हर साल विश्व हैजा दिवस (World Cholera Day) 23 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दूषित भोजन और पानी से फैलने वाले हैजा रोग के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह एक जानलेवा बीमारी है। यह 'vibrio cholarae' नामक जीवाणु के माध्यम से फैलता है।
हैजा बच्चों व बड़ों दोनों में ही हो सकता है और यह इसके फैलने का मुख्य कारण अस्वच्छता, दूषित खान-पान और पानी के कारण यह रोग होता है।
इस रोग की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। इस बीमारी की पहचान गरीब इलाकों में रहते हुए ब्रिटिश डॉक्टर जॉन स्नो ने की थी। भारत से इसकी शुरुआत हुई तथा बाद में यूरोप, एशिया, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका आदि भी इसकी चपेट में आए और लाखों लोगों ने अपनी जान भी गंवाई।
आपको बता दें कि अधिकतर हैजा रोग बरसात के दिनों में ही फैलता है, क्योंकि इस मौसम में पानी दूषित हो जाता है और चारों तरफ गंदगी भी बढ़ जाती है। अत: दूषित खान-पान के साथ-साथ उन पर बैठने वाली मक्खियों के द्वारा यह बीमारी फैलती है, क्योंकि मक्खियां गंदगी पर बैठकर इधर-उधर बैठती है जो इसके फैलने का मुख्य कारक है। यह बाढ़ के क्षेत्र में, युद्ध, अकाल आदि स्थितियों में ज्यादा फैलता है।
इसके साथ ही हैजा (cholera) गंदे हाथों तथा नाखूनों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाने वाली बीमारी भी है। यह गंभीर दस्त की समस्या, डिहाइड्रेशन की स्थिति तथा समय पर इलाज न मिल पाए तो मौत की स्थिति तक भी पहुंचा सकती है।