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Last Modified: शनिवार, 8 अप्रैल 2023 (19:06 IST)

अंटार्कटिक में तेजी से पिघल रही बर्फ की चादर, दुनियाभर के सैकड़ों शहरों पर पड़ेगा यह असर

अंटार्कटिक में तेजी से पिघल रही बर्फ की चादर, दुनियाभर के सैकड़ों शहरों पर पड़ेगा यह असर - The ice sheet is melting rapidly in the Antarctic
न्यूकैसल अपॉन टाइन (इंग्लैंड)। अमेरिका और मैक्सिको के संयुक्त क्षेत्र से भी अधिक हिस्से को ढंकने वाली अंटार्कटिक बर्फ की चादर अगर पूरी तरह से पिघल जाए तो समुद्र के स्तर में 57 मीटर से अधिक की वृद्धि होगी। इससे दुनियाभर के सैकड़ों शहरों में बाढ़ आ जाएगी। प्रमाण बताते हैं कि यह हिम चादर तेजी से पिघल रही है।

उपग्रह के विश्लेषण से पता चला है कि पश्चिमी अंटार्कटिक के तटीय क्षेत्रों में जमी हुई विशाल बर्फ हाल के वर्षों में प्रति दिन 30 मीटर तक सिकुड़ रही है। लेकिन बर्फ की चादर में परिवर्तन का उपग्रह रिकॉर्ड अपेक्षाकृत कम है क्योंकि केवल 50 साल से इस पर नजर रखी गई है।

यह हमारी समझ को भी सीमित करता है कि बर्फ की चादरें लंबे समय तक कैसे विकसित हुई हैं और किस गति से यह घट रही हैं। इसलिए हमने यह अध्ययन किया कि तापमान में बढ़ोतरी की पिछली अवधि के दौरान बर्फ की चादरों ने कैसे प्रतिक्रिया दी। यह जलवायु परिवर्तन लगभग 20000 और 11000 साल पहले हुआ था। हिमनद के घटने से उस समय पृथ्वी का विस्तार हुआ जब बर्फ की चादरें यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बड़े हिस्से को कवर करती थीं।

पिछली बार बर्फ की चादर में ह्रास के दौरान, तापमान की दर और समुद्र के स्तर में वृद्धि मोटे तौर पर आज की तुलना में थी। इसलिए इस अवधि में बर्फ की चादरों में परिवर्तन का अध्ययन करने से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि पृथ्वी की दो शेष बर्फ की चादरें (ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक) भविष्य में और भी गर्म जलवायु पर कैसे प्रतिक्रिया दे सकती हैं। हमारे हाल में प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि बर्फ की चादरें प्रति दिन 600 मीटर तक सिकुड़ने में सक्षम हैं।

कितनी तेजी से सिकुड़ रही बर्फ की चादर
हमारे शोध ने कॉरुगेशन रिजेश नामक छोटे भू-आकृतियों की पहचान करने के लिए नॉर्वेजियन सीफ्लोर के उच्च-रिजॉल्यूशन मानचित्रों का इस्तेमाल किया। ये 1-2 मीटर के ऊंचे टीले तब बने थे जब पूर्व में बर्फ की चादर पिघल गई थी। ज्वार ने बर्फ की चादर को ऊपर-नीचे कर दिया। कम ज्वार पर, बर्फ की चादर समुद्र तल पर टिकी हुई थी।

यह देखते हुए कि नॉर्वे तट से हर दिन दो ज्वार उठते हैं, दो अलग-अलग टीले प्रतिदिन उत्पन्न होते थे। इन टीलों के बीच की जगह को मापने से हमें बर्फ की चादर के पीछे हटने की गति की गणना करने में मदद मिली।

हमने स्कैंडिनेवियाई बर्फ की चादर का अध्ययन किया। इसके हिसाब से पिछली बार हिम चादर पिघलने के दौरान, प्रति दिन 50 और 600 मीटर के बीच की दर से पिघल रही थी। यह दर बर्फ की चादर पिघलने की उच्चतम दर की तुलना में 20 गुना ज्यादा हैं जो अब तक अंटार्कटिक में उपग्रहों से मापी गई हैं।

समतल क्षेत्रों में हिम चादर के घटने की उच्चतम दर होती है। समतल घाटी वाले क्षेत्रों में अपेक्षाकृत प्रति दिन आधा मीटर तक बर्फ पिघलती है। इन क्षेत्रों में बर्फ की चादरें सतह से बहुत हल्के ढंग से जुड़ी होती हैं और इसलिए पूरी तरह से गायब के लिए केवल न्यूनतम मात्रा में बर्फ के पिघलने की आवश्यकता होती है।

अतीत से मिली एक चेतावनी
हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि जलवायु के गर्म होने की अवधि के दौरान बर्फ की चादरें कितनी जल्दी गायब होने में सक्षम होती हैं। हमारा मानना है कि मौजूदा गति के मुताबिक प्रति दिन अंटार्कटिक में बर्फ की चादर सैकड़ों मीटर तक सिकुड़ सकती हैं।

हमारे नतीजे इस बात पर नई रोशनी डालते हैं कि बर्फ की चादरें अलग-अलग समय के दौरान किस गति से पिघलती रही हैं। सिकुड़ने की उच्च दर दशकों से सदियों तक हो सकती है जहां बर्फ की चादर का फैलाव अंतर्देशीय हो जाता है। हमने पाया कि समतल क्षेत्रों में बर्फ की चादरें बहुत कम समय में बहुत तेजी से सिकुड़ रही हैं।
Edited By : Chetan Gour (द कन्वरसेशन)
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