'अगर फिल्म इंडस्ट्री में मैंने, सलमान या आमिर या अक्षय ने साथ काम किया तो निर्माता को कोई मुनाफा नहीं होने वाला। वो इसलिए, क्योंकि सारी कमाई तो हम लोग लेकर चले जाएंगे!' शाहरुख खान हो और उनका सेंस ऑफ ह्यूमर आपको हंसने पर मजबूर न करे, ऐसा तो नहीं हो सकता है।
शाहरुख आगे कहते हैं 'बड़े सितारों को साथ लाने में कुछ बातों पर ध्यान देना पड़ता है। एक तो उन सारे सितारों को एक ही साथ लेकर आना, उनकी डेट्स को ध्यान में रखना और उससे भी बड़ी बात उनके लिए किसी कहानी को चुनना। हम कई बार आपस में बातें भी करते हैं कि सलमान या आमिर, अगर तुम लोगों के पास कोई फिल्म की कहानी हो तो बताओ, साथ काम करेंगे। लेकिन किसी निर्देशक के पास हम लोगों के लिए कहानी तो हो।'
शाहरुख की अगली फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' जल्द ही आ रही है जिसमें वे एक पंजाबी मुंडा हरिंदर सिंह नेहरा बनकर आ रहे हैं। उनसे फिल्म के बारे में बातचीत की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने...
इस फिल्म से लोगों की काफी आशाएं जुड़ी हैं, क्योंकि इस फिल्म में उन्हें फिर से उनका चिर-परिचित शाहरुख मिलने वाला है?
हां, मुझे आशा है कि लोगों को मेरी ये फिल्म पसंद आए और मेरा रोल भी। वैसे भी इम्तियाज की फिल्में बहुत ही अलग और सटीक तरीके से लिखी होती हैं। इसलिए यह फिल्म नहीं कर रहा हूं कि इसमें बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिखी हैं। मैं तो इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि इसमें छोटी-छोटी बातें लिखी हैं। फिल्म में सिंपल बातें हैं, रिश्तों की बातें हैं। मेरा और अनुष्का का जो रोल है, वो ऐसा है कि हर कोई सोच सकता है कि ऐसा उनके साथ या किसी आम इंसान के साथ हो सकता है। फिल्म की सबसे अच्छी बात जो मुझे लगती है, वो ये कि ये बहुत ही जमीनी फिल्म है। भारतीय इमोशन वाली फिल्म है लेकिन बनी है यूरोप में।
हाल ही में आपकी फिल्म के एक शब्द 'इंटरकोर्स' पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई थी?
ऐसा बहुत बार मेरी फिल्मों के साथ हुआ है। सेंसर बोर्ड को हमारा कोई शब्द अच्छा नहीं लगता तो मैं उसे बदल देता हूं, क्योंकि फिल्म को लेकर हमारा ये नजरिया है ही नहीं। 'रईस' में भी हुआ। 'हैप्पी न्यू ईयर' में भी ऐसा ही हुआ था कि बोमन ने एक-दो जगह 'बाबाजी का ठुल्लू' बोला था, तो सेंसर बोर्ड को आपत्ति हुई तो हमने उसे हटा दिया। हमें फर्क नहीं पड़ा। किसी बात को लेकर अगर किसी को कोई परेशानी है तो हम निकाल देंगे ताकि जब सेंसर बोर्ड हमारी फिल्म देखेगा तो उसे इतनी तकलीफ भी नहीं होगी।
फिल्म में सेजल एक गुजराती है और आप पंजाबी, तो कहीं कोई फनी टेक देखने को मिलेगा?
'चेन्नई एक्सप्रेस' जैसा इस फिल्म में भाषा को लेकर कुछ भी नहीं है। अमूमन देखा गया है कि देश और विदेश में फैमिली टूर करने वालों में से सबसे ज्यादा गुजराती ही होते हैं। ये एक टूर गाइड है इसीलिए ये थोड़ा उभरकर आ गया, वरना कहानी में गुजराती या पंजाबीपन इतना नहीं है।
आपकी फिल्म के ठीक एक सप्ताह बाद अक्षय कुमार की फिल्म 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' रिलीज हो रही है। कहीं आपकी फिल्म को समय कम तो नहीं मिल रहा है?
मैं मेरी बात कर सकता हूं। इतिहास के हिसाब से देखें तो हमारी हर फिल्म की एक कैपेसिटी होती है, जो 3 से 4 हजार स्क्रीन्स से पूरी होती है। जब मेरी फिल्म किसी बड़ी फिल्म से आती है तो आधे थिएटर तो मेरे पास रहते नहीं हैं, इससे वीकेंड कैपेसिटी खराब होती है। 'दिलवाले' और 'रईस' में ऐसा ही हुआ। उस समय तारीख बदली नहीं जा सकती थी क्योंकि कई काम हो चुके थे। इस बार हमने अकेले आने की सोची। हमारी लॉन्ग रनिंग फिल्म है। 'जब हैरी मेट सेजल' किसी भी लव स्टोरी की तरह धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ाएगी। हो सकता है कि हमें रक्षाबंधन और 15 अगस्त की छुट्टी का फायदा हो जाए।