नेटफ्लिक्स पर रिलीज फिल्म 'भक्षक' सच्ची घटनाओं पर आधारित है। बिहार के एक शहर में शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण होता है। चूंकि यह शेल्टर होम एक पॉवरफुल गुंडे का है इसलिए आम लोग तो छोड़िए, पुलिस भी सब कुछ जानते हुए हाथ पर हाथ धरी बैठी रहती है।
यूट्यूब के जरिये पत्रकारिता करने वाली वैशाली सिंह (भूमि पेडणेकर) के हाथ जब यह मामला लगता है तो वह इस मामले को उठाती है। परिवार से सहयोग नहीं मिलता, धमकियां मिलती है, लेकिन वह अपना इरादा नहीं छोड़ती और उसके द्वारा सुलगाई गई धीमी आंच लपट बन जाती है।
निर्देशक पुलकित ने बिहार को सीधे आपके ड्राइंग रूम में ला खड़ा किया है। फिल्म देखते समय ऐसा लगता है मानो हम बिहार की आंकी-बांकी गलियों में घूम रहे हों। कुमार सौरभ की सिनेमाटोग्राफी शानदार है। कहानी में तनाव ऐसा पैदा किया है जो देखने वालों पर सीधा असर करता है।
'भक्षक' के जरिये कई मुद्ददों को उठाया गया है। उन पत्रकारों पर प्रहार किया गया है जो सूट-बूट पहने रहते हैं, लेकिन ढंग की एक भी खबर नहीं देते। उन चैनलों पर प्रहार किया गया है जिनके पास सारे साधन मौजूद हैं, लेकिन वे सरकार के खिलाफ बोलने में डरते हैं।
'भक्षक' की लीड कैरेक्टर वैशाली के जरिये दर्शाया गया है कि अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है। उसके दिल में कुछ करने का जज्बा इतना मजबूत रहता है कि संसाधन गौण साबित हो जाते हैं।
वैशाली का संघर्ष ताकतवरों, सरकारी अधिकारियों, व्यवस्थाओं के खिलाफ लड़ कर सच को बाहर लाने और मासूमों को आजादी दिलवाने के लिए होता है।
वैशाली की लड़ाई घर पर भी है। पति और रिश्तेदार उससे नाखुश हैं कि वह गुंडों और सरकारी अधिकारियों से सीधी लड़ाई मोल ले रही है। उसे यह सब छोड़ घर पर पकौड़े तलने चाहिए। वैशाली घर वालों की टीका-टिप्पणियों से आहत हुए बिना अपने काम में लगी रहती है।
निर्देशक पुलकित ने फिल्म के नाम पर ज्यादा छूट नहीं ली है और बात को यथार्थ के नजदीक रख कर प्रस्तुत किया है। पहली फ्रेम से ही फिल्म दर्शकों पर पकड़ बना लेती है और वैशाली के संघर्ष में दर्शक शरीक हो जाते हैं।
बढ़िया एक्टिंग इस मूवी का एक मजबूत डिपार्टमेंट है। उत्तर भारतीय महिलाओं के किरदार भूमि पेडणेकर बढ़िया तरीके से अदा करती आई हैं। 'भक्षक' में वे अपने किरदार, उसकी मासूमियत, उसके तीखे तेवरों को बहुत ही शानदार तरीके से पकड़े रखती हैं।
संजय मिश्रा नींद में भी इस तरह के किरदार निभा सकते हैं। वैशाली के सहयोगी के रोल में वे अपनी अलग छाप छोड़ते हैं। ईमानदार एसएसपी के रोल में सई तम्हाणकर जंचती है। बंसी साहू के रूप में आदित्य श्रीवास्तव ने इतनी अच्छी एक्टिंग की है कि उनकी जगह दूसरे अभिनेता के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। कई अनजान चेहरे हैं जो अपने-अपने रोल में फिट बैठते हैं।
भक्षक इस बात को अंडरलाइन करती है कि अन्याय के खिलाफ खड़े होकर सही के लिए लड़ना चाहिए।
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निर्माता : गौरी खान, गौरव वर्मा
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निर्देशक : पुलकित
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गीतकार : राज शेखर, अनुज गर्ग
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संगीतकार : अनुराग सैकिया, अनुज गर्ग
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कलाकार : भूमि पेडणेकर, संजय मिश्रा, सई तम्हाणकर, आदित्य श्रीवास्तव
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