Extraction Movie Review: क्रिस और धमाकेदार एक्शन बनाते हैं फिल्म को देखने लायक
नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग होने वाली मूवी एक्सट्रैक्शन का निर्देशन सेम हारग्रेव ने किया है जो एवेंजर्स एंडगेम और कैप्टन अमेरिका: सिविल वॉर जैसी फिल्मों से बतौर स्टंट कॉर्डिनेटर जुड़े रहे हैं और उनके स्टंट्स कितने बेहतरीन होते हैं यह बात सभी जानते हैं।
जब एक्शन कोरियोग्राफ करने वाला निर्देशक बनता है तो यह बात स्वाभाविक है कि उसकी फिल्म में गनफाइट्स, पीछा करने वाले दृश्य, विस्फोट, हैंड टू हैंड कॉम्बेट्स देखने को मिलेंगे। इस उम्मीद पर 'एक्सट्रैक्शन' खरी उतरती है।
जो लोग एक्शन फिल्मों के दीवाने हैं उन्हें इस फिल्म में भरपूर एक्शन देखने को मिलता है। इस फिल्म में एक सिंगल टेक एक्शन सीक्वेंस है जो 11 मिनट 30 सेकंड्स का है और यही सीन पूरी तरह से पैसा वसूल है।
इसे एक बार देखने से मन नहीं भरता और आप दो-तीन बार इसे देख सकते हैं। बहुत ही सफाई से इसे शूट किया गया है और लंबे समय बाद इस तरह का एक्शन सीक्वेंस देखने को मिला है, वरना इन दिनों ज्यादातर एक्शन फिल्मों में दोहराव देखने को मिलता है।
एक्शन फिल्मों से अक्सर शिकायत रहती है कि कहानी पिछली सीट पर होती है और एक्सीलरटेर सिर्फ एक्शन का होता है।
एक्सट्रैक्शन की कहानी से भी कुछ लोगों को शिकायत हो सकती है, लेकिन यह कमी इसलिए नहीं अखरती क्योंकि फिल्म बहुत तेज गति से भागती है, फिल्म की अवधि दो घंटे से भी कम है, कहानी में एक रोचक ट्विस्ट दिया गया है और क्रिस हैम्सवर्थ का करिश्माई व्यक्तित्व आपको फिल्म से चुम्बक की तरह जोड़ कर रखता है।
यह ऐसी अमेरिकी फिल्म है जिसमें भारतीय कलाकारों को भी प्रमुखता दी गई है, वरना ज्यादातर अमेरिकी फिल्मों में भारतीयों के रोल ऐसे होते हैं कि पलक झपक ली तो वे नजर ही नहीं आते। लोकेशन भी भारत और बांग्लादेश की है इसलिए यह हिंदी फिल्म जैसा मजा देती है।
ड्रग माफिया (पंकज त्रिपाठी) जेल में बंद है। वह अपने बेटे ओवी महाजन (रुद्राक्ष जायसवाल) की जिम्मेदारी साजू (रणदीप हुड्डा) को सौंपता है।
इस माफिया का प्रतिद्वंद्वी आमिर आसिफ (प्रियांशु पेन्युली) ओवी का अपहरण कर बांग्लादेश ले जाता है। ओवी को छुड़ाने का काम साजू पेशेवर हत्यारे टायलर रेक (क्रिस हेम्सवर्थ) को सौंपता है जो ऑस्ट्रेलिया से बांग्लादेश पहुंचता है।
ओवी तक टायलर फिल्म के शुरुआती मिनटों में ही पहुंच जाता है और वह अपने आपको एक अजीब सिचुएशन में पाता है। यहां पर एक ऐसा ट्विस्ट आता है कि इस साधारण कहानी में आपकी रूचि जाग जाती है।
फिल्म को जो रूसो ने लिखा है जो एवेंजर्स- एंडगेम और एवेंजर्स इन्फिनिटी वॉर के निर्देशक भी रह चुके हैं। रूसो ने सेम के लिए पर्याप्त ऐसे अवसर पैदा किए हैं जहां पर वे एक्शन दिखा सकते हैं। फिल्म में एक इमोशनल एंगल भी जोड़ा गया है जो थोड़ा कच्चा लगता है इसलिए अपील नहीं करता।
इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बांग्लादेश में हुई है। बांग्लादेश की कचरे से सनी गलियां, गंदे मकान, चोक गटरें, पसीने से तर-बतर लोग दिखाए गए हैं जो आपको एक अलग ही माहौल में ले जाते हैं। यह लोकेशन फिल्म का एक और प्रमुख आकर्षण है।
क्रिस हेम्सवर्थ से भारतीय दर्शक परिचित हैं। थॉर की भूमिका में उन्हें सराह चुके हैं। क्रिस की फिल्म में एंट्री जोरदार है और पहला सीन दर्शकों के दिमाग में यह बात अंकित कर देता है कि यह शख्स बेहद ताकतवर और स्मार्ट है।
एक्शन फिल्म के लिए जरूरी है कि हीरो के सारे कारनामों पर दर्शक आंख मूंद कर विश्वास करे तभी वह लार्जर देन लाइफ फिल्म का मजा ले पाएगा। क्रिस की शख्सियत इतनी बढ़िया है कि उन्हें देख यकीन हो जाता है कि दर्जन भर लोगों का मुकाबला यह बंदा अकेले ही कर सकता है।
मशीनगन, पिस्तौल, हेलिकॉप्टर से गोलीबारी, बम विस्फोट, कारों के चेज सीक्वेंस के बीच क्रिस के एक्शन सीक्वेंस एक अलग ही तरह का रोमांच देते हैं।
निर्देशक सेम ने क्रिस की खासियतों का अच्छे से उपयोग किया है और फिल्म को तेज गति से दौड़ाया है। उनका प्रस्तुतिकरण भव्य है और एक्शन सीन शानदार हैं।
रणदीप हुडा को भी फिल्म में अच्छा अवसर मिला है और क्रिस के साथ उनका एक फाइट सीन जोरदार है। आमिर बने प्रियांशु, टायलर से लड़ते हैं, लेकिन दोनों का कभी आमना-सामना नहीं होता है। प्रियांशु ने भी अपना काम अच्छे से किया है। पंकज त्रिपाठी का रोल छोटा है।
फिल्म में हिंसा का अतिरेक कुछ लोगों को अखर सकता है, लेकिन एक्शन पसंद करने वालों के लिए यह एक धमाकेदार एक्शन मूवी है।