जम्मू। कश्मीर में जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले 16 सालों के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि इस अरसे में जानवरों ने बस्तियों में घुस कर 241 की जान ले ली और 3000 से अधिक को जख्मी कर दिया। घायलों में से कई अपंग हो चुके हैं जबकि कई अभी भी जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
दरअसल कश्मीर में सबसे ज्यादा मानव-जानवर का संघर्ष हिमालयी काले भालू और तेंदुओं के साथ है और इसके अधिकतर शिकार छोटे बच्चे व बुजुर्ग ही हो रहे हैं। अधिकारियों ने आंकड़ा सांझा करते हुए बताया कि यह संघर्ष अब दिनोंदिन तेजी पकड़ता जा रहा है।
उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2006 से जुलाई 2022 के अंत तक, 241 व्यक्ति मारे गए हैं और 2,946 व्यक्ति मानव-पशु संघर्ष में घायल हुए हैं। अधिकारियों का मानना है कि संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि के पीछे मानव आबादी में वृद्धि, आबादी का क्षरण, आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि और एलओसी पर बाड़ लगाना है।
आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2006-07 में, कश्मीर में मानव-पशु संघर्ष में 18 लोगों की मौत हो गई और 134 लोग घायल हो गए। जबकि वर्ष 2007-08 में, 15 लोगों की जान चली गई व 141 लोग घायल हो गए। इसी तरह 2008-09 में 22 लोगों की मौत हुई थी और 193 लोग घायल हुए। 2009-10 में 20 लोगों की मौत हुई और 232 घायल हुए और 2010-11 में मानव-पशु संघर्ष में 24 लोगों की जान चली गई और 306 घायल हो गए।
यह सिलसिला उसके बाद भी रूका नहीं। यह अगले साल के आंकड़ों से स्पष्ट होता था कि फिर वर्ष 2011-12 में, कम से कम 28 लोग मारे गए और 315 घायल हुए जबकि अगले वर्ष (2012-13) में 11 मौतें और 259 घायल हुए, जबकि 2013-14 में 28 मौतें और 333 घायल हुए।
बहुतेरी कोशिशों के बावजूद जानवरों को इंसानों पर हमलों से रोका नहीं जा सका। जिसका परिणाम था कि वर्ष 2014-15 में 11 मौतें और 189 घायल होने की सूचना मिली थी। 2015-16 में 10 मौतें और 259 घायल होने की सूचना मिली थी। 2016-17 में 07 मौतें, 127 घायल हुए। 2017-18 में 08 मौतें, 120 घायल हुए। वर्ष 2018-19 में 06 मौतें और 83 घायल हुए, जबकि 2019-20 में आंकड़े बढ़ते चले गए और 11 मौतें 85 घायल को इस साल देखना पड़ा। वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में मानव पशु संघर्ष में 10 लोगों की जान चली गई जबकि 75 व्यक्ति घायल हो गए।
आंकड़ों में आगे कहा गया है कि चालू वर्ष में, जुलाई 2022 के अंत तक, 07 लोगों की जान चली गई, जबकि 42 घायल हो गए। जम्मू और कश्मीर में वन्यजीव विभाग न्यूनतम मानव-पशु संघर्ष की घटना, लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के अलावा पक्षियों के शिकार को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है।
एक वन्यजीव अधिकारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मुख्य चुनौती मानव-पशु संघर्ष है क्योंकि भालू और तेंदुए कश्मीर में रिहायशी इलाकों में जा रहे हैं, जबकि सांप जम्मू में घरों में पाए जाते हैं।