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Inside Edge Review : सेक्स, पैसा और पॉवर के कॉकटेल में जकड़ा क्रिकेट

Inside Edge Review : सेक्स, पैसा और पॉवर के कॉकटेल में जकड़ा क्रिकेट - Inside Edge, Web Series, Karan Anshuman, Samay Tamrakar, Review of Inside Edge
केरी पैकर का नाम क्रिकेट की दुनिया में भले ही आदर के साथ न लिया जाता हो, लेकिन इस शख्स ने 1977 में क्रिकेट में छिपे व्यापार की संभावनाओं को तलाश लिया था। उन्होंने विश्व के नामी खिलाड़ियों को मुंहमांगा धन देकर अनुबंधित किया और वर्ल्ड सीरिज क्रिकेट के तहत उन्हें खिलाया गया। इसे केरी पैकर का सर्कस कहा गया। दुनिया के तमाम क्रिकेट बोर्ड इससे घबरा गए और बड़ी मुश्किल से इस हालात पर काबू किया गया, लेकिन क्रिकेट को व्यापार बनाने का बीज यही से पड़ा। आज क्रिकेट के जरिये करोड़ों रुपये कमाए जा रहे हैं और यह पूरी तरह से व्यापार बन चुका है। 
 
भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खेली जाती है, जिसकी लोकप्रियता अपार है। यहां पर क्रिकेट एक ब्लॉकबस्टर फिल्म की तरह नजर आता है, जिसमें बड़े सितारे हैं, दिल की धड़कन बढ़ाने वाले क्षण हैं और ग्लैमर है। इस चमक के पीछे अंधेरा भी बहुत है। इसमें होने वाले मैचेस पर भारी सट्टा लगाया जाता है। खिलाड़ी तक बिक चुके हैं। कुछ टीमों पर इसी कारण प्रतिबंध भी लगा। मैच के बाद होने वाली पार्टी में कई खिलाड़ियों के पैर भी फिसले हैं। इसको आधार बना कर 'इनसाइड एज' नामक वेब टेलीविजन सीरिज बनाई गई है। इनसाइड एज का इस्तेमाल कॉमेंटेटर्स उस समय करते हैं जब बल्ले का भीतरी किनारा लगता है। अपने नाम के अनुरूप इस सीरिज में भीतरी परतों को उजागर किया गया है। 
 
दस एपिसोड्स (लगभग 45 मिनट का एक एपिसोड) में सिमटी इस सीरिज में बताया गया है कि आईपीएल जैसी पॉवर प्ले लीग (पीपीएल) का आयोजन भारत में चल रहा है। मुंबई मावेरिक्स नामक टीम भी इसमें हिस्सा ले रही है। मुंबई की टीम केन्द्र में है। इस टीम का एक मालिक हट गया है और इस कारण को-ओनर ज़रीना मलिक (रिचा चड्ढा) परेशान हैं। ज़रीना लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। संकट के समय बिज़नेस मैन विक्रांत धवन (विवेक आनंद ओबेरॉय) मुंबई टीम से जुड़ जाता है। विक्रांत के इरादे नेक नहीं है और वह अपने ढंग से टीम को चलाना चाहता है। मुंबई टीम का वायु राघवन (तनुज वीरवानी) स्टार बैट्समैन है और इस टीम की कप्तानी अरविंद वशिष्ठ (अंगद बेदी) के हाथों है। टीम का कोच निरंजन सूरी (संजय सूरी) है।
 
इस टीम के जरिये दिखाया गया है कि क्रिकेट का स्वरूप कितना बदल गया है। इस खेल में धन के आगमन से यह पूरी तरह व्यापार बन गया है। कोच, मालिक, खिलाड़ियों, सपोर्टिंग स्टाफ के अपने-अपने स्वार्थ हैं। अत्यधिक पैसों के आगमन के कारण कई बुराइयों ने भी इस खेल को जकड़ लिया है। सेक्स, पैसा और पॉवर का यह घालमेल बहुत ही खतरनाक हो गया है और कुछ लोग खेल को अपनी तरह से चला रहे हैं। जो मैच आप देख रहे हैं वो स्क्रिप्टेड भी हो सकते हैं। सटोरिये पैसा कमाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। सट्टा प्रोफेशनल तरीके से संचालित होता है। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल इसमें होता है पैसों का इतना ज्यादा लेन-देन होता है कि जिम्मेदार लोग आंख मूंद लेते हैं और नाक के नीचे होने वाली गतिविधियों को उपेक्षित कर देते हैं। 
 
इनसाइड एज में हकीकत और कल्पना को बहुत ही अच्‍छे तरीके से बुना गया है। क्रिकेट, स्टार खिलाड़ी, टीमें, फिल्म स्टार्स, चीयरलीडर्स, पीपीएल वास्तविक से लगते हैं और इन पर कहानी बुनी गई है जिस पर कितना यकीन करना है इसका फैसला आपको करना है। लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से क्रिकेट पर बातें सुनने को मिल रही है उसे देख ज्यादातर बातों पर विश्वास होता है। 
 
इस पूरे ड्रामे को इतना बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है कि मानो आप मुंबई टीम के सदस्य हों। ड्रेसिंग रूम के अंदर की हलचल, टीम मीटिंग्स, खिलाड़ियों का ड्रग्स का लेना, चीयरगर्ल्स से संबंध बनाना, स्टार क्रिकेटर्स का एटीट्यूड, दबाव के कारण बिखरते निजी संबंध, मालिकों का दबाव, सटोरियों का टीम से सम्पर्क, मैच होने के पूर्व रणनीति बनाना जैसी कई बातों की तह में जाकर विस्तारपूर्वक इन्हें दर्शाया गया है। यहां ज्यादातर लोग बेहद स्वार्थी हैं और पैसे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। सभी किसी न किसी से काम निकालने की फिराक में हैं। सिस्टम इतना भ्रष्ट हो चुका है कि खरे सिक्कों को खोटे सिक्के अपने आप बाहर निकाल देते हैं। 
 
शुरुआती 6 एपिसोड आपको बांधकर रखते हैं। कहानी में दरारें सातवें एपिसोड्स से पैदा होती हैं जब बात को समेटने की कोशिश की जाती है। अरबों-खरबों रुपये में खेलने वाला एक अमीर इंसान हत्या कर देता है, यह थोड़ा अविश्वसनीय लगता है। वायु नामक स्टार प्लेयर का सावर्जनिक स्थानों पर किया गया व्यवहार भी अजीब लगता है। कुछ और बातें भी हैं, जिनका उल्लेख यहां इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे आपका सीरिज़ देखने का मजा खराब हो सकता है, लेकिन ये छोटी-मोटी अड़चनें हैं और इन्हें उपेक्षित किया जा सकता है। 
 
इस सीरिज के नौ एपिसोड्स करण अंशुमन ने निर्देशित किए हैं जबकि एक एपिसोड करण और गुरमीत ने मिलकर निर्देशित किया है। करण का काम कमाल का है। उन्होंने सीरिज को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है और कहीं भी इस बात पर समझौता नहीं किया है कि फिल्म की बजाय यह वेब सीरिज नामक छोटे माध्यम के लिए बनाई जा रही है। एक-एक शॉट पर मेहनत दिखाई देती है। अमीरों की लाइफस्टाइल, क्रिकेट का तकनीकी पक्ष, ड्रेसिंग रूम की हलचल को जिस तरीके से उन्होंने पेश किया है वो दाद देने लायक है। पूरी सीरिज पर उनकी पकड़ कहीं नहीं छूटती। आमतौर पर स्पोट्स बेस्ड फिल्म या सीरिज़ में खेल का स्तर ऊंचा नहीं दिख पाता, लेकिन यहां पर करण ने खेल को लगभग ऐसा ही पेश किया है मानो सचमुच के खिलाड़ी खेल रहे हों। दो मैचों का रोमांच तो लाइव मैच जैसा मजा देता है। यदि आप क्रिकेट प्रेमी हैं तो यह सीरिज देखने का मजा दोगुना हो जाता है। 
 
निर्देशक के रूप में करण यह दिखाने में भी सफल रहे हैं कि किस तरह खेल के दबाव के कारण यहां रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं। अरविंद और उसकी पत्नी का रिश्ता, सेक्सहोलिक वायु के अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रिश्ते, ज़रीना का ढलता करियर, बॉलीवुड की हलचल को बारीकी से उन्होंने दिखाया है। तकनीकी रूप से भी करण अंशुमन का काम तारीफ के काबिल है। उन्होंने पूरी सीरिज को बेहतरीन तरीके से फिल्माया है। 
 
करण ने कहानी को बोल्ड तरीके से दर्शाया है जिस पर कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है। बोल्ड सीन और गालियों से उन्होंने परहेज नहीं किया है। कई बार गालियों की अति हो जाती है और इससे बचा जा सकता था। सीरिज को हिंग्लिश में रखा है, हालांकि 80 प्रतिशत संवाद अंग्रेजी में हैं। हिंदी का इस्तेमाल गालियों में ज्यादा है और यह बात आपत्तिजनक है कि किरदार हिंदी तभी बोलते हैं जब गा‍ली बकना हो। सीरिज का समापन सकारात्मक तरीके से किया गया है जो कि इस बात को मजबूती देती है कि यह खेल पूरी तरह से बरबाद नहीं हुआ है और अभी भी ज्यादातर खिलाड़ी ईमानदारी के साथ खेल रहे हैं। क्रिकेट पर किस तरह से सट्टा लगता है और कैसे यह काम होता है इसे भी वे सफल तरीके से दिखाने में सफल रहे हैं।  
 
इनसाइड एज में कई दमदार कलाकार हैं। अभिनेत्री के रूप में करियर के ढलान पर खड़ी और मुंबई टीम की को-ओनर के रूप में रिचा चड्ढा का अभिनय जबरदस्त हैं। अपनी झटपटाहट को उन्होंने अपने अभिनय से व्यक्त किया है। अरबपति विक्रांत धवन का किरदार विवेक ओबेरॉय ने निभाया है। अमीरों की बॉडी लैंग्वेज, बोलने का अंदाज उन्होंने बारीकी से पकड़ा है और अपने किरदार को स्टाइलिश बनाया है। 
 
स्टार क्रिकेटर वायु राघवन का अप्रत्याशित स्वभाव और एटीट्यूड को तनुज वीरवानी ने अच्छे से दर्शाया है। क्रिकेट खेलते समय भी वे बनावटी नहीं लगते। अंगद बेदी ने अपना काम गंभीरता से किया है और वे ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी लगे हैं जो गंदगी बरदाश्त नहीं कर सकता। 
 
देवेंदर मिश्रा नामक भ्रष्ट खिलाड़ी के रूप में अमित सियाल का काम अच्छा है, हालांकि वे खिलाड़ी नहीं लगते, लेकिन अभिनय के बलबूते अपनी इस कमजोरी को छिपा लेते हैं। वे अपने आपको ऊंची जाति का मानते हैं और प्रशांत नामक खिलाड़ी को नीची जाति का मान जम कर प्रताड़ित करते हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी, सारा जेन डायस, मनु ऋषि, आशा सैनी, जीतीन गुलाटी सहित सभी कलाकारों का अभिनय अच्छा है। 
 
करण अंशुमन, अमेय सारडा, पुनीत कृष्णा, सुमित पुरोहित, सौरव दवे ने इस सीरिज को लिखा है। वे विषय के बारे में गहराई से जानते हैं यह उनके लेखन में झलकता है।
 
फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी ने इसे अमेज़ॉन प्राइम वीडियो के लिए बनाया है और यह सीरिज मिस नहीं करना चाहिए।  

रेटिंग : 4.2/5