शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. दीपावली
  4. Lakshmi Ganesh idol on Diwali
Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 23 अक्टूबर 2024 (12:30 IST)

हर साल दिवाली पर क्यों खरीदते हैं लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति?

जानिए क्या कारण है इस परंपरा के पीछे

हर साल दिवाली पर क्यों खरीदते हैं लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति? - Lakshmi Ganesh idol on Diwali
Lakshmi Ganesh idol

Lakshmi Ganesh idol Ritual on Diwali : दिवाली, जो भारत का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, को धनतेरस से लेकर भाई दूज तक पाँच दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें सबसे मुख्य दिन लक्ष्मी पूजा का होता है, जब हम घरों में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं। हर साल इस पूजा के लिए लोग नई लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते हैं। आइए जानते हैं इस परंपरा के पीछे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व।

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व
दिवाली को हिंदू धर्म में नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, का पूजन किया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि और शुभता के देवता माना जाता है। इनकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।

नई मूर्ति खरीदने की धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर नई मूर्ति लाने का एक विशेष महत्व है। पुरानी मूर्तियाँ एक वर्ष तक पूजा के बाद पवित्रता खो देती हैं, इसलिए नई मूर्ति का पूजन अधिक फलदायक माना जाता है। इसके अलावा, यह नई शुरुआत का प्रतीक भी है, जो जीवन में नई ऊर्जा और समृद्धि लाने का संकेत देता है।

नई मूर्ति खरीदने का सांस्कृतिक कारण
दिवाली पर नई मूर्ति खरीदने की परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक भी है। लोग इसे अपने घर की नई शुरुआत, व्यापार में वृद्धि और आर्थिक उन्नति का संकेत मानते हैं।
ALSO READ: धनतेरस, दिवाली और भाई दूज की पूजा के लिए आज ही मंगा लें ये खास चीजें 

शुद्धिकरण और सकारात्मक ऊर्जा
नई मूर्ति लाने से घर में शुद्धिकरण और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इससे घर में सकारात्मक वातावरण बनता है, जो परिवार के सदस्यों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।

लक्ष्मी-गणेश मूर्ति की पूजा कैसे करें?
मूर्ति की स्थापना: लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को एक स्वच्छ और पूजनीय स्थान पर रखें।
पूजन विधि: पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर लक्ष्मी जी का पूजन करें।
आमंत्रण: देवी लक्ष्मी से घर में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मांगे।

क्या लक्ष्मी-गणेश की पुरानी मूर्ति को विसर्जित करना आवश्यक है?
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि पुरानी मूर्तियों का विसर्जन या किसी पवित्र स्थान पर स्थानांतरण आवश्यक होता है। इसे घर से हटाने का एक सांकेतिक अर्थ है कि हम अपनी पुरानी समस्याओं और रुकावटों को भी दूर कर रहे हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ये भी पढ़ें
Mangal Gochar : मंगल का होगा कर्क राशि में गोचर, 3 राशियों के जीवन में खड़ी होंगी परेशानियां