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फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ- मूवी रिव्यू

फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ- मूवी रिव्यू - Fast & Furious presents Hobbs & Shaw, Movie Review in Hindi, David Leitch, Dwayne Johnson, Jason Statham, Samay Tamrakar, Vanessa Kirby
2001 से फास्ट एंड फ्यूरियस सीरिज की फिल्में बन रही हैं और तेज गति से भागती कारों से पैदा हुए रोमांच के कारण ये फिल्में काफी लोकप्रिय रही हैं। कार चेज़िंग सीन और एक्शन को ध्यान में रखते हुए फास्ट एंड फ्यूरियस की कहानी बुनी जाती है। 'फास्ट एंड फ्यूरियस प्रेजेंट्स: हॉब्स एंड शॉ' स्पिन ऑफ मूवी है जो इसके दो लोकप्रिय किरदारों हॉब्स और शॉ की कहानी को दर्शाती है। 
 
बॉलीवुड में हिट‍ फिल्मों की लोकप्रियता को भुनाने के लिए कुछ खराब फिल्मों का निर्माण भी हुआ है और यही रोग हॉलीवुड में भी लग गया है। फास्ट एंड फ्यूरियस : हॉब्स एंड शॉ इसका उदाहरण है। यह फिल्म सीरिज के स्तर को आगे नहीं ले जा पाती है और इसमें से वो रोमांच गायब है जो इस सीरिज की पहचान है। 
 
ल्यूक हॉब्स (ड्वेन जॉनसन) और डेकॉर्ड शॉ (जेसन स्टेथम) एक-दूसरे को नापसंद करते हैं, लेकिन एक मिशन में उन्हें साथ काम करना पड़ता है। मिशन है शॉ की बहन हैटी शॉ (वैनेसा किर्बी) को पकड़ना और उसे उन खलनायकों से बचाना जो उसके पीछे पड़े हुए हैं। हैटी ने एक खतरनाक वायरस को अपने शरीर में इंजेक्ट कर लिया है क्योंकि यह वायरस दुनिया तबाह कर सकता है। 
 
उसके शरीर से इस वायरस को निकालने के लिए एक खास मशीन भी रशिया से चुरानी है जो कि निहायत ही मुश्किल काम है। किस तरह से हॉब्स और शॉ अपने मिशन को अंजाम देते हैं यह फिल्म का का सार है। 
 
हॉब्स और उसकी नौ साल की बेटी तथा हॉब्स का अपने परिवार से वर्षों बाद मिलना वाले जैसे प्रसंगों के जरिये कहानी में इमोशन का तड़का भी लगाया गया है। हॉब्स और शॉ की नोकझोंक के जरिये हंसाने की कोशिश की गई है। इसके बाद बचे समय को एक्शन के हवाले कर दिया गया है। 
 
कहानी पर मिशन इम्पॉसिबल सीरिज की फिल्मों का असर है। वैसा ही थ्रिल पैदा कर माहौल बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन लेखक और निर्देशक को सफलता नहीं मिलती। एक थ्रिलर में जो टर्न्स एंड ट्विस्ट्स होने चाहिए उनकी कमी फिल्म में खलती है।  
 
माना कि फिल्म लार्जर देन लाइफ है, लेकिन जिस सरलता से हॉब्स और शॉ अपने मिशन को अंजाम देते हैं वो बात हजम नहीं होती। चूंकि उनकी राह में उतनी मुश्किल नहीं आती इसलिए फिल्म देखते समय रोमांच पैदा नहीं होता। 
 
नि:संदेह एक्शन फिल्म का प्लस पाइंट है और लार्जर देन लाइफ वाला एक्शन देखते समय अच्छा भी लगता है, लेकिन कहानी का साथ नहीं मिलने से एक्शन का असर भी जाता रहता है। 
 
निर्देशक डेविड लीच ने हॉब्स और शॉ के किरदारों को तो अच्‍छे से उभारा है, दोनों की केमिस्ट्री भी अच्छी लगती है, लेकिन इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सके। एक देश से दूसरे देश तक उन्होंने फिल्म को भगाया है, ताकि दर्शकों को बहलाया जा सके, लेकिन इसमें वे कामयाब नहीं रह पाए। उन्होंने कुछ सीन जरूरत से ज्यादा लंबे रखे हैं जो कि बोरियत पैदा करते हैं। 
 
फिल्म में एक्शन के कुछ सीक्वेंसेस जबरदस्त हैं जो दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर करते हैं। क्लाइमैक्स में लंबा एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि यह सभी दर्शकों को संतुष्ट करे। 
 
ड्वेन जॉनसन और जेसन स्टेथम व्यक्तित्व के दम पर दर्शकों को बांध कर रखते हैं। खासतौर पर एक्शन सीन्स में दोनों जबरदस्त हैं। दोनों में से कौन बेहतर है, यह कहना मुश्किल है। दोनों के एक-दूसरे को नापसंद करने वाले संवाद हिंदी में अच्छे से नहीं लिखे गए हैं। इन दोनों एक्शनस स्टार्स के बीच वैनेसा किर्बी अपनी जगह बनाने में सफल रही हैं। उनके एक्शन सीन भी देखने लायक हैं। 
 
तकनीकी रूप से फिल्म शानदार है। थ्री-डी में देखना एक अलग मजा देता है। 
 
कुल मिलाकर 'फास्ट एंड फ्यूरियस: हॉब्स एंड शॉ' टुकड़ों में अच्‍छी है, लेकिन पूरी फिल्म के बारे में ये नहीं कहा जा सकता। 

निर्माता : ड्वेन जॉनसन, जेसन स्टेथम, क्रिस मोर्गन, हिरम गर्शिआ 
निर्देशक : डेविड लीच 
कलाकार : ड्वेन जॉनसन, जेसन स्टेथम, वैनेसा किर्बी
सेंसर सर्टिफिकेट : केवल वयस्कों के लिए 
रेटिंग : 2.5/5 
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