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  4. Veer Sawarkar: The most controversial revolutionary, who wrote 6 thousand poems on the wall with coal
Written By नवीन रांगियाल

Veer Sawarkar: सबसे विवादित क्रांतिकारी, जिसने दीवार पर कोयले से लिखी 6 हजार कविताएं

vinayak damodar sawarkar
(28 मई को वीर सावरकर जयंती पर विशेेष)
एक क्रांतिकारी होने से परे विनायक दामोदर सावरकर का एक साहित्‍यिक चरित्र भी रहा है। भले ही गांधी हत्‍या के कलंक के चलते उनका यह पक्ष बेहद साफतौर पर उजागर नहीं हो सका राजनीति में जब भी हिंदूत्‍व और दक्षिणपंथ को लेकर कोई बहस छिड़ी, तब-तब विनायक दामोदर सावरकर का नाम भी अंडरलाइन किया गया।

‘गाय पर राजनीति’ हो या ‘गांधी हत्‍या’ को लेकर कोई तर्क। ये सारी बहसें सावरकर के जिक्र के बगैर पूरी नहीं होती है। धुंधले तौर पर ही सही लेकिन राजनीतिक परिदृश्‍य में सावरकर आज भी जिंदा हैं।

लेकिन एक क्रांतिकारी होने के अलावा विनायक दामोदर सावरकर का एक साहित्‍यिक चरित्र भी रहा है। या कहें एक साहित्‍यि‍क एंगल। भले ही गांधी हत्‍या के कलंक के चलते उनका यह पक्ष बेहद साफतौर पर उजागर नहीं हो सका, या नजर नहीं आता या उसके बारे में बहस नहीं की जाती हो, लेकिन उनका एक लेखकीय पक्ष भी रहा है, जिससे उनका एक संवेदनशील चरित्र सामने आता है।

सावरकर क्रांतिकारी तो थे ही, लेकिन वे कवि थे, साहित्‍यकार और लेखक भी थे। हो सकता है, क्रांतिकारी मकसद की वजह से उन्‍होंने अपने इस हिस्‍से को हाशिए पर ही रख छोड़ा हो। लेकिन वे शुरू से पढ़ाकू और लिक्‍खाड़ किस्‍म के व्‍यक्‍ति रहे हैं।

उनका लेखन बचचन से ही शुरू हो जाता है। उन्‍होंने बचपन में कई कविताएं लिखी थीं। बड़े होने पर भी उन्‍होंने अपनी यह प्रैक्‍टिस नहीं छोड़ी। साल 1948 में गांधी की हत्‍या के कुछ ही दिन बाद उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया जाता है, हालांकि अगले ही साल सबूत के अभाव में उन्‍हें बरी कर दिया जाता है। अंडमान निकोबार में ‘काला पानी’ की सजा के दौरान करीब 25 सालों तक वे किसी न किसी तरह से अंग्रेजों की कैद में रहते हैं, लेकिन इस कैद और निगरानी के बीच भी उनका लेखन कर्म जारी रहता है।

अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने एक पुस्तक लिखी 'हिंदुत्व- हू इज़ हिंदू?' जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया। सावरकर के बेहद ही समर्पित लेखक होने के प्रमाण तब सामने आए जब वे अंडमान निकोबार की जेल से ‘काला पानी’ की सजा से बाहर आते हैं। जेल से बाहर आते ही वे सबसे पहले वो काम करते हैं,जो उन्‍होंने जेल में किया था। उन कविताओं को लिखने का काम करते हैं जो अब तक उन्‍होंने जेल की दीवारों पर लिखीं थीं।

दरअसल, अपनी सजा के दौरान सावरकर ने अंडमान निकोबार की जेल की दीवारों पर करीब 6 हजार कविताएं दर्ज कीं थीं। चूंकि उनके पास लिखने के लिए कोई उस समय कलम या कागज नहीं था, इसलिए उन्‍होंने नुकीले पत्‍थरों और कोयले को अपनी कलम बनाकर दीवारों पर लगातार कविताएं लिखीं।

इसके बाद वे कविताएं दीवारों पर ही खत्‍म न हो जाए, इसलिए उन्‍हें रट-रट कर कंठस्‍थ किया। जब जेल से बाहर आए तो उन्‍हें कागज पर उतारा।इतना ही नहीं, उनकी लिखी 5 किताबें उनके नाम से प्रकाशित हैं। सावरकर द्वारा लिखित किताब ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ एक ऐसी सनसनीखेज ब्‍यौरा थी जिसने अंग्रेज शासन को लगभग हिलाकर रख दिया था। उनकी कुछ किताबों को तो दो देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था।
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