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Last Updated : रविवार, 20 दिसंबर 2020 (00:12 IST)

farmers protest: किसान यूनियनों ने कहा- प्रदर्शन नहीं होगा खत्म, जल्द बनेगी आगे की रणनीति

farmers protest: किसान यूनियनों ने कहा- प्रदर्शन नहीं होगा खत्म, जल्द बनेगी आगे की रणनीति - Farmer Unions formulated the next strategy
नई दिल्ली। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों ने शनिवार को कहा कि वे अपना अगला कदम अगले 2-3 दिनों में तय करेंगे। इस सप्ताह के शुरू में उच्चतम न्यायालय ने उल्लेखित किया था कि वह गतिरोध के समाधान के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान यूनियनों का एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति गठित करने पर विचार कर रहा है।
किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि रणनीति तय करने के लिए यूनियनों के बीच वर्तमान में चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर कानूनी राय भी ले रहे हैं। कक्का ने कहा कि हमारी बैठकें अगले कदम के लिए हो रही हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अगले 2-3 दिनों में हमारे समक्ष यह स्पष्टता होगी कि हमें अदालत द्वारा सुझाई गई समिति का हिस्सा होना चाहिए या नहीं?
एक अन्य नेता बलबीर सिंह ने कहा कि किसान तब तक अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने कहा कि हम एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। हम अपने अधिकारों के लिए यहां हैं। हम अदालत के आदेश के बाद अपना रुख तय करने की प्रक्रिया में हैं। नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले 23 दिनों से दिल्ली सीमा पर कई स्थानों पर डटे हुए हैं।
 
इस बीच ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने शनिवार को दावा किया कि 26 नवंबर से जारी विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले 33 किसानों की मौत दुर्घटनाओं, बीमारी और ठंड के मौसम की वजह से हुई है। एआईकेएस के अनुसार जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों में 'श्रद्धांजलि दिवस' मनाया जाएगा।
 
इस सप्ताह की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन के हक को स्वीकारते हुए सुझाव दिया कि केंद्र फिलहाल इन 3 विवादास्पद कानूनों पर अमल स्थगित कर दे, क्योंकि वह इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से कृषि विशेषज्ञों की एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति गठित करने पर विचार कर रहा है। हालांकि केंद्र ने इस सुझाव का विरोध किया और कहा कि अगर इन कानूनों का अमल स्थगित रखा गया तो किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आएंगे। (भाषा)
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