जम्मू कश्मीर चुनाव का इमोशनल रंग, चुनाव मैदान में अब्बा और अम्मी, प्रचार में जुटे बच्चे
Jammu Kashmir elections : जम्मू कश्मीर के चुनावों का एक रंग यह भी है कि कईयों के अब्बा और अम्मी चुनाव मैदान में हैं और प्रचार के लिए बच्चों को मैदान में उतरना पड़ रहा है। हालांकि यह सच है कि चुनाव मैदान में उतरने वाले नाबालिग नहीं हैं।
उमर अब्दुल्ला के बड़े बेटे जमीर अब्दुल्ला ने चुप रहने की बेड़ियाँ तोड़ दीं और पिछले सप्ताह एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान गंदरबल सीट से अपने पिता के लिए समर्थन जुटाने के लिए खुलकर सामने आए। यह उनके जीवन का पहला सार्वजनिक भाषण था, न कि खुद के लिए, बल्कि उनके हताश पिता और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के लिए।
जमीर ने कहा कि मेरे परदादा शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने गंदरबल से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। यह भूमि हमारे बहुत करीब रही है। मेरी परदादी इस जगह से सांसद बनीं और शेख अब्दुल्ला ने तीन बार यहां से जीत हासिल की। उन्होंने कहा कि उनके पिता उमर भी 2014 में गंदरबल से चुने गए थे। जिले से जनता का समर्थन कैसा मिल रहा है, इस बारे में पूछे जाने पर जमीर ने कहा कि नेकां के प्रति लोगों में काफी उत्साह है।
संवाददाताओं से बात करते हुए जमीर ने कहा था कि जहां तक प्रचार की बात है, तो मैंने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। मैं गंदरबल के लोगों को पार्टी का एजेंडा समझाने के लिए घर-घर जा रहा हूं।
उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों से यहां कोई सरकार नहीं है। उनका कहना था कि लोग कहां जाएंगे? रोजगार एक मुद्दा है। नशा भी एक बड़ा मुद्दा है। हमने बेरोजगारी से निपटने के लिए युवाओं को एक लाख नौकरियां देने का वादा किया है। शेख अब्दुल्ला ने मुफ्त शिक्षा शुरू की। जहां युवाओं को भविष्य में रोजगार के अवसर मिलेंगे, तभी वे पढ़ाई करेंगे। गंदरबल में उमर को पीडीपी के बशीर मीर से कड़ी टक्कर मिल रही है।
जहां जमीर गंदरबल में अपने पिता के लिए घर-घर जाकर प्रचार करने में व्यस्त हैं, वहीं जेल में बंद मौलवी सरजान बरकती की बेटी सुगरा भी अपने पिता के लिए समर्थन मांगने के लिए मैदान में हैं। सुगरा अब तक की अपनी लगभग हर रैली में रो पड़ती हैं। उनके पिता बडगाम जिले के बीरवाह और मध्य कश्मीर के गंदेरबल से चुनाव लड़ रहे हैं।
बीरवाह में एक रैली में उन्होंने कहा कि मैंने बचपन नहीं देखा। वह खो गया है। मेरे माता-पिता जेल में हैं। आपका वोट सब कुछ बदल सकता है और मेरे माता-पिता को वापस ला सकता है। सुगरा के साथ उनके भाई भी हैं। वह लोगों से यह संकल्प लेने के लिए कहती हैं कि वे उनके पिता को वोट देंगे। उनका दावा है कि वोट की ताकत मेरे पिता की जमानत पर रिहाई सुनिश्चित कर सकती है।
इस साल मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान कश्मीर में बच्चों को चुनाव प्रचार में शामिल करने की शुरुआत हुई। ए आर राशिद के बेटे अबरार राशिद ने पूरे उत्तरी कश्मीर में अपने पिता के लिए प्रचार किया और नतीजे चौंकाने वाले रहे। ए आर राशिद तिहाड़ जेल में होने के बावजूद उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को दो लाख से अधिक वोटों से हरा दिया था।
Edited by : Nrapendra Gupta