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Last Modified: गुरुवार, 8 दिसंबर 2022 (13:08 IST)

संजय मिश्रा ने बताया, 'वध' और 'हत्या' में अंतर

संजय मिश्रा ने बताया, 'वध' और 'हत्या' में अंतर | sanjay mishra talk about his film vadh
मेरी फिल्म 'वध' लोगों के सामने आ रही है। इस तरह के किरदार में लोगों ने मुझे अब तक नहीं देखा होगा। इसके साथ ही मैं यह कहूंगा कि मैं अनभिज्ञ नहीं हूं कि लोग जाने अनजाने वध को और आफताब के केस को जोड़कर देख रहे हैं। लेकिन यहां मैं बता दूं कि यह एक संयोग मात्र है। इसका कहीं कोई आपस में ताल्लुक नहीं है। 

 
मुझे तो कुछ लोगों ने भी बोला था कि जब वध के लिए प्रमोशन इंटरव्यू हो गया, प्रमोशन करोगे तो यह कह देना कि तुमने अपने अंदर का आफताब मारा है। लेकिन फिर भी कहना चाहूंगा कि ऐसा समय की वजह से हुआ है वरना उस केस का और मेरी फिल्म वध का कहीं किसी भी तरीके से कोई कनेक्शन नहीं है।
 
यह कहना है संजय मिश्रा का जो अपनी फिल्म 'वध' लेकर आ रहे हैं। प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान संजय मिश्रा ने कई बातों का ज़िक्र किया। 
 
इस फिल्म का नाम वध क्यों रखा गया हत्या क्यों नहीं? 
आपका सवाल सही है। हत्या थोड़ा सा अलग मतलब लेकर आता है। ऐसा समझाने के लिए कहता हूं। मैंने उस शख्स का वध किया ताकि वह आगे चलकर दूसरे लोगों की हत्याएं ना करता रहे। यह दूसरों के साथ कोई और उन्होंने अपराध ना हो इसलिए मैंने एक शख्स का वध कर दिया है। 
 
आमतौर पर शब्द वध देवी देवताओं से जुड़ता है।
आप जब फिल्म देखेंगे तो खुद ही समझ जाएंगे। यह जो लोग हैं, इन्होंने वध किया है और किसी भी भगवान की तरह ही यह लगेंगे आपको। अब समझाने के लिए कहता हूं कोरोनावायरस का समय आज हम बिता चुके हैं। बड़ी महामारी थी। सब कुछ रुक गया था। ऐसे समय में हमें मालूम था यह बीमारी बिल्कुल लग सकती है। लेकिन हम अपने आप को भी बचा रहे थे और अपने परिवार को भी बचा रहे थे। 
 
अगर यह बीमारी मेरे जरिए मेरे बच्चों को लग गई तो या मेरी मां को यह बीमारी लग गई तो इससे बेहतर है कि मैं अपने आपको बचा लूं। किसी भी ऐसे व्यक्ति से पूर्ण सुरक्षा के साथ मिला था कि मेरे घर परिवार की और मेरी सुरक्षा हो सके तो जब आप यह फिल्म देखेंगे तब आपको वध यह शब्द सही प्रतीत होगा।
 
आज आप जिस मकाम पर है वहां पर पहुंचने के लिए क्या आपको कुछ त्याग करने पड़े हैं?
बिल्कुल, हाल ही में हुआ मेरे बच्चे के स्कूल में एनुअल डे था और दोनों बच्चियां कह रही थी। आना पड़ेगा आना पड़ेगा। लेकिन यहां पर कैसे समझाऊं कि मैं दोनों फिल्मों में फंसा हुआ हूं? ऐसे बलिदान देना पड़ा। अगर आपको मेरी एक्टिंग फिल्म कामयाब याद हो तो उसकी बात बताता हूं फिल्म के एंड में जब बाटी के स्कूल में बुलाया जाता है। प्रिंसिपल आकर कहती है कि चीफ गेस्ट नहीं आए हैं। जब तक आ जाएं क्या तब तक आप स्टेज संभाल लेंगे मेरे साथ वही होता है। 
 
स्कूल में जो अपने बच्चों की भर्ती भी करवा रहा था तब बहुत साफ तौर पर कहा था। किस सेलिब्रिटी के बच्चे हैं अंतर मत करिए। आम बच्चों की तरह उनके साथ व्यवहार किया कीजिए। क्योंकि मैंने देखा है कुछ बच्चे मर्सिडीज से उतर कर आते हैं तो कभी कुछ बच्चे ऑटो रिक्शा से उतर कर आते हैं तो अंतर करना स्वाभाविक हो जाता है। 
 
कई बार ये बात भी कर देनी पड़ती है कि अपने बच्चों के साथ आप को समय नहीं दे पाते हैं। कभी अगर अपनी बेटियों के साथ पार्क में जाता हूं, लेकिन जैसे ही पहुंचता हूं, लोग आते हैं सेल्फी लेना चाहते हैं। मैं मना नहीं कर सकता। ऐसे में मेरी बेटी हाथ छुड़ा लेती हैं और बोलती है कि आप थोड़ी देर के लिए तो साथ में आया और यहां पर भी फोटो शुरू हो गए। 
 
अब अगर आपने एक भी फोटो दिया है तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा या फिर वैसे मुझे घूमने फिरने का बड़ा शौक है। सड़कों पर घूमते रहना मुझे बड़ा पसंद है। सब्जियां लेता हूं, फल ले लेता हूं लेकिन अब वह नहीं कर पाता। कार में बैठकर सब्जी लेने जब निकलता हूं और पूछता हूं। क्या भाव है तो बेचने वाला 10 ऊपर ही बता कर भेजता है। यह सब बातें त्याग कर देनी पड़ती है। 
 
आपकी फिल्म कामयाब बहुत ही बेहतरीन फिल्म थी, लेकिन वह फिल्म लोगों के सामने आई और कोविड-19 भी, लगता है फिल्म को बड़ा आघात लगा होगा। 
उस कोविड-19 मेरी फिल्म को क्या अच्छे अच्छे लोगों को आघात दे दिया है। सब लोग घर के अंदर बंधे हुए थे। कोई बाहर नहीं जाएगा। सड़कों पर कोई नहीं निकलेगा। मुझे तो लगा था कि कोविड-19 महा बीमारी से निपटने के बाद लोगों में बदलाव आएगा परिवर्तन आएगा और वह बेहतर इंसान बनने की कोशिश करेंगे। लेकिन यहां तो उल्टा ही बदलाव निकला। लोगों के अंदर गुस्सा बहुत बढ़ गया।
 
जहां तक कामयाब फिल्म की बात है। कुछ महीनों बाद वो ओटीटी पर आ गई थी। तो लोगों ने देखा। कई लोगों के बधाइयों के लिए फोन आए कई कैरेक्टर आर्टिस्ट्स के बच्चों ने मुझे फोन लगाकर बोला कि आप तो बिल्कुल मेरे पापा की तरह लग रहे हैं। वह सुनकर अच्छा लगा। एक और मजे की बात बताता हूं। मुझे किसी ज्योतिष ने कहा कि देखो 24 जनवरी से तुम्हारा समय बदलने वाला है। शनि आ गया है तुम्हारे घर में। 
 
मैं बड़ा खुश हुआ कि चलो भाई शनि अगर मेरे ग्रह में आ गया है तो कुछ अच्छा ही होगा। 24 तारीख को शाहरुख खान ने मुझे कामयाब के लिए साइन कर लिया। मैं बड़ा खुश हो गया, लेकिन शाहरुख खान से भी बड़ा खान कोविड खान भी आया और सब धरा का धरा रह गया। मेरा शनि अच्छा हो, प्रबल हो, वह बात अलग है लेकिन दुनिया का शनि बड़ा खेल कर गया। 
Edited By : Ankit Piplodiya
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