• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Do we still have the genes of primitive humans within us?

क्या हमारे भीतर अब भी आदि मानव के जीन हैं? क्या कहती है नोबेल विजेता की खोज

क्या हमारे भीतर अब भी आदि मानव के जीन हैं? क्या कहती है नोबेल विजेता की खोज - Do we still have the genes of primitive humans within us?
  • आधुनिक मनुष्यों में निएंडरथल मानव के अभी भी 1 से 4 प्रतिशत तक जीन।
  • नोबेल विजेता स्वांते पैएबो ने की है यह खोज।
  • प्रागैतिहासिक विकासक्रम की आनुवंशिक राह पर प्रकाश डाला।
  • स्वीडन के नागरिक हैं पैएबो।
इस बार चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार एक ऐसे वैज्ञानिक को मिला है, जो स्वीडन का नागरिक है, जर्मनी में रहता है और चिकित्सा विज्ञान नहीं, मानव जाति की विकास-यात्रा के आनुवंशिक पदचिन्हों का खोजी है। 
 
स्वांते पैएबो के शोधकार्य ने उस प्रागैतिहासिक विकासक्रम की आनुवंशिक राह पर प्रकाश डाला है, जिससे गुज़रकर हमारी आज की मानव जाति बनी है। 30 हज़ार वर्ष पूर्व विलुप्त हो गए 'निएंडरथल' (Neandertal) मनुष्य के जीनोम को डिकोड करना 67 वर्षीय पैएबो की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। उनकी इस महत्वपूर्ण खोज के अनुसार, हम आधुनिक मनुष्यों में, हज़ारों वर्ष पूर्व विलुप्त, निएंडरथल मनुष्य के अभी भी 1 से 4 प्रतिशत तक जीन हैं। 
 
स्वांते पैएबो वैसे तो एक स्वीडिश वैज्ञानिक हैं, पर पिछले कोई 25 वर्षों से पूर्वी जर्मनी के लाइपज़िग शहर में स्थित जर्मनी के 'माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी' (विकासीय मनव विज्ञान के माक्स प्लांक संस्थान) के निदेशक हैं। नोबेल पुरस्कार समिति का फ़ोन 3 अक्टूबर को जब उनके पास आया, उस समय वे कॉफी की चुस्की ले रहे थे।
 
निएंडरथल मनुष्य : जर्मनी के प्रसिद्ध बड़े शहरों में से एक है ड्युसलडोर्फ़ शहर। उससे केवल 10 किलोमीटर पूर्व में, दो पहड़ियों के बीच केवल एक किलोमीटर लंबा एक दर्रा है, जिसे 'निएंडरथल' (नेआन्डरठाल) कहा जाता है। इसी दर्रे की एक गुफ़ा में, 1856 में मानवीय खोपड़ी और कुछ अन्य अंगो वाली हड्डियों के 16 टुकड़े मिले। जांच करने पर वे हज़ारों वर्ष पूर्व के किसी आदमी की हड्डियां सिद्ध हुए। ये हड्डियां निएंडरथल दर्रे में मिली थीं, इसलिए इस अज्ञात आदिकालीन मनुष्य को जर्मन भाषा में 'नेआन्डरठालर मेन्श,' यानी निएंडरथल मनुष्य नाम दे दिया गया।
 
यही नाम अन्य भाषाओं में निआंदरथाल, निएंडरथाल या नेऐंडरटाल इत्यादि बन गया। इस बीच आनुवंशिक (जेनेटिकल) दृष्टि से हमारे सबसे आदिकालीन पूर्वजों की कुल चार प्रजातियों की खोज हो चुकी है। 'निएंडरथल' मनुष्य के अलावा तीन अन्य प्रजातिय़ां हैं अफ्रीका की होमो सेपियन्स, रूसी साइबेरिया की होमो देनीसोवा और इन्डोनेशिया की होमो फ्लोरेसिएन्सिस। 2004 में मिली नाटे कद वाली होमो फ्लोरेसिएन्सिस प्रजाति को भारत में हम अपने अवतारों के क्रम में वामनावतार का उदाहरण मान सकते हैं।
 
निएंडरथल मनुष्य यूरोप व पश्चिमी एशिया में रहते थे : स्वांते पैएबो की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि 30,000 साल से अधिक पुरानी हड्डियों की जांच-परख द्वारा, 1997 में वे निएंडरथल मनुष्य के समग्र जीनों वाले जीनोम को डिकोड करने में सफल रहे। आदिकालीन मनुष्यों की यह प्रजाति लगभग 30,000 साल पहले तक यूरोप और पश्चिमी एशिया में रहती थी। आधुनिक मानव के पूर्वजों में से एक, होमो सेपियन्स लगभग 70,000 साल पहले अफ्रीका से आए थे। इसलिए ये दोनों प्रारंभिक मानव कुछ समय के लिए यूरेशियन महाद्वीप पर साथ-साथ रहे।
 
निएंडरथल मनुष्य के जीनोम को डिकोड करके स्वांते पैएबो ने दिखाया कि कुछ समय साथ रहने के दौरान, होमो सेपियन्स और होमो नेआन्डरठालेंसिस के जीनोम का आपस में मिश्रण हुआ। इससे नई पीढ़ियों की रोगप्रतिरक्षण प्रणाली प्रभावित हुई। निएंडरथल मनुष्य के वे जीन, जो आज के लोगों के जीनोम में भी मिलते हैं, शरीर की विभिन्न क्रियाओं कों अनुकूल या प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, उनमें से कुछ तो कोविड के संक्रमण के ख़तरे को कम करते हैं तो कुछ इसे बढ़ते भी हैं। 
 
हमारे आदिपूर्वजों की अनुवांशिक संरचना में अंतरों के बारे में अपने शोध द्वारा इस नोबेल पुरस्कार विजेता ने विज्ञान की एक नई शाखा को जन्म दिया है। उसे 'पालेओजेनेटिक्स' (पुरा-आनुवंशिकी) कहा जा रहा है। यह जीवों के जीवाश्म और प्रागैतिहासिक अवशेषों वाले आनुवंशिक नमूनों के विश्लेषण का विज्ञान है। स्वांते पैएबो के शोधकार्य ने उन आनुवंशिक अंतरों को उजागर किया है, जो आज के मनुष्यों को, हज़ारों वर्ष पूर्व विलुप्त हो गए आदिकालीन मनुष्यों से अलग करता है। उनकी खोजों ने यह पता लगाने का आधार प्रदान किया है कि आधुनिक मनुष्यों को ऐसा क्या अद्वितीय बनाता है कि वे आदिकालीन पूर्वजों की तुलना में अपना कहीं बेहतर विकास कर सके हैं।
 
प्राचीन जीनोम को समझना टेढ़ी खीर है : 1990 के दशक के अंत तक, तकनीकी विकास के अध्ययन हेतु लगभग पूरे मानव जीनोम को डीकोड किया गया था। किंतु विलुप्त निएंडरथल मनुष्य के जीनोम को डिकोड करने में पैएबो को बिल्कुल अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ऐसा इसलिए, क्योंकि डीएनए, समय के साथ रासायनिक रूप से बदल जाता है और कई छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। हजारों साल बाद डीएनए के केवल निशान भर रह जाते हैं। ये अवशेष बैक्टेरिया आदि जैसे जीवाणुओं के डीएनए और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों से भी दूषित होते हैं।
2010 में, स्वांते पैएबो अपनी टीम के सहयोग से निएंडरथल मनुष्य के जीनोम के पहले विकोडित खंड को प्रकाशित करने में सफल हुए। उनके शोध के अनुसार, होमो निएंडरथल और होमो सेपियन्स के सबसे पुराने साझे पूर्वज लगभग 8 लाख साल पहले रहते थे। वे यह भी दिखा सके कि होमो नेआन्डरठाल और होमो सेपियन्स की, उनके सह-अस्तित्व के हजारों वर्षों के दौरान, साझी संतानें भी थीं। यूरोपीय या एशियाई मूल के आधुनिक मनुष्यों में, लगभग एक से चार प्रतिशत तक जीनोम निएंडरथल मनुष्य की देन होते हैं। 
 
देनिसोवा मनुष्य : इसी तरह, पैएबो ने 2012 में एक हड्डी के जीनोम-विश्लेषण से आधुनिक मनुष्यों के एक और करीबी रिश्तेदार, साइबेरिया के देनिसोवा मनुष्य की खोज की। देनिसोवा मनुष्य ने भी आज के लोगों के जीनोम में अपनी छाप छोड़ी है। एशियाइयों में यह अनुपात 6 प्रतिशत तक है। तिब्बत की पहाड़ी जनजातियों में, उदाहरण के लिए, विलुप्त देनिसोवा मनुष्य के ऐसे जीन मिलते हैं, जो उनके लिए उच्च ऊंचाई का सामना करना आसान बनाते हैं।
 
20 अप्रैल, 1955 को पैदा हुए पैएबो ने मिस्र-विद्या और चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई की है। जब वे पीएचडी कर रहे थे, तब उन्होंने एक मिस्री ममी (प्रचीन मिस्री शव) के डीएनए का क्लोन बनाया था। ज्यूरिख, लंदन और बर्कले में काम करने के बाद, उन्होंने अंततः पूर्वी जर्मनी के लाइपज़िग में 'माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी' की स्थापना की। 1997 से वे ही उसके निदेशक हैं। कह सकते हैं कि स्वंते पैएबो के भीतर भी नोबेल पुरस्कार का जीन है: उनके पिता, सूने बेर्गस्त्रौएम को 1982 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला था। 
 
ये भी पढ़ें
संघ प्रमुख मोहन भागवत के संदेश के बाद क्या मोदी सरकार बनाएगी 'जनसंख्या नियंत्रण कानून'?