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Last Modified: रविवार, 19 अप्रैल 2020 (08:38 IST)

UP के छात्रों को वापस लाने के फैसले से बिहार में गरमाई राजनीति

UP के छात्रों को वापस लाने के फैसले से बिहार में गरमाई राजनीति - UP's decision to bring back students caused heated politics in Bihar
पटना। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राजस्थान के कोटा में फंसे अपने प्रदेश के छात्रों को वापस लाने के लिए वहां बस भेजने के निर्णय के बीच बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार ने पूछा है कि क्या राजस्थान ने अन्य प्रदेशों में फंसे अपने छात्रों को वापस बुलाया है। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोटा मामले में कहा कि कुछ लोग नहीं माने और अपने यहां भी वहां से आ गए, उन्हें सीमा पर नहीं रखा गया बल्कि ऐसे लोगों की जांच कर घर भिजवाने की व्यवस्था की गई।

कुमार ने कहा, अब कोई कहे कि कोटा में जो लोग हैं उनको फिर बुलवा लिया जाए और देश के कोने-कोने में भी जो लोग फंसे हुए हैं अगर उनकी मांग पर भी सभी राज्य उन्हें वापस लाने लगे तो लॉकडाउन का मजाक उड़ जाएगा।हम लोग तो पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक दूरी ही सभी को बचा सकती है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उत्तर प्रदेश सरकार के उक्त निर्णय पर किए गए ट्वीट पर संजय ने कहा, क्या यह लॉकडाउन पर करारा प्रहार और इसका मखौल उड़ाना नहीं होगा! अब तक, हमने संयम और अच्छे काम के जरिए कोविड-19 पर अन्य देशों की तुलना में नियंत्रण पाने की दिशा में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसे क्यों कमजोर करें? इसके अलावा, क्या राजस्थान ने सभी बाहरी छात्रों को वापस बुलाया है?

संजय ने यह प्रतिक्रिया गलहोत के उस ट्वीट जिसमें उन्होंने कहा था, जैसा कि यूपी सरकार ने (कोटा) राजस्थान में रहने वाले उत्तर प्रदेश के छात्रों को वापस बुलाया, यह अन्य राज्यों के छात्रों के लिए भी किया जा सकता है। कोटा में छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर उनके गृह राज्यों में भेजा जा सकता है, ताकि ये युवा लड़के और लड़कियां घबराएं या प्रभावित न हों।

संजय ने आगे कहा, माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्पष्ट निर्देश है कि राज्य के बाहर फंसे किसी बिहारवासी को किसी तरह की दिक्कत न हो। देश के 12 राज्यों में 50 से अधिक राहत केंद्र और बढ़ाएंगे। अब तक दूसरे राज्यों में फंसे 10 लाख से अधिक लोगों को एक-एक हजार रुपए भेजे जा चुके हैं।

लॉकडाउन के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे बिहार के छात्रों के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने शनिवार को कहा कि बिहार की सरकार ने अनुरोध किया है कि लॉकडाउन में जो जहां हैं, वहीं रहें और उन्हें राज्य सरकार की ओर से आवश्यक सुविधाएं पहुंचाई जा रही है। बिहार के बाहर यहां के लोग जहां भी हैं, बेहतर यही होगा कि वहां की सरकारें उनका भी ख्याल रखे। जब रेल और विमान सेवा शुरू होगी, तब वे निश्चित रूप से आएंगे।

बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जो कुछ योगी आदित्यनाथ और अशोक गहलोत कर रहे हैं, उससे लॉकडाउन का मजाक उड़ेगा। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया था कि वे जहां हैं, वहीं रहें। अगर केंद्र सरकार इस तरह के बदलावों के साथ ठीक है, तो यह पुनर्विचार करना चाहिए कि आखिर क्यों लॉकडाउन किया गया।

उन्होंने कहा, कोटा में बिहारी छात्र हैं, कोई संदेह नहीं है, हमारे प्रिय हैं लेकिन देश के अन्य हिस्सों में फंसे छात्र हैं। इसलिए हम लोग अलग-अलग जगहों में फंसे लोगों के लिए भिन्न भिन्न पैमाना नहीं अपना सकते हैं।बिहार के सूचना और जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार ने अपने अन्य मंत्रियों के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कहा कि हमें आश्चर्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार सामाजिक दूरी को कैसे बनाए रखेगी। हमने सुना है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि 200 बसों में से प्रत्‍येक में 25 से अधिक छात्र न हों। क्या उनके पास इतनी बड़ी बसें हैं जो कई छात्रों को न्यूनतम दूरी बनाए रखने के साथ ले जाने में सक्षम हैं?

बिहार में सत्ताधारी जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जिन अभिभावकों ने बच्चों को अपने घर से दूर भेजा उनका त्याग और बलिदान बच्चों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रहेगा पर उनसे हमारी जरूर एक और अपेक्षा रहेगी कि संकट की इस घड़ी में अपने-अपने बच्चों को खुद भी जो जहां हैं वहां रहने की बात कहेंगे।

उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को सोमवार को पत्र लिखकर कोटा जिलाधिकारी के बिहार के छात्रों को पास देकर निजी वाहनों में भेजे जाने के कदम की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए उन्हें कड़ी चेतावनी देने और साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा दिशानिर्देश का कड़ाई से पालन करे इसके लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।

बिहार से बड़ी संख्या में मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए इच्छुक छात्र हर साल राजस्थान के कोटा स्थित प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। छात्र एवं छात्राओं के कोटा में रहने और उनके लिए संतोषजनक व्यवस्था होने तक साथ रहने के लिए उनके माता-पिता और अभिभावकों को अक्सर उनके साथ वहां रहना पड़ता है।

बिहार के कैमूर जिला की सीमा पर गत सोमवार को कोटा व भोपाल से पहुंचे 46 छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग कराकर उनके गृह जिले में भेज दिया गया है। उनमें से किसी में कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए थे।

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य सरकार के दृष्टिकोण में भारी अस्पष्टता दिखाई देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी मजदूर और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं पर सरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों है?

राजद नेता तेजस्वी ने आरोप लगाया कि गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिख रही और राज्य के बाहर फंसे हुए अपने प्रदेश के लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतज़ाम कर वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मझधार में बेसहारा छोड़ दिया है।

उन्होंने पूछा कि आख़िर भाजपा शासित अन्य राज्य इतने सक्षम क्यों हैं और भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए भी बिहार सरकार इतनी असहाय क्यों है? तेजस्वी ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार के बीच विरोधाभास नज़र आने तथा केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय और सामंजस्य नहीं दिखाई पड़ने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा, आप देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन इस आपदा की घड़ी में बिहार के लिए उस वरिष्ठता और गठबंधन का सदुपयोग नहीं हो रहा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे सभी इच्छुक प्रवासी बिहारियों और छात्रों को सकुशल और सम्मान के साथ बिहार लाने का प्रबंध करें। वहीं जदयू से निष्कासित पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर आरोप लगाया, देशभर में बिहार के लोग फंसे हैं और नीतीश कुमार जी लॉकडाउन की मर्यादा का पाठ पढ़ा रहे हैं।

स्थानीय सरकारें कुछ कर भी रहीं हैं, लेकिन नीतीश जी ने संबंधित राज्यों से अब तक कोई बात भी नहीं की है। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में भी उन्होंने इसकी चर्चा तक नहीं की।प्रशांत ने नीतीश कटाक्ष करते हुए कहा, नीतीश जी शायद इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पिछले एक महीने से लॉकडाउन के नाम पर आपने बंगले से बाहर नहीं निकले हैं।

साहेब की संवेदनशीलता और व्यस्तता ऐसी है कि कुछ करना तो दूर इस दौरान बिहार के फंसे हुए लोगों की मदद के लिए आपने किसी राज्य के मुख्यमंत्री से फ़ोन पर भी बात करना ज़रूरी नहीं समझा।वहीं बिहार भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने प्रशांत और तेजस्वी पर प्रहार करते हुए कहा, एक बात दिलचस्प है कि तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर दोनों ही दिल्ली में बैठकर नीतीश कुमार के खिलाफ सुर्खियां बटोरने की प्रतियोगिता कर रहे हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि दोनों मिले हुए हैं और अलग-अलग होने का नाटक कर रहे हैं। पता नहीं कितने का डील हुई है? लगे रहो भाइयों।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन, संक्रमित मरीजों की जांच और इलाज में तत्परता की वजह से बिहार को कोरोना को हराने में अच्छी सफलता मिली। राज्य में मरीजों की संख्या दोगुनी होने की दर राष्ट्रीय औसत से कम है। बिहार पहला राज्य है, जहां हर घर की कोरोना स्क्रीनिंग शुरू की गई है। अब तक 4.32 लाख घरों पर दस्तक दी जा चुकी है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राहुल गांधी ने जब कम जांच होने का रोना रोया था, तब न उन्हें राष्ट्रीय औसत का पता था, न उन्हें घर-घर जांच अभियान की जानकारी थी। कोरोना काल में अधूरी जानकारियों के जिद्दी वायरस से भी लड़ना जरूरी है।(भाषा) 
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