक्षिप्त दौरा करेंगे। इस दौरान वो चूड़ाचांदपुर इलाके के अलावा राजधानी इंफाल के कांग्ला फोर्ट में दो अलग-अलग रैलियों को संबोधित करेंगे। यह दोनों इलाके क्रमशः कुकी और मैतेई बहुल हैं।
 
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या इस दौरे से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो सकेगी? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे से पहले राज्य में उम्मीदों और आशंकाओं का दौर तेज हो गया है। ऐसे में प्रधानमंत्री के दौरे से पहले कयास लगाना उचित नहीं होगा। यह देखना होगा कि उनके पास राज्य के लिए क्या रोडमैप है।
 
दरअसल, उम्मीदों और आशंकाओं के पर्याप्त कारण भी हैं। इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री एन।बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। उसके बाद राज्यपाल की अपील पर सरकारी शस्त्रागार से लूटे कुछ सौ हथियार जमा कराए गए थे। बीते कुछ महीनों से राज्य में हिंसा कुछ कम जरूर हुई है। लेकिन ना तो जमीनी स्थिति में खास बदलाव आया है और ना ही मैतेई और कुकी समुदाय के बीच पनपी अविश्वास की खाई कम हुई है।
 
बीते सप्ताह कुकी संगठनों के साथ केंद्र और राज्य सरकार के एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कुकी संगठनों ने नेशनल हाइवे-2 पर मुक्त आवाजाही की सहमति जरूर दी है। हालांकि मैतेई लोगों के लिए इसकी अनुमति नहीं दी गई है। हिंसा शुरू होने के करीब ढाई साल बाद भी इन समुदाय के लोग एक-दूसरे के इलाके में जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की तैयारियां
प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर तैयारियां तो बीते सप्ताह से ही शुरू हो गई थी। लेकिन इसकी औपचारिक पुष्टि शुक्रवार को हुई। राज्य के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने राजधानी इंफाल में पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री शनिवार को कुछ घंटों के दौरे पर यहां पहुंचेंगे।
 
उनके मुताबिक, प्रधानमंत्री मिजोरम की राजधानी आइजल में राज्य के पहले रेलवे नेटवर्क का उद्घाटन करने के बाद हेलीकॉप्टर से कुकी-बहुल चूड़ाचांदपुर में पहुंचेंगे। वहां हिंसा में विस्थापित लोगों से मुलाकात के बाद वो कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और कुछ का उद्घाटन करेंगे। उसके बाद वहां उनको एक रैली को संबोधित करना है।
 
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि अगर मौसम खराब हुआ तो प्रधानमंत्री आइजल से सीधे इंफाल पहुंचेंगे। वहां रैली के बाद वो चूड़ाचांदपुर जाएंगे।
 
प्रधानमंत्री के दौरे के लिए सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए राज्य पुलिस के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हजारों जवानों को तैनात किया गया है।  राज्य सरकार की ओर से जारी एक निर्देश में प्रधानमंत्री की सभा में पहुंचने वाले लोगों पर चाबी, कलम, पानी की बोतल, बैग, रूमाल, छाता, लाइटर, माचिस, कपड़े का टुकड़ा या कोई धारदार चीज लाने पर पाबंदी लगा दी गई है। इसी तरह चूड़ाचांदपुर में एयर गन पर पाबंदी लगाई गई है। पूरे राज्य में जगह-जगह प्रधानमंत्री के स्वागत में पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं।
 
हालांकि इसी बीच चूड़चांदपुर में प्रधानमंत्री की सभा वाले इलाके में कुछ उपद्रवियों की ओर से तोड़-फोड़ की खबरें भी सामने आई हैं। चूड़ाचांदपुर से प्रधानमंत्री राजधानी इंफाल पहुंचेंगे। वहां ऐतिहासिक कांग्ला फोर्ट में उनकी सभा के लिए एक मंच बनाया गया है।
 
 प्रधानमंत्री मोदी इंफाल में भी जातीय हिंसा के शिकार और विस्थापित लोगों और उनके परिजनों से मुलाकात करेंगे। फिलहाल राज्य के 280 राहत शिविरों में करीब 57 हजार लोग रह रहे हैं।
 
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताते हैं, "राज्य में जमीनी हालत में खास बदलाव नहीं आया है। बीती रात यानी 11 सितंबर को चूड़ांचादपुर इलाके में प्रधानमंत्री के स्वागत में सड़कों पर बने कई गेट तोड़ दिए गए। हेलीपैड, जहां प्रधानमंत्री को उतरना है, के पास भी तोड़-फोड़ हुई है।"
 
इस घटना के वायरल वीडियो में उपद्रवियों को कुछ जगह तोड़-फोड़ के बाद आगजनी करते हुए भी देखा जा सकता है।
 
प्रधानमंत्री का स्वागत और विरोध
कुकी संगठनों ने प्रधानमंत्री के दौरे का स्वागत तो किया है। लेकिन सरकारी कार्यक्रम के दौरान नृत्य का कार्यक्रम आयोजित करने पर विरोध जताया है। कुकी संगठन के एक प्रवक्ता डीडब्ल्यू से कहते हैं, "मौजूदा जमीनी परिस्थिति में प्रधानमंत्री के दौरे के समय ऐसा कार्यक्रम शोभा नहीं देता। राज्य में हालत अब भी संवेदनशील है।"
 
कुकी-जो के एक अन्य संगठन ने अपने बयान में कहा है, "अब तक ना तो हमारे आंसू सूखे हैं और ना ही घाव भरे हैं। ऐसे में हम खुशी से नाच नहीं सकते।" इसी तरह एक प्रतिबंधित उग्रवादी गुट ने प्रधानमंत्री के दौरे के विरोध में 13 सितंबर को बंद की अपील की है।
 
प्रधानमंत्री के दौरे पर राजनीतिक बयान
मणिपुर बीजेपी ने प्रधानमंत्री के इस दौरे का स्वागत किया है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य लेशेम्बा सनजाओबा ने इंफाल में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री खुद यहां लोगों की समस्याएं सुनेंगे और समझेंगे। राज्य में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। लेकिन उस दौर में किसी प्रधानमंत्री ने ना तो राज्य का दौरा किया और ही लोगों की समस्याएं सुनीं। उम्मीद है इस दौरे से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल होने की प्रक्रिया तेज होगी।
 
मैतेई संगठनों का कहना है कि प्रधानमंत्री को सबसे पहले नेशनल हाइवे पर मैतेई समुदाय के लोगों की मुक्त आवाजाही और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
 
दूसरी ओर, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के इस दौरे को 'सांकेतिक' बताते हुए है है कि इसका मकसद शांति बहाल करना नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने डीडब्ल्यू से कहा, "मोदी का यह दौरा महज सांकेतिक और दिखावा है। लंबे समय से इसके लिए उनकी आलोचना हो रही थी। राहत शिविरों में रहने वाले हजारों लोगों को उम्मीद थी कि वो शांति, पुनर्वास और प्रभावितों को न्याय दिलाने के लिए किसी ठोस योजना के साथ यहां आएंगे। लेकिन यह साफ नहीं है। शांति और आपसी सद्भाव की बहाली फिलहाल राज्य की सबसे बड़ी जरूरत है। विकास योजनाएं और कुछ समय तक इंतजार कर सकती हैं।"
 
मेघचंद्र ने दावा किया कि इसी वजह से आम लोगों भी उनके दौरे से खुश नहीं हैं। चूड़ाचांदपुर में हुई तोड़फोड़ इसका सबूत है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इतने लंबे समय बाद प्रधानमंत्री के एक दौरे से तत्काल किसी बड़े बदलाव की उम्मीद कम ही है। मोदी के सामने वैसे तो कई चुनौतियां हैं। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों के बीच पैदा होने वाली खाई को पाटना है। केंद्र और राज्य सरकार को पहले कुकी और मैतेई बहुल इलाकों में मुक्त आवाजाही बहाल करने की चुनौती है।
 
प्रधानमंत्री के इस दौरे से राज्य की स्थिति में बदलाव की कितनी उम्मीद है? इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार टी। सरोज सिंह डीडब्ल्यू से कहते हैं, "पहले यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री यहां दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बहाल करने के मुद्दे पर क्या एलान करते हैं। विकास परियोजनाओं के उद्घाटन या शिलान्यास से इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकलेगा। सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों के बीच अविश्वास की खाई को पाट कर आपसी सद्भाव बहाल करना है। उसके बाद ही इस सवाल का जवाब मिलेगा।"
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