शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फोकस
  4. लता मंगेशकर का पसंदीदा खाना फिल्म खेल त्योहार शौक और कमजोरी
Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (14:53 IST)

लता मंगेशकर का पसंदीदा खाना फिल्म खेल त्योहार शौक और कमजोरी

Lata Mangeshkar favourite food hobby film sports festival | लता मंगेशकर का पसंदीदा खाना फिल्म खेल त्योहार शौक और कमजोरी
28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को ईश्वर के वरदान के रूप में जो आवाज मिली है, उसका सर्वोत्तम उपयोग मानव-कल्याण के लिए लताजी ने किया है। दुनिया में कोई स्त्री आज तक ऐसी नहीं हुई है, जिसने अपनी आवाज के बल पर इतनी दौलत और शोहरत अर्जित की हो। लताजी ने अपनी आवाज को हवा में बिखेरकर बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को समय-समय पर सुकून पहुँचाया है। लोरी गाकर बच्चों को सुलाया है। युवा-वर्ग को उनके प्रेम-प्यार की अभिव्यक्ति दी है। बूढ़ों को उनके अकेलेपन में अपनी आवाज का सहारा दिया है। पूरा मंगेशकर ‍परिवार अपनी साधना, अपनी लगन, अपने परिश्रम से विश्वभर के संगीत श्रोताओं के लिए आदर्श के साथ प्रेरणा के स्रोत बना है। जब तक धरती पर सूरज-चाँद और सितारे रहेंगे, लता की आवाज हमारे आसपास गूँजती रहेगी। आइए जानें लता के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्यों को :
 
  • लता के लिए गाना पूजा के समान है। रिकॉर्डिंग के समय वे हमेशा नंगे पैर ही गाती हैं।
  • उनके पिताजी द्वारा दिया गया तम्बूरा उन्होंने अब तक संभालकर रखा है।
  • लता को फोटोग्राफी का बेहद शौक है। विदेशों में उनके द्वारा उतारे गए छायाचित्रों की प्रदर्शनी भी लग चुकी हैं।
  • खेलों में उन्हें क्रिकेट का बेहद शौक है। भारत के किसी बड़े मैच के दिन वे सारे काम छोड़ मैच देखना पसंद करती हैं।
  • कागज पर कुछ भी लिखने के पूर्व वे 'श्रीकृष्ण' लिखती हैं।
  • यह बात कुछ अजीब लग सकती है, लेकिन सच है। हिट गीत 'आएगा आने वाला' के लिए उन्हें 22 रीटेक देने पड़े थे।
  • लता मंगेशकर का पसंदीदा खाना कोल्हापुरी मटन और भुनी हुई मछली है।
  • चेखव, टॉलस्टॉय, खलील जिब्रान का साहित्य उन्हें पसंद है। वे ज्ञानेश्वरी और गीता भी पसंद करती हैं।
  • कुंदनलाल सहगल और नूरजहाँ उनके पसंदीदा गायक-गायिका हैं।
  • शास्त्रीय गायक-गायिकाओं में लता को पंडित रविशंकर, जसराज, भीमसेन, बड़े गुलाम अली खान और अली अकबर खान पसंद हैं।
  •  गुरुदत्त, सत्यज‍ित रे, यश चोपड़ा और बिमल रॉय की फिल्में उन्हें पसंद हैं।
  • रोजाना सोने से पूर्व वे भगवान को धन्यवाद कहना नहीं भूलतीं।
  • त्योहारों में उन्हें दीपावली बेहद पसंद है।
  • 1984 में लंदन रॉयल अलबर्ट हाल और विक्टोरिया हाल में गाते हुए उन्हें बेहद खुशी हुई थी। लता के गाने के बाद पाँच हजार लोग दस मिनट तक तालियाँ बजाते रहे। ये क्षण उनकी जिंदगी के यादगार क्षणों में से एक है।
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति में उन्हें कृष्ण, मीरा, विवेकानंद और अरबिंदों बेहद पसंद हैं।
  • पड़ोसन, गॉन विद द विंड और टाइटेनिक लता की पसंदीदा फिल्में हैं।
  • दूसरों पर तुरंत विश्वास कर लेने की अपनी आदत को वे अपनी कमजोरी मानती हैं।
  • स्टेज पर गाते हुए उन्हें पहली बार 25 रुपए की दाद मिली थी, जिसे वे अपनी पहली कमाई मानती है। अभिनेत्री के रूप में उन्हें पहली बार 300 रुपए मिले थे।
  • उस्ताद अमान खां भिंडी बाजार वाले और पंडित नरेन्द्र शर्मा को वे संगीत में अपना गुरु मानती है। उनके आध्यात्मिक गुरु थे श्रीकृष्ण शर्मा।
  •  महाशिवरात्रि, सावन सोमवार के अलावा वे गुरुवार को व्रत रखती हैं।
  • लता ने अपना पहला फिल्मी गीत मराठी फिल्म 'किती हंसाल' (1942) में गाया, लेकिन किसी कारणवश इस गीत को फिल्म में शामिल नहीं किया गया। मराठी फिल्म 'पहिली मंगळागौर' (1942) में उनकी आवाज पहली बार सुनाई दी।
  • हिन्दी फिल्म 'आपकी सेवा में' (1947) लता ने पहली बार गया। गीत के बोल थे- पा लागूं कर जोरी रे।
  • लता ने पहली बार पार्श्व गायन नायिका मुनव्वर सुल्ताना के लिए किया था।
  • लता ने अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, ब्रजभाषा, डोगरी, भोजपुरी, कोंकणी, कन्नड़, मगधी, मैथिली, मणिपुरी, मलयालम, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, मराठी, नेपाली, उडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंहली आदि भाषाओं में गीत गाए हैं।
  • वे मराठी भाषी हैं, परन्तु वे हिन्दी, बांग्ला, तमिल, संस्कृत, गुजराती और पंजाबी भाषा में बतिया लेती हैं।
  • बतौर अभिनेत्री लता ने कई हिन्दी व मराठी फिल्मों में काम मिया है। हिन्दी में वे बड़ी माँ, जीवन यात्रा, सुभद्रा, छत्रपति शिवाजी जैसी फिल्मों में आ चुकी हैं।
  • गायिका, अभिनेत्री होने के साथ-साथ लता ने फिल्मों में संगीत भी दिया है। अधिकांश मराठी फिल्मों में उन्होंने आन्दघन नाम से संगीत दिया है।
  • वे फिल्म निर्माता रही है और 'लेकिन', बादल' और कांचनजंगा जैसी फिल्में बना चुकी हैं।
  • आजा रे परदेसी (मधुमति : 1958), कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद : 1962), तुम्हीं मेरे मंदिर (खानदान : 1965) और आप मुझे अच्छे लगने लगे (जीने की राह : 1969) के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने के बाद लता ने इस पुरस्कार को स्वीकार करना बंद कर दिया। वे चाहती थी कि नई गायिकाओं को यह पुरस्कार मिले।
  • परिचय (1972), कोरा कागज (1974) और लेकिन (1990) के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
  • वर्ष 1951 में लताजी ने सर्वाधिक 225 गीत गाए थे।
ये भी पढ़िए: