इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी ताकतों और देश के भ्रष्ट विपक्षी नेताओं के बीच की गहरी साजिश करार देते हुए कहा कि वे इसके आगे नहीं झुकेंगे और आखिरी दम तक इसका मुकाबला करेंगे। हालांकि रविवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद इमरान की 'किस्मत' का फैसला हो जाएगा, लेकिन भावुक भाषण में पाक प्रधानमंत्री ने 'गेम' पलटने की कोशिश जरूर की है। उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी इसका पता कुछ ही घंटों बाद यानी 3 अप्रैल को पता चल जाएगा।
पाकिस्तान की जनता के नाम टेलीविजन पर सीधे प्रसारण में संबोधन करते हुए क्रिकेट से राजनीति में आए इमरान खान ने लोगों का आह्वान किया कि वे इस साजिश को पहचानें और इसमें शामिल देश के नेताओं और विदेशी ताकतों को कभी न भूलें। खान ने इस्तीफे की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि वे लड़ेंगे और मजबूत होकर उभरेंगे।
रविवार को तय होगी देश की दिशा : अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर रविवार को नेशनल असेंबली में होने वाले मतदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उस दिन पाकिस्तान की दिशा तय होगी। इसमें यह तय होगा कि क्या पाकिस्तान भ्रष्टाचार के मामलों का सामना करेगा और भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं के हाथ में जाएगा।
चिट्ठी साजिश का हिस्सा : खान ने चर्चित पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इसमें अविश्वास प्रस्ताव का भी जिक्र है और इससे जाहिर होता है कि प्रस्ताव साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि उनकी मंशा यह पत्र दिखाकर खौफ पैदा करना नहीं है बल्कि यह पत्र उन्होंने साजिश को उजागर करने के लिए पहले मंत्रिमंडल के सामने रखा, फिर सुरक्षा परिषद की बैठक में रखा, संसद की समिति के सामने रखा और फिर पत्रकारों को दिखाया।
विदेश नीति भारत के खिलाफ नहीं : इमरान ने कहा कि वह पाकिस्तान की विदेश नीति को पाकिस्तान के 22 करोड़ लोगों के हित में बनाना चाहते हैं। यह नीति अमेरिका यूरोप या भारत के खिलाफ नहीं है। इमरान खान ने अपने संबोधन में भारत का भी जिक्र किया और कहा कि जब भारत ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया तब उन्होंने उस कदम का विरोध किया।
मुशर्रफ की सबसे बड़ी गलती : उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ पश्चिम की लड़ाई में पाकिस्तान को फ्रंटलाइन स्टेट बनाना, जनरल परवेज मुशर्रफ की सबसे बड़ी गलती थी। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ के हस्तक्षेप के खिलाफ लड़ाई में साथ देने के लिए हजारों की संख्या में मुजाहिदों को प्रशिक्षण दिया और वही मुजाहिदीन बाद में पाकिस्तान के खिलाफ हो गए। पश्चिमी देशों की गुलामी का विरोध करने के लिए ही उन्हें तालिबान कहा गया।
खान ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले अपनी कैबिनेट में, फिर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में और फिर संसदीय समिति एवं वरिष्ठ पत्रकारों को वो पत्र दिखाए हैं और उनमें मुल्क को उकसाने से भी अधिक खौफनाक बातें हैं। उन्होंने कहा कि ये जो मैरिएट होटल में बैठकर जो तमाशा चल रहा है, उससे हमारे नौजवानों को क्या सबक दे रहे हैं। यही कि जनप्रतिनिधियों का सौदा हो रहा है।
विपक्ष पर मुल्क का सौदा करने का आरोप : उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को सब जानते हैं जो ज़मीरों का, मुल्क का और संप्रभुता का सौदा कर रहे हैं। हालांकि उन्हें अब भी उम्मीद है कि वे समझेंगे कि उन पर कौन सी मुहर लग रही है। अवाम ना ऐसे लोगों को और ना उन्हें पर्दे के पीछे से संचालित करने वालों को भूलेगी नहीं और ना ही माफ करेगी।
मीरजाफर आया याद : उन्होंने कहा कि ये लोग मुल्क के साथ वैसी ही गद्दारी कर रहे हैं जैसे मीरजाफर ने नवाब सिराजुद्दौला के साथ या मीर सादिक ने टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों के साथ मिलकर की थी। लोग ताउम्र ऐसे लोगों को याद रखेंगे और आने वाली नस्लें उन्हें माफ नहीं करेंगी।
सत्ता से हटने के बाद अपने घर में ही रहेंगे : खान ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में खुद के कोई कारखाने नहीं लगाए और ना ही दौलत कमाई है। ना ही कोई रिश्तेदार राजनीति में है। वह सत्ता से हटने के बाद भी अपने घर में ही रहेंगे। उन्होंने अवाम से कहा कि गद्दारों में से एक-एक की शक्लें याद रखें। उन्होंने कहा कि इमरान खान चुप नहीं बैठेगा और सारी जिंदगी इस बुराई का मुकाबला करता रहेगा। उन्हें सत्ता किसी खैरात में नहीं मिली, संघर्ष करके यहां तक आए हैं। वह किसी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।
गलत विदेश नीति से बर्बाद हुआ पाक : खान ने कहा कि उन्होंने अपने बचपन में पाकिस्तान को तरक्की की राह पर तेजी से ऊपर जाते देखा था और इस्लामिक जगत में पाकिस्तान को रोल मॉडल के रूप में देखा जाता था, लेकिन बाद में गलत विदेश नीति के कारण पाकिस्तान बर्बाद हो गया। खान का भाषण भारतीय समयानुसार 7:45 पर शुरू होना था, लेकिन यह करीब एक घंटे बाद शुरू हुआ।