नींबू-पानी से 'शशि कपूर' करते थे अपने दिन की शुरुआत
सुल्तानपुर। फ़िल्मी दुनिया के मशहूर हीरो शशि कपूर की कुछ यादें सुल्तानपुर भी समेटे हुए है। करीब चार दशक तक शशि कपूर के साथ रहने वाले ड्राइवर सुल्तानपुर के राम तीरथ मिश्रा बताते हैं कि कपूर साहब सुबह उठकर एक गिलास नींबू-पानी पीकर अपने दिन की शुरुआत करते थे। उसके बाद उन्हें पका हुआ पपीता खाना पसंद था। उन्हें किसी खाने से परहेज़ नहीं था। वेज और नानवेज दोनों डिशें उन्हें पसंद थीं। शांति का प्रतीक सफेद रंग तो उनकी जान थी।
गत चार दिसंबर को दुनिया को अलविदा कह देने वाले सिने अभिनेता के साथ गुजारे दिनों की याद को ताजा करते हुए राम तीरथ ने बताया कि सफेद रंग तो जैसे कपूर साहब की जान थी, उनकी मर्सीडीज गाड़ी रही हो या और कोई गाड़ी, प्रत्येक का कलर सफेद होता। सफेद कुर्ता-पाजामा शौक से पहनते, साथ में कोल्हापुरी चप्पल। शशिजी की पसंद ऐसी थी कि घर के परदों से लेकर स्टाफ तक को वे सफेद रंग में ही देखना पसंद करते थे। हां, पार्टी आदि में आमतौर पर ब्ल्यू कोट-पैंट पहनकर ही जाते थे।
राम तीरथ ने बताया कि वर्ष 1984 में जब शशि साहब की पत्नी जेनिफर मैडम की गले में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई तो वे टूट से गए थे और फिर वाइन बहुत पीने लगे। इससे पहले वे केवल पार्टी आदि में ही वाइन का इस्तेमाल करते थे। हमें नहीं लगता कोई अपनी पत्नी को इतना प्यार करता हो। धीरे-धीरे सब कुछ भूलते चले गए, फिर बीमार हो गए। वे 10-15 साल से बेड पर थे।
राम तीरथ ने बताया कि कपूर साहब के लिए सब धर्म बराबर थे। उनका धर्म था कि सुबह उनके दरवाजे पर गरीब 15-20, कभी-कभी तो 25-30 एकत्र हो जाते थे। दिव्यांग लोगों को ही वे भगवान के रूप में मानकर मिलते थे। शूटिंग कितनी भी अहम हो, वे सुबह उन गरीबों से मिले बगैर नहीं जाते थे। हालचाल पूछते, जो जिसके लायक था वो करते, तब वहां से हटते थे।
राम तीरथ ने बताया कि वे घर में कोई मूर्ति और फोटो नहीं रखते थे। वे कहते थे, मिश्राजी सब भगवान हैं। गरीब की सेवा- आपकी सेवा, दुनिया में ग़लत काम मत करो। ईश्वर को मानते थे, कहते थे कोई शक्ति है जो हम लोगों को चलाती है। उसी से डरिए, यही भगवान है। हां, रास्ते में मंदिर पड़ जाए तो हाथ जोड़ लेते, मस्जिद मिले तो सलाम कर लेते, गिरजाघर पड़े तो सिर झुका लेते।
वे किसी एक धर्म को लेकर नहीं चलते थे। घर में मुसलमान, हिंदू और क्रिश्चियन नौकर थे। राम तीरथ कहते हैं कि हम खुद पंडित हैं। उनके रसोई में अब्बू मियां मुस्लिम और एक क्रिश्चियन थे। वे सब धर्म के आदमी रखते थे, सबको प्यार देते थे। (वार्ता)