• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. जम्मू-कश्मीर न्यूज़
  4. Weather will become villain in Amarnath Yatra
Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : सोमवार, 27 जून 2022 (16:54 IST)

Amarnaath Yatra: अमरनाथ यात्रा में मौसम बनेगा विलेन, अब तक हुआ 3 लाख से ज्यादा का पंजीकरण, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

Amarnath
जम्मू। अगर मौसम विभाग की मानें तो इस बार अमरनाथ यात्रा में मौसम विलेन बनेगा। अमरनाथ यात्रा व मानसून के साथ-साथ चलने से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को बहाल रखना भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। मौसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर के निदेशक सोनम लोटस का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में मानूसन 30 जून या फिर जुलाई के पहले सप्ताह में दस्तक देगा। ऐसे में सामान्य से भारी बारिश का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।

 
हाल ही में हुई प्री-मानसून वर्षा ने जिस तरह जम्मू-श्रीनगर हाईवे को ढाई दिनों तक के लिए बाधित किया है, उससे यह तो साफ है कि मानसून के साथ ही शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा न तो निर्माण व अन्य एजेंसियों के लिए आसान होगी और न ही अमरनाथ यात्रियों के लिए। रामबन जिला में रामबन से बनिहाल के बीच के 45 किलोमीटर अमरनाथ यात्रियों के साथ प्रशासन, पुलिस और निर्माण एजेंसियों सहित सबके लिए सबसे ज्यादा चुनौतीभरे होंगे।
 
एक ही दिन की बारिश हाईवे का ऐसा हाल कर सकती है तो मानसून के दौरान क्या हाल होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। वैसे भी यात्रा के साथ ही मानसून भी शुरू हो रहा है और शुरू होने के साथ अच्छी वर्षा का पूर्वानुमान जताया जा रहा है। हाईवे की स्थिति को देखते हुए यह चुनौती, चिंता और परेशानी का विषय है।

 
रामबन के डीसी मस्सरत इसलाम ने कहा कि जिले में तकरीबन 66 किलोमीटर यात्रा मार्ग स्थित है। मगर जिला प्रशासन अमरनाथ यात्रा के सुचारु संचालन के लिए सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। हाल ही में हुई बारिश से जिन इलाकों में हाईवे बंद हुआ, वहां पर हुई समस्या के मुताबिक निर्माण एजेंसी व अन्य एजेंसियों को सुरक्षात्मक उपाय करने को कहा गया है जिससे कि हाईवे को सुचारु रखा जा सके। जिला प्रशासन और निर्माण व अन्य एजेंसियां हाईवे को खुला रखने के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार हैं।
 
हालांकि इस विलेन से निपटने को लखनपुर से लेकर कश्मीर में आधार शिविरों में 1.30 लाख अमरनाथ यात्रियों को रोकने के प्रबंध किए गए हैं। इसमें कश्मीर के आधार शिविरों को छोड़कर अनंतनाग जिले में 8 हजार, जम्मू में यात्री निवास में 1600-1800, कठुआ में 5 हजार, सांबा में 8,000 यात्रियों के ठहरने के प्रबंध किए गए हैं।
 
30 जून से हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए आधार कैंपों में टेंट सिटी बनकर तैयार है। मौसम खराब होने की स्थिति में आधार शिविरों में 3 दिन की यात्रा रोकी जा सकेगी। यानी 3 दिन की यात्रा से जुड़े श्रद्धालुओं को रहने, खाने-पीने में किसी प्रकार की दिक्कत सामने नहीं आएगी। पूरे श्राइन क्षेत्र में 70 हजार से अधिक यात्रियों के ठहरने का प्रबंध किया गया है।

 
 
8 लाख श्रद्धालुओं को शामिल करवाने का टारगेट: अमरनाथ श्राइन बोर्ड का टारगेट इस बार कम से कम 8 लाख श्रद्धालुओं को अमरनाथ यात्रा में शामिल करवाना है। इसके लिए वह करंट पंजीकरण को अंतिम दिन तक जारी रखने की इच्छा लिए हुए है। हालांकि अभी तक 3 लाख से ज्यादा का पंजीकरण हो चुका है। इतना जरूर था कि यात्रा को इस बार हवाई क्षेत्र से ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है और उसे हवाई सुरक्षा प्रदान की जाएगी जबकि पहली बार बालटाल के यात्रा मार्ग पर करीब पौने 3 किमी का सफर आनंदायक बनाने की खातिर श्राइन बोर्ड नि:शुल्क बैटरी कार चलाने जा रहा है।
 
यात्रा के लिए 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवा लिया है। अमरनाथ की वार्षिक यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है। पंजीकरण की प्रक्रिया यात्रा के अंत तक जारी रहेगी। अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था जिसमें साधु भी शामिल होंगे, यात्री निवास भगवती नगर जम्मू और राम मंदिर जम्मू से 29 जून को रवाना होगा।
 
यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवा को छोड़कर दोनों यात्रा मार्ग से रोजाना 10-10 हजार श्रद्धालुओं को रवाना किया जाएगा। पहली बार बालटाल से दोमेल तक के 2.75 किलोमीटर लंबे सफर के लिए बोर्ड ने नि:शुल्क बैटरी कार सेवा शुरू की है।
 
अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार अब तक 3 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवा लिया है। इसमें 13 वर्ष से कम की आयु 75 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रद्धालुओं को यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं है। साल 2019 साल में 1 जुलाई से लेकर 1 अगस्त के बीच 3.42 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे। अनुच्छेद 370 समाप्त करने से पहले यात्रा को रोक दिया गया था।

 
सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त : इस बार अमरनाथ की यात्रा में रिकॉर्डतोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यही वजह है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर बालटाल और पहलगाम और फिर पवित्र गुफा तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
 
इस बार पहली बार ड्रोन और आरएफआइडी यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस से श्रद्धालु सुरक्षा एजेंसियों की आंख से पलभर के लिए भी ओझल नहीं हो सकेंगे। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण 2 वर्ष के उपरांत अमरनाथ की यात्रा शुरू हो रही है। प्रदेश पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बलों के हजारों जवान विशेष रूप से तैनात किए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त रूप से सेना की राष्ट्रीय राइफल्स का घेरा भी मौजूद रहेगा।(फ़ाइल चित्र)
ये भी पढ़ें
इस देश का सरकारी चैनल क्यों सिखा रहा गाड़ियों से पेट्रोल-डीजल चुराना?