किसानों की एक और मांग के सामने झुकी सरकार, अब पराली जलाना क्राइम नहीं, मंत्री बोले- 'घर लौटें किसान'
नई दिल्ली। प्रदर्शनकारी किसानों से अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की उनकी मांग पर सहमति जताई है।
तोमर ने एक बयान में कहा कि किसानों की दूसरी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और फसल विविधीकरण पर चर्चा की है। 19 नवंबर को गुरु पर्व के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित समिति के गठन के साथ यह मांग भी पूरी होगी।
मंत्री ने कहा, किसानों की मांग पराली जलाने को अपराध से मुक्त करने की थी। सरकार इस मांग पर सहमत हो गई है। आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के संबंध में तोमर ने कहा कि यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है।
उन्होंने कहा, मामलों की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकारों को फैसला करना होगा और मुआवजे का मुद्दा भी उन्हें ही तय करना होगा। उन्होंने कहा कि हर राज्य अपने प्रदेश के कानून के अनुसार फैसला करेगा।
यह कहते हुए कि सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद आंदोलन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है, तोमर ने कहा, इसलिए मैं सभी किसान संगठनों से विरोध को नैतिक रूप से समाप्त करने और अपना बड़ा दिल दिखाने की अपील करता हूं। उन्हें वापस अपने घर लौटना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि विरोध करने वाले किसानों ने शुरू में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की थी, जिसे सरकार ने उनके हित को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसे 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र की शुरुआत में पेश किया जाएगा।
तोमर ने यह भी कहा कि सरकार को इस बात का अफसोस है कि वह कुछ किसान संगठनों को इन कृषि कानूनों के लाभ के बारे में समझाने में सफल नहीं हो सकी। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को अब एक साल से अधिक हो गया है। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से यहां आए हैं।
हालांकि किसान संघों ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के हालिया कदम का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने कहा है कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानूनों को पूरी तरह और औपचारिक रूप से वापस नहीं लिया जाता और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगें पूरी नहीं हो जातीं।(भाषा)