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Last Updated : शुक्रवार, 19 अगस्त 2022 (18:07 IST)

'टूटा टाइगर' पुस्तक का विमोचन, श्रीश्री रविशंकर के विरुद्ध गहरे षड़यंत्र की सम्पूर्ण सच्चाई

'टूटा टाइगर' पुस्तक का विमोचन, श्रीश्री रविशंकर के विरुद्ध गहरे षड़यंत्र की सम्पूर्ण सच्चाई - Tuta tiger book
नई दिल्ली। श्रीलंका में लिट्टे की समस्या के दौरान श्रीश्री रविशंकर के मध्यस्थता के प्रयासों के दौरान हुए अनुभवों की अब तक की अनसुनी कहानियों को समेटे हुए 'द टाइगर्स पॉज़' (The Tiger’s Pause) का हिंदी संस्करण 'टूटा टाइगर', जिसके लेखक आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक स्वामी विरूपाक्ष हैं। इसे गरुड़ प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
 
'टूटा टाइगर”: श्रीश्री रवि शंकर की श्रीलंका में लिट्टे समस्या पर किए गए शांति प्रयासों तथा भारत एवं गुरुदेव के विरुद्ध गहरे षडयंत्र की सम्पूर्ण सच्चाई को उजागर करती पुस्तक'
 
'टूटा टाइगर' का विमोचन 19 अगस्त को कॉन्सटिट्यूशन क्लब में मेजर जेनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. जीडी बक्षी द्वारा किया गया। लेखक एवं श्यामा प्रसाद मुख़र्जी रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो, बिनय कुमार सिंह तथा गरुड़ प्रकाशन के सह-संस्थापक श्री अंकुर पाठक भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
 
ये पुस्तक एक विस्तृत तथा मानवीय दृष्टिकोण से श्री लंकाई गृहयुद्ध के चौथे एवं अंतिम चरण में तेजी से बदलते हुए घटनाक्रम को रेखांकित करती है। गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर के शांति प्रयासों और आर्ट ऑफ लिविंग के मानवीय आधार पर उस कठिन समय में किए जा रहे प्रयासों को इस पुस्तक में विस्तार से बताया गया है। साथ ही, श्रीलंका के उस मारक टकराव के अंतिम दिनों की वस्तुस्थिति बयान करती हुई ये एकमात्र पुस्तक है।
 
जब श्रीलंका तमिल अल्पसंख्यकों और सिंघली बहुसंख्यकों के टकराव के 26 वर्षों के इतिहास के अंतिम दौर में पहुंच चुका था, तब श्रीश्री ने 2006 से ही अपने संघर्ष समाधान के प्रयास करना आरम्भ कर दिया था, ताकि शांति स्थापित हो सके।
 
लेखक स्वामी विरुपाक्ष कहते हैं, 'एक युद्ध लड़ने में अनेकानेक चुनौतियां आती हैं, किन्तु शांति स्थापित करने में आने वाली चुनौतियां अपने आप में अनूठी होती हैं, और उनका अंदाजा लगाना कठिन होता है। हमारी पुस्तक श्रीलंका द्वारा उन खोए हुए अवसरों, जिससे वो अधिक बेहतर स्थिति में हो सकता था, षड्यंत्रों, भीतर की कहानियां लोगों को बताती है। विशेषकर जब आज हम श्रीलंका को इस बुरी स्तिथि में देखते हैं, तो ये कहानियां और अधिक प्रासंगिक हो जातीं हैं। बहुत से लोग श्रीलंका की वर्तमान स्थिति के लिए कोविड महामारी और दशकों के राजनैतिक-आर्थिक कुप्रबन्धन को जिम्मेदार मानते हैं, किन्तु इनमें से अधिकतर को इसके मूल कारण के बारे में नहीं पता। यदि शांति को वाकई एक अवसर दिया गया होता, तो इस गृहयुद्ध के चौथे और अंतिम चरण, जो कि सबसे अधिक घातक रहा, को टाला जा सकता था, और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता था।”
 
लेखक श्रीलंका में नौ वर्षों तक गुरुदेव के संघर्ष समाधान दल का हिस्सा रहे। श्री श्री के श्रीलंका में मध्यस्थता के प्रयासों के दौरान की वास्तविक सच्चाई, जिसमें कई अनजाने और चौंकाने वाले तथ्य को स्वामी विरुपाक्ष ने 12 वर्षों के लम्बे मौन के बाद तोड़ा है।
 
स्वामी जी बताते हैं कि किस प्रकार, 2006 में, तत्कालीन भारत सरकार ने गुरुदेव को लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन से मिलने की अनुमति नहीं दी, जब वे गर्मियों में श्री लंका के दौरे पर गए। लेखक कहते हैं: “श्रीलंका में सतत शांति एवं समृद्धि का एक अनोखा अवसर हाथ से चला गया।” वे यह भी बताते हैं कि कैसे एक युद्ध पीड़ित ने उन्हें बताया था कि शांति प्रयासों के दौरान गुरुदेव का अपहरण करने की तैयारी थी। 
 
'टूटा टाइगर' कई ऐसे 'सीखे गए सबक' को रेखांकित करता है, जिनसे भारतीय उपमहाद्वीप में हमारे देश को एक स्थिर एवं समृद्ध पड़ोसी उपलब्ध रहता हैं।
 
ये पुस्तक तमिल में 'पुलियिन निसापथं' के नाम से भी उपलब्ध है। राजीव गांधी हत्याकांड के अन्वेषण के लिए बनाई गई विशेष अन्वेषण टीम के प्रमुख डीआर कार्तिकेयन, आईपीएस (सेवानिवृत्त), ने पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। भूतपूर्व राज्यपाल (पुदुचेरी), श्रीमती किरण बेदी, आईपीएस (सेवानिवृत्त), ने कहा है कि एक बार ये पुस्तक हाथ में आ जाए तो इसे बंद करना मुश्किल है, और ये गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर जी की सोच के मूल तत्त्व को उजागर करती है।
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