विद्या बालन ने बताया 'नीयत' में काम करने का अनुभव
मैं कभी भी प्रतिस्पर्धा में यकीन नहीं रखती। कंपटीशन क्यों करनी है? मेरे लिए कोई चुनौती दे सकता है तो वह मैं ही हूं। कई बार लोग मुझसे पूछते हैं कि आपने जिन फिल्मों को मना किया है वह देखिए किसी और ने की और कितनी अच्छी चली तो फिर दूसरे पल मेरे दिमाग में एक बात आती है कि हां ठीक है। शायद वह किसी और के ही नाम लिखी थी। यह भी तो हो सकता है कि जिस फिल्म को मैंने मना किया और वह नहीं चली और कभी मैं वही फिल्म कर लेती तो शायद मेरे नाम से वह फिल्म भी चल जाती तो यह सब बातें बहुत अलग अलग तरीके की हो जाती है।
इसलिए मैं कभी भी कंपटीशन में यकीन नहीं रखती हूं। ये कहना है विद्या बालन का जिनकी फिल्म नीयत लोगों के सामने हाल ही में आई है। विद्या की एक लंबे अरसे के बाद थियेटर में रिलीज होने वाली यह पहली फिल्म बन गई है। यह फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री है।
अपने शूट के अनुभव को साझा करते हुए विद्या बालन ने पत्रकारों को बताया कि नीयत फिल्म की शूटिंग स्कॉटलैंड में होनी थी और वहां पर एक किला था जहां पर हम सब शूट करने वाले थे। मैं तो इसी बात को लेकर रोमांचित हो गई कि चलो स्कॉटलैंड में किसी किले में मुझे शूट करने का मौका तो मिलेगा। वरना हम तो ऐसी फिल्में दूसरे देशों की ही बनते हुए देखते हैं जो अपने देश में ऐसी फिल्म बन रही है तो मुझे बहुत अच्छा लगा और जब मैंने वहां पर शूट किया तो वहां इतनी तेज हवा थी कि मैं आपको बता नहीं सकती। हम हिलने लग जाया करते थे।
जहां तक मेरी बात है शूट के दौरान मैंने बहुत सारे कपड़ों की लेयर पहने हुए थे। लेकिन दूसरे कलाकारों ने स्लीव्स में या फिर छोटे कपड़े पहने थे। मैं तो उनके बारे में सोच सोचकर ही डर जाया करती थी। इस फिल्म में मुझे एक और चीज बड़ी अच्छी लगी कि इसमें मेरा हेयरकट थोड़ा अलग रखा गया। मैं हमेशा यह सोचती थी कि मैं कुछ नया ट्राई करती हूं। पर थोड़ा सा डर जाती थी कि कहीं अच्छा नहीं दिखे तो ऐसा ना हो, मेरे लुक खराब हो जाए। पर फिल्मों में क्या होता है कि आप कुछ भी एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। थोड़े से नकली बाल लगा लिया।इन सब बातों को लेकर मैं इसके लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई थी।
करियर के इस मुकाम पर क्या चुनौतियां अब आपको देखनी पड़ती है।
मैं बहुत लकी रही हूं। मैंने अलग अलग तरीके की फिल्म की हैं और बहुत अलग तरीके के किरदार निभाने का मुझे मौका मिलता रहा है। वरना देखिए ना कितनी बार ऐसा होता है कि मेरे सामने कोई स्क्रिप्ट या कोई रोल आता है जिसे पढ़कर मुझे मजा ही नहीं आता है। ऐसा लगता ही नहीं कि इसमें कोई चुनौती है। तो फिर मैं वह रोल नहीं करती और शायद यही एक हो जाए कि मेरी अगली किसी फिल्म को मैंने साइन ही नहीं किया है। जब तक उस रोल को निभाने का मुझे ना लगे और ऐसा लगे कि अब यह रोल तो मुझे करना ही पड़ेगा।
हर बार अलग तरीके के रोल आए, जिसे करने में मुझे बड़ा मजा आए। हमारे सुनने में आया था कि नीयत जैसी फिल्म पहले किसी और को ऑफर हुई थी। मैं इस बात में यकीन नहीं रखती और आपको सिर्फ इतना कहूंगा कि दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम अगर मेरे नसीब में कोई फिल्म है तो मैं कई मोड़ो से गुजरते हुए कई मुकामों से गुजरते हुए भी उस फिल्म तक पहुंची जाऊंगी। और अगर नहीं है तो वह मुझे नहीं मिलने वाली है वो किसी और के लिए लिखी है। अब फिल्म नमकीन की बात देख लीजिए मैंने यह सुना था कि रेखा जी पहले वह फिल्म करने वाली थी, लेकिन वह बाद में शर्मिला जी ने की और इश्किया की बात भी बता देती हूं। यह फिल्म कितने सारी हीरोइनों के पास थी सब ने मना किया। फिर मेरे पास आई है शायद इसलिए क्योंकि मेरे ही नाम पर लिखी थी।
आप स्क्रिप्ट पढ़कर पसंद ना पसंद करती हैं या फिर रीडिंग के दौरान से पसंद ना पसंद करती हैं?
मैं एक ऐसी एक्ट्रेस हूं जो मुझे मिल जाए मैं उसको अपना करने लग जाती हूं। मुझे सुनकर भी स्क्रिप्ट के बारे में समझ में आता है। पढ़कर भी समझ में आता है और वैसे भी एक बार मेरे एक निर्देशक है मैं उनके साथ एक एडमिन कर रही थी। उन्होंने मुझे कहा था कि विद्या अगर तुम एक्टर हो तो जीवन में अपने आप को हमेशा तैयार रखो कि पता नहीं किस पर तुम्हें एक नया अनुभव मिल जाए और उन अनुभवों को एक्टिंग में उपयोग में ले आना।
कोई ऐसा किरदार है जो अभी भी अपने कुछ अंश आपकी पर्सनालिटी में छोड़ कर गया है।
किसी एक का कहना बहुत मुश्किल है। आप पूछती है तो बताती हूं कि जब मैं डर्टी पिक्चर की थी तब मुझे बहुत अच्छा लगा था। वह रोल जब किया तब शायद पहली बार ऐसा हुआ कि मैंने अपने शरीर को पूरी तरह से अपनाना सीखा। वैसे ही शकुंतला देवी के साथ भी हुआ। उसमें लाइन थी कि जब अमेजिंग हो सकती हूं तो नार्मल क्यों बनूं। यह सब बातें जो है आप के दिमाग पर आपके पर्सनालिटी पर बहुत गहरा असर छोड़ कर जाती हैं। वैसे भी हम महिलाओं की आदत होती है कि अपने आप को कम आंक लेने की। बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है ऐसे किरदारों से कितने बार यह लाइन मेरे दिमाग में आती भी है और फिर मैं सोचने लग जाती हूं कि हां जब मैं मेरी हो सकती हूं तो मैं नॉर्मल सी लड़की बनकर क्यों अपने जीवन को बिताऊं।