'कामना' एक्टर अभिषेक रावत बोले- आजकल के बच्चे वाकई स्मार्ट, उन्हें ध्यान से संभालना बहुत जरूरी
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का जिंदगी की झलक दिखाता ड्रामा 'कामना, जहां होगा ख्वाहिशों और उसूलों का आमना- सामना' ने अपनी कहानी से दर्शकों के साथ एक खास रिश्ता बना लिया है, जो एक मध्यमवर्गीय दंपति के जरिए सिद्धांतों और हसरतों का टकराव दिखा रहा है।
इस शो के वर्तमान ट्रैक में दिखाया जा रहा है कि किस तरह मानव और आकांक्षा के बिगड़े रिश्तों ने उनके बच्चे यथार्थ को प्रभावित किया है, जो अपनी मां के घर छोड़कर जाने के बाद बड़ी मुश्किल स्थिति का सामना कर रहा है। जहां इस कठिन वक्त में बाप-बेटे का रिश्ता मजबूत हुआ है, वहीं नन्हें यथार्थ ने अपने पिता की ताकत और उनका हौसला बनकर जिम्मेदारियां लेना शुरू कर दिया है।
एक्टर अभिषेक रावत, जो असल ज़िंदगी में भी एक प्यारे पिता हैं, ने वर्तमान ट्रैक और परवरिश को लेकर अपने विचार बताए। अभिषेक कहते हैं, आजकल के बच्चे वाकई काफी समझदार हो गए हैं, क्योंकि वो बहुत जल्दी चीजों को सीखते और समझते हैं। यहां तक कि कुछ मुश्किलों के मामले में भी वो स्थिति को अच्छी तरह समझ पाते हैं और अपने तरीके से इससे निपटते हैं।
उन्होंने कहा, मैं खुद एक पैरेंट हूं और मेरा मानना है कि हमारे बच्चों के साथ पेश आने वालीं समस्याओं को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप धीरज रखें और पूरी विनम्रता से उन्हें यह समझाने की कोशिश करें कि आप और वो एक दूसरे के खिलाफ नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ हैं। अपने बच्चों पर गुस्सा करने या बिगड़ने के बजाय हमें पूरी ईमानदारी से यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि वो किस स्थिति से गुजर रहे हैं और फिर उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। हमें उस समय एक पैरेंट नहीं बल्कि उनके दोस्त बनकर उनकी बात सुननी चाहिए।
अभिषेक आगे कहते हैं, मैं तन्मय ऋषि शाह की परफॉर्मेंस की तारीफ करना चाहूंगा, जिन्होंने इस शो में इतने विश्वास के साथ यदु का किरदार निभाया और यह दिखाया कि इस तरह की मुश्किल परिस्थितियों में बच्चों पर क्या गुजरती है। वो इतनी कम उम्र में इतना बढ़िया काम कर रहे हैं और हम सभी उनसे काफी कुछ सीख रहे हैं। आज मां-बाप को अपने बच्चों को लेकर ज्यादा स्मार्ट और सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें मासूम या नासमझ करार देने के बजाय हमें पूरी ईमानदारी से उनकी समस्याओं पर ध्यान देने की कोशिश करनी चाहिए।