महंगे होंगे Loan, अगर लिया है 20 साल के लिए 20 लाख का लोन, क्या होगा EMI पर असर?
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो दर में 0.35% इजाफा किया है। अब ब्याज दरें 5.90 से बढ़कर 6.25% पर पहुंच गई है। पिछले 8 माह में RBI ने महंगाई काबू करने के लिए रेपो दर में 5 बार में 2.25% की वृद्धि कर चुका है। इस फैसले से नए लोन तो महंगे होंगे ही साथ ही पुराने लोन की EMI पर भी इसका असर होगा।
महंगा मिलेगा नया Loan : रिजर्व बैंक के फैसले के बाद अब धीरे धीरे सभी बैंकें ब्याज दर बढ़ाने की घोषणा कर देगी। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन या किसी अन्य तरह का लोन लेता है तो अब उसे ज्यादा ब्याज चुकाना होगा।
अगर किसी व्यक्ति ने 20 साल के लिए 20 लाख का होम लोन 7.55 की दर से लिया है और फिक्सड रेट का विकल्प चुना है तो उसे 16,173 रुपए की ईएमआई चुकानी पड़ती है। पूरी लोन अवधि में उसकी ईएमआई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके विपरित अगर उसने फ्लोटिंग रेट विकल्प चुना है और अगर बैंक ने इंटरेस्ट रेट .45 प्रतिशत भी बढ़ा दिया तो उसे अब हर माह 16,605 रुपए चुकाने होंगी। इस तरह उसकी EMI हर माह 432 रुपए से बढ़ जाएगी।
इसी तरह कार लोन की ब्याज दरों में पिछले 7 महीनों में भारी इजाफा हुआ है। ऐसे में अगर आपने मार्च में कार लोन 7.40% पर लिया था तो वो अब 9.30% पर पहुंच गया है।
क्या है फिक्स्ट रेट और फ्लोटिंग रेट में अंतर : फिक्स्ड रेट लोन के तहत इंटरेस्ट रेट पूरी लोन अवधि में समान रहती है। इस वजह से अगर बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता भी है तो फिक्स्ड रेट पर लिए गए लोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर पूरी लोन अवधि के दौरान अगर मार्केट में ब्याज दरें कम होती हैं तो भी फिक्स्ड रेट समान ही रहेंगी और आपकी ईएमआई भी कम नहीं होगी। इसी तरह ब्याज दर बढ़ने का भी ईएमआई पर कोई असर नहीं होगा।
इसके विपरित फ्लोटिंग रेट लोन के मामले में ब्याज दरें बैंक/ लोन संस्थानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बेंचमार्क रेट में आए बदलाव के अनुसार घटती-बढ़ती रहती हैं। फ्लोटिंग ब्याज दर वाले होम लोन आमतौर पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट होम लोन से सस्ते होते हैं। फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेने वालों से कोई प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर फीस भी नहीं वसूलता है।
कैसे करें EMI की गणना : लोन की ईएमआई को तुरंत कैलकुलेट करने के लिए आप ऑनलाइन ईएमआई कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। ऑनलाइन लोन कैलकुलेटर मूल राशि, ब्याज दर और अवधि के आधार पर आपको बता देता है कि आपको कितनी EMI देनी होगी? इसकी मदद से आप यह भी पता लगा सकते हैं कि आप पूरी भुगतान अवधि के दौरान आपको कितना ब्याज लगेगा।