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Last Updated : गुरुवार, 20 मई 2021 (17:47 IST)

ग्रामीण आबादी को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए नये दिशा-निर्देश

ग्रामीण आबादी को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए नये दिशा-निर्देश - guideline, Protocol, Covid, Rural Area,
नई दिल्ली, पूरा देश इस वक्त कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाये जाने के बाद कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या में कमी आयी है। लेकिन, कोरोना संक्रमण शहरों के बाद अब ग्रामीण और एवं जनजातीय क्षेत्रों में भी फैल रहा है।

ग्रामीण आबादी को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से नये दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

नये दिशा-निर्देशों के अनुसार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड देखभाल केंद्र बनाने की बात कही है। इन केंद्रों में न्यूनतम 30 बिस्तर होंगे। इसके साथ ही, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों समेत सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में रैपिड एंटीजन जांच (आरएटी) किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड देखभाल केंद्र में कोविड-19 के संदिग्ध या संक्रमित व्यक्ति को भर्ती कर सकते हैं। लेकिन, ऐसे मरीजों के लिए अलग स्थान और उनके प्रवेश एवं निकासी के लिए पृथक व्यवस्था होनी चाहिए। दिशा-निर्देशों (एसओपी) में कहा गया है कि हर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी के मामलों पर गांवों की स्वास्थ्य, स्वच्छता तथा पोषण समिति की मदद से निगरानी की जानी चाहिए।

कोविड-19 बीमारी के लक्षण वाले मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) फोन पर परामर्श दे सकते हैं, और अन्य बीमारियों से पीड़ित या कम ऑक्सीजन स्तर वाले मरीजों को उच्च केंद्रों में भर्ती कराया जाना चाहिए। एसओपी में कहा गया है कि सीएचओ को रैपिड एंटीजन जाँच करने में प्रशिक्षित होना चाहिए।

कोविड-19 के करीब 80-85 प्रतिशत मामले बिना लक्षण या फिर सामान्य लक्षण वाले होते हैं। इसीलिए, इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं होती, और इनका घर पर या कोविड देखभाल केंद्रों में इलाज किया जा सकता है।

कोविड-19 मरीजों की देखभाल के लिए शरीर के तापमान एवं ऑक्सीजन स्तर पर नज़र रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए प्रत्येक गांव में पर्याप्त संख्या में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए। आशा वर्कर या आंगनबाड़ी कर्मियों तथा गांव स्तर के स्वयंसेवकों की मदद से संक्रमित लोगों को पल्स ऑक्सीमीटर तथा थर्मामीटर मुहैया कराने की सिफारिश की गई है।

पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर को एक बार इस्तेमाल करने के बाद अल्कोहल वाले सैनिटाइजर से साफ किया जाना चाहिए। अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मचारियों अथवा शिक्षकों से घर-घर जाकर होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लेने की बात भी कही गई है। ऐसा करते समय आवश्यक सावधानी बरतने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें मास्क का उपयोग, समुचित दूरी तथा बचाव के अन्य प्रभावी तरीकों पर अमल करना शामिल है।

होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को एक किट उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, जिसमें पैरासिटामोल, खांसी की सिरप, मल्टी-विटामिन जैसी आवश्यक दवाओं के साथ-साथ आइसोलेशन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से संबंधित एक पर्चा दिया जाने के लिए कहा गया है। लक्षण गंभीर होने पर संपर्क करने की जानकारी भी उसमें शामिल होनी चहिए।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि शहरी क्षेत्रों से जुड़े इलाकों, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में तीन स्तरीय व्यवस्था होनी चाहिए। इसमें बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए कोविड देखभाल केंद्र, मध्यम लक्षण वाले मामलों के लिए समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र, तथा गंभीर मामलों से निपटने के लिए समर्पित कोविड अस्पताल होना चाहिए। कोविड देखभाल केंद्रों के पास बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस भी होनी चाहिए। (इंडिया साइंस वायर)
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