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क्या होता है लू लगना, जानिए लू और हीट स्ट्रोक में अंतर....

क्या होता है लू लगना, जानिए लू और हीट स्ट्रोक में अंतर.... - difference between Loo & heat stroke
इन दिनों लू लगने से हर कोई परेशान है। जानिए क्या होता है लू लगना... लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है। लू से बचने के लिए जरूरी है खूब तरल पदार्थों का सेवन करना.... 
 
गर्मी में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू (Loo) कहा जाता है। अप्रैल से लेकर जून के महीने में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इन तीन महीनों में ही पारा बहुत ज्यादा होता है और बेहद गर्म और सूखी हवाएं बहती हैं। लू तब लगती है, जब तापमान बहुत अधिक होता है। जब कोई व्यक्ति गर्म हवा और धूप में देर तक रहता है, उसका चेहरा और सिर देर तक धूप और गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू (Heat wave) लग जाती है। इससे व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है।  
 
लू और हीट स्ट्रोक में अंतर
लू और हीट स्ट्रोक में फर्क होता है। हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक मरीज लगातार अधिक हीट या गर्मी में रहने से बेहोश या बेसुध हो जाता है। लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है, लेकिन इसमें हीट स्ट्रोक की तरह मरीज को बेहोशी या चक्कर आने जैसी समस्या नहीं होती है। लू लगने में शरीर का तापमान कम से कम 102 डिग्री से ऊपर हो जाता है। 
 
लू लगने के लक्षण क्या होते हैं
यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी. शरीर का तापमान लगभग 101 या 102 डिग्री से ऊपर होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी। युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है। 
जानिए लक्षण - 
अचानक शरीर का तापमान बढ़ जाना 
सिर में तेज दर्द 
लू लगने से दिमाग,किडनी और दिल की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 
नाड़ी या सांस की गति तेज हो जाती है। 
त्वचा पर लाल दाने हो जाते हैं 
बार बार पेशाब आना 
शरीर में जकड़न होना 
बुखार, 
त्वचा का रूखा होना, गर्म होना, नम होना, 
चक्कर आना, 
जी-मिचलाना, 
घबराहट होना, 
अधिक पसीना आना 
और बेहोश होना आदि।
बचाव के उपाय
जब भी आप घर से बाहर जाएं खुद को हाइड्रेटेड रखें। अपने साथ पानी का बोतल और छाता जरूर लेकर चलें। बहुत देर तक बाहर धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें। जितनी देर आप गर्म हवा में खुद को एक्सपोज रखेंगे, लू लगने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है। शरीर के संपर्क में गर्म हवा जितनी अधिक आएगी, उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार होंगे। 
 
कार में जो लोग बाहर जाते हैं, उन्हें लू जल्दी नहीं लगती है। बाइक, साइकिल पर चलने वाले, ठेले पर सामान बेचने वाले, मजदूरी करने वालों को लू सबसे अधिक लगती है। ऐसे में संभव हो तो इन्हें सुबह के समय अपना काम करना चाहिए। 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें। मजबूरी है रहना, तो सावधानी और सुरक्षा के इंतजाम जरूर करें। 
 
खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें। ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, नारियल पानी का सेवन करें। दोपहर के समय धूप और गर्म हवा तेज होती है, फिजूल घर से बाहर जाने से बचें। जो लोग कार से चलते हैं, वो पार्क की गई गाड़ी का शीशा थोड़ा सा खोलकर रखें। प्रॉपर वेंटिलेशन होने के बाद ही कार में ऐसी ऑन करें, क्योंकि बंद कार में गर्मी, तपिश बहुत होती है। अचानक कार में बैठते ही ऐसी ऑन करने से भी हीट स्ट्रोक, लू लग सकती है। 
 
सामान्य तौर पर लू लगने पर शरीर में गर्माहट, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। लू लगने पर पसीना नहीं आता है। लू लगने पर आंखों में जलन होती है। 
 
लू लगने के कारण अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत तक हो सकती है। रक्तचाप और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है, इसलिए बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। इस दौरान शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है। अक्सर बुखार बहुत ज्यादा 105 से 106 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन होती रहती है।