सैयद अब्दुल रहीम के किरदार के साथ अजय देवगन पूरी तरह न्याय करते हैं। उन्हें संवाद कम मिले हैं, लेकिन पूरी फिल्म में उनकी आंखें बोलती रहती हैं। कुछ जोशीले संवाद उन्हें मिलते तो बेहतर होता। ड्रामैटिक सीन में वे भारी पड़े हैं और मैदान में होने वाले तनाव को भी उन्होंने अपनी एक्टिंग से दर्शाया है। उनकी पत्नी सायरा के रोल प्रियमणि बेहद सहज लगीं। गजराज राव की सबसे बड़ी कामयाबी यह रही कि विलेन के रूप में वे दर्शकों की नफरत हासिल करने में सफल रहे। रूद्रानील घोष, ऋषभ जोशी, विजय मौर्य, अभिलाष थापियाल असर छोड़ते हैं। खिलाड़ी के किरदारों में अमर्त्य रे (चुन्नी गोस्वामी के किरदार में), चैतन्य शर्मा (पीके बनर्जी के किरदार में), दविंदर सिंह (जरनैल सिंह के किरदार में) अमन मुंशी (अरुण घोष के किरदार में) अपनी फुटबॉल स्किल से दिल जीतते हैं। वैसे फिल्म में दिखाए गए सारे खिलाड़ी कमतर नहीं रहे हैं।