शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. शहज़ादा : अच्छी फिल्म का खराब रीमेक, नहीं जमे कार्तिक आर्यन
Last Updated : शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023 (15:40 IST)

शहज़ादा फिल्म समीक्षा: अच्छी फिल्म का खराब रीमेक, नहीं जमे कार्तिक आर्यन

Shehzada movie review | शहज़ादा : अच्छी फिल्म का खराब रीमेक, नहीं जमे कार्तिक आर्यन | Shehzada review in Hindi starring kartik Aaryan and Kriti Sanon
कार्तिक आर्यन ने फिल्म 'शहज़ादा' (Shehzada movie review) के जरिये बड़े जूते में पैर डाला है और औंधे मुंह गिरे हैं। 'शहज़ादा' (Shehzada movie review) 'आला वैकुंठपुरमुलु' का हिंदी रीमेक है जिसमें अल्लू अर्जुन ने लीड रोल निभाया था। 'आला वैकुंठपुरमुलु' एक बढ़िया मसालेदार फिल्म है जिसमें कॉमेडी, इमोशन, रोमांस और एक्शन भरपूर है जो दर्शकों को मजा देते हैं। इससे भी बड़ी बात इस मूवी में अल्लू अर्जुन हैं जिन्होंने अपने किरदार को इतने उम्दा तरीके से अदा किया है कि स्क्रीनप्ले की कुछ अविश्वसनीय बातें भी विश्वसनीय लगती हैं। 
 
कार्तिक आर्यन का स्टारडम इतनी ऊंचाई पर नहीं पहुंचा है कि वे 'आला वैकुंठपुरमुलु' जैसी भारी-भरकम फिल्म का भार उठा सकें। न ही उन्हें अल्लू जैसा स्टारडम हासिल है। इसलिए शहज़ादा (Shehzada movie review) एक कमजोर फिल्म के रूप में सामने आती है। 
 
ओरिजनल कहानी त्रिविक्रम की है। बच्चों की अदला-बदली की बरसों पुरानी कहानी है। मालिक और नौकर के यहां एक ही दिन बेटा पैदा होता है। लालची नौकर मालिक के बेटे से अपना बेटा बदल देता है ताकि उसका बेटा शहज़ादे जैसी जिंदगी जिए। मालिक के बेटे को वह बड़ी हिकारत से पालता है। बात को 25 साल हो जाते हैं और एक दिन राज सामने आ जाता है। 

 
'आला वैकुंठपुरमुलु' का स्क्रीनप्ले त्रिविक्रम का ही था और उन्होंने कमाल का लिखा था। एक से बढ़ कर एक मनोरंजक सीन लगातार आते रहते हैं और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन होता है। ऊपर से अल्लू अर्जुन ने इतने बढ़िया तरीके से अपने रोल को अदा किया था कि आप मजा लेते रहते हैं। 
 
शहज़ादा (Shehzada movie review) का स्क्रीनप्ले रोहित धवन का है जिन्होंने निर्देशन भी किया है। समान कहानी पर एक अच्छी फिल्म और एक बुरी फिल्म कैसे बनती है ये इसका उदाहरण है। रोहित धवन ने लगभग सारे दृश्य कॉपी पेस्ट किए हैं, लेकिन वे ओरिजनल मूवी जैसा प्रभाव पैदा करने में असफल रहे हैं। 
 
शहज़ादा (Shehzada movie review) के शुरुआती घंटे में कॉमेडी और रोमांस पर फोकस किया गया है। लेकिन कॉमेडी सीन आपको हंसा नहीं पाते और बोर करते हैं। रोमांस शुरू होते ही खत्म हो जाता है। दो-तीन फाइट सीक्वेंस आते हैं जिसमें कार्तिक पूरी तरह से मिसफिट लगते हैं। 
 
शहज़ादा (Shehzada movie review) के सेकंड हाफ में इमोशन का तड़का लगाया है, लेकिन यहां पर भी बात नहीं बनती। इमोशन्स दिल को छूते हैं फिल्म के आखिरी कुछ मिनटों में और तब तक काफी देर हो चुकी होती है। 
 
रोहित के स्क्रीनप्ले और निर्देशन में कई कमियां हैं, जो सामान्य दर्शक भी आसानी से पकड़ लेते हैं। दिखाया गया है कि रोनित रॉय एक बेहद अमीर आदमी है, लेकिन उस पर ऑफिस में कोई भी हमला कर चला जाता है। न सिक्यूरिटी नजर आती है और न ही स्टॉफ किसी किस्म का सहयोग करता है। रोनित जिस आलीशान बंगले में रहता है वहां पर भी कई कमियां दिखाई देती हैं। कुछ किरदार बेवजह घूमते रहते हैं और वे क्यों हैं ये सवाल आप अपने आप से पूछते रहते हैं। 
 
गानों के लिए भी रोहित ठीक से सिचुएशन नहीं बना पाए। कभी भी कोई सा भी गाना टपक जाता है। फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि हीरो पर ज्यादा फोकस रहता है, लेकिन शहज़ादा (Shehzada movie review) में कार्तिक पर यह फोकस जरूरत से ज्यादा लगता है। आला वैकुंठपुरमुलु में एक बेहतरीन सीन है जिसमें अल्लू कांफ्रेंस में मेज पर खड़े होकर गानों के जरिये अपनी बात कहते हैं, जो शहज़ादा (Shehzada movie review) से हटा दिया गया है। शायद यह कार्तिक के बस की बात नहीं थी। 
 
रोहित धवन की सबसे बड़ी गलती ये है कि कार्तिक आर्यन को लेकर उन्होंने ये मूवी बनाई है। गलत हीरो को चुनने का खामियाजा उन्हें और पूरी फिल्म को भुगतना पड़ा है। कार्तिक आर्यन वो जादू ही नहीं जगा पाए जो अल्लू अर्जुन ने ओरिजनल मूवी में जगाया था। 
 
कार्तिक आर्यन का अभिनय औसत दर्जे का है। इस तरह के रोल के लिए बड़ा स्टार जरूरी है और वहां तक पहुंचने के लिए कार्तिक को फासला तय करना है। कृति सेनन को फिल्म की शुरुआत के बाद निर्देशक ने भूला ही दिया। बाद में वे हीरोइन से साइड कैरेक्टर बन जाती हैं। 
 
मुरली शर्मा वाले किरदार में परेश रावल हैं। यदि आपने आला वैकुंठपुरमुलु देखी हो तो मुरली के आप फैन बन जाते हैं। परेश रावल बेहतरीन एक्टर हैं, लेकिन शहज़ादा में उनका अभिनय सामान्य है। रोनित रॉय, मनीषा कोइराला, सचिन खेड़ेकर काबिल कलाकार हैं, लेकिन शहज़ादा (Shehzada movie review) में प्रभावित नहीं करते। 
 
संगीत प्रीतम का है। एक-दो गाने अच्छे हैं। गानों पर पैसा खर्च किया गया है, लेकिन कोरियोग्राफी ढंग की नहीं है। कार्तिक और कृति ने कामचलाऊ तरीके से स्टेप्स किए हैं। 
 
शहज़ादा (Shehzada movie review) एक अच्छी फिल्म का खराब रीमेक है। बेहतर है आला वैकुंठपुरमुलु देख ली जाए जो ओटीटी पर उपलब्ध है। 
  • निर्माता : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, अल्लू अरविंद एस राधा कृष्णा, अमन गिल, कार्तिक आर्यन
  • निर्देशक : रोहित धवन
  • संगीत :  प्रीतम 
  • कलाकार : कार्तिक आर्यन, कृति सेनन, मनीषा कोइराला, परेश रावल, रोनित रॉय 
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 25 मिनट 
  • रेटिंग : 1.5/5