Hindi diwas 2023 : राष्ट्रीय हिन्दी दिवस का इतिहास
Hindi diwas 2023 : विश्व हिन्दी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस दोनों ही दिवस अलग अगल तारीख को मनाए जाते हैं। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को और राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में पांचवे स्थान पर है। आओ जानते हैं राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास।
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साल 1918 में महात्मा गांधी ने एक हिंदी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था।
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जब हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा रहा था, तब मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों और पूर्वोत्तर में हिंदी के विरूद्ध आवाज उठी थी।
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उस दौरान में आधिकारिक तौर पर अंग्रेजी भाषा भारत राजभाषा थी। गैर हिंदी राज्यों ने अंग्रेजी को राजभाषा से हटाने का विरोध किया।
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पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृति मिली।
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26 जनवरी 1950 को संसद के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को प्राथमिक भाषा माना गया था।
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1950 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था।
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वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष 'हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
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1949 के बाद 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था। वहीं 1953 में आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस मनाया गया।
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तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा संसद भवन में 14 सितंबर 1953 को आधिकारिक रूप से हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गयी। तभी से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
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संविधान की धारा 343 (1) के अनुसार हिंदी और लिपि देवनागरी भारतीय संघ की आधिकारिक भाषाओं में से एक भाषा है।
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भारत के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान में हिंदी बोली और समझी जाती है।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 60.22 करोड़ लोग हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं।