हिन्दी कविता : मन इतना बेचैन तू क्यों है?
- ममता भारद्वाज
मन इतना बेचैन तू क्यों है?
इस दुनिया में खोया क्यों है?
आंखों में तू ख्वाब सजा कर
दिल में लेकर बैठा क्यों है?
पथ पर पग को चलने दे!
दीप सदा तू जलने दे!!
चाहे पथ पर काटे हो या राहों में सन्नाटे हो!
खुद में तुझको धैर्य है रखना!!
कभी ना थकना कभी ना रुकना!
जीवन भर तू यूं ही चलना!!
जीवन की लीला है ये प्यारी!
इसी में लगती दुनिया न्यारी!!
मन इतना बेचैन तू क्यों है?
इस दुनिया में तू खोया क्यों है?