कंप्यूटर साइंस पढ़ाया बिना किसी कंप्यूटर के
अकरा (घाना)। घाना की राजधानी अकरा से करीब 250 मील दूर कुमासी नामक शहर के एक जूनियर हाई स्कूल में 33 वर्षीय अध्यापक ओवुरा क्वाडो होटिश सूचना और संचार तकनीक पढ़ाने वाले अध्यापक हैं। लेकिन खास बात यह है कि कंम्यूटर पढ़ाने के लिए अध्यापक के पास कुछ समय पहले तक कोई कंप्यूटर नहीं था। इसलिए उन्होंने रंगीन चाक की मदद से कंप्यूटर स्क्रीन के चित्र बनाए और बच्चों को एमएस वर्ड कैसे काम करता है, समझाया।
ओवुरा के पास कुछ समय पहले तक एक लैपटॉप था लेकिन वह भी टूट गया था। इसलिए उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर चॉक से डाइग्राम बना कर अपने छात्रों को कंप्यूटर साइंस पढ़ाई। हाल ही में वे पहली बार अपने देश से बाहर पहली विदेश यात्रा पर सिंगापुर आए।
सिंगापुर की एक ग्लोबल कांफ्रेंस में घाना के इस अध्यापक होटिश का किसी मशहूर सितारे जैसा स्वागत हुआ। घाना के गरीब छात्रों को ब्लैकबोर्ड के सहारे कंप्यूटर सिखाने की उन्होंने जो पहल की है उसके बलबूते अब वह सिलकॉन वैली के दिग्गजों के साथ मुलाकात कर रहे हैं, उनकी प्रशंसा पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि फरबरी में जब ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाने के तरीके का वीडियो बनाकर माइक्रोसॉफ्ट को भेजा तो यह वीडियो वायरल हो गया और उन्हें माइक्रोसॉफ्ट द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में आने का न्यौता मिला।
फेसबुक यूजर्स ब्लैकबोर्ड पर उनके बनाए कंप्यूटर स्क्रीन के सटीक डायग्राम को देख कर हैरान रह गए। बड़ी सावधानी से उन्होंने ना सिर्फ माउस और कीबोर्ड बल्कि टूलबार और आइकन भी बनाए। विदित हो कि उनके छात्रों ने कंप्यूटर को सिर्फ ब्लैकबोर्ड पर ही देखा था।
उन्होंने बताया, 'मैं बस माउस और कॉर्ड की ड्राइंग बना देता और उनसे कहता कि यह माउस है। यह इसकी बॉडी और यह इसकी पूंछ।' लेकिन जब उनकी क्लास की तस्वीरें इंटरनेट पर डाली गईं तो दुनिया भर में इसकी प्रतिक्रिया हुई। उनकी मदद के लिए बहुत से लोग और संगठन सामने आ गए।
वे कहते हैं, ' लोगों ने मुझे बुलाना शुरू किया...मुझे लगा कि मैंने अपने लिए कैसी मुसीबत मोल ली। लेकिन यह सब अच्छा रहा। आखिरकार इससे कुछ अच्छा ही निकल कर आया।' ब्रिटेन के एक दानदाता ने उन्हें लैपटॉप दिया और घाना की एक आईटी कंपनी ने स्कूल के लिए पांच कंप्यूटर और उनके लिए एक लैपटॉप दिया।
उनके छात्रों ने जब सचमुच का कंप्यूटर देखा तो वे खुशी से भर गए। इसके अलग अलग हिस्सों को तो वे पहले से ही ड्राइंग में देख कर पहचान चुके थे। सिंगापुर के तीन दिन के सम्मेलन में उन्हें दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने खड़े हो कर सम्मान दिया तो उन्होंने बताया कि इतना दान मिल गया है कि अब उन्हें कभी कंप्यूटर की ड्राइंग नहीं बनानी पड़ेगी।
लेकिन वह और अधिक कंप्यूटर चाहते हैं ताकि उन्हें और कंप्यूटर मिलें ताकि उनके इलाके के जिन दूसरे स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है, वहां के बच्चों तक इन्हें पहुंचाया जा सके और घाना के बच्चे भी कंप्यूटर के जरिए कुछ सीख सकें।