शमशेरा फ्लॉप होने के 5 कारण, रणबीर कपूर का स्टारडम भी फिल्म को डूबने से नहीं बचा पाया
शमशेरा के रिलीज होने के पहले ट्रेलर के आते ही माहौल बनाने की कोशिश शुरू हो गई थी कि रणबीर कपूर की एक जबरदस्त फिल्म आने वाली है, लेकिन सूंघने वालों ने पता कर लिया था कि ये फिल्म भी ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान की लाइन पर है जिसका निर्माण भी आदित्य चोपड़ा ने किया था। आदित्य मान ही नहीं रहे और मसाला फिल्म की आड़ में डब्बा फिल्में दिए जा रहे हैं। बॉक्स ऑफिस पर पहले शो से ही शमशेरा की सांसें फूल गईं। एक दिन भी ऐसे कलेक्शन नहीं आए कि सीना फूलाया जाए और सोमवार से तो फिल्म बुरी तरह धड़ाम हो गई और दर्शकों ने फिल्म को रिजेक्ट कर दिया। रणबीर कपूर और संजय दत्त जैसे स्टार, बड़ा बजट, यशराज जैसा बैनर होने के बावजूद फिल्म दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई। आखिर क्यों हुई फिल्म फ्लॉप... जानते हैं 5 कारण:
1) बाबा आदम के जमाने की कहानी
इतनी घिसी-पिटी और बकवास कहानी पर कोई कैसे 150 करोड़ रुपये लगा सकता है? आश्चर्य है कि इतनी घटिया पर भी फिल्म बनाई जा रही है। कुछ तो भी लिख दिया गया। ज्यादातर युवा फिल्में देखते हैं, लेकिन इस कहानी में उनके लायक कुछ भी नहीं था।
2) स्क्रीनप्ले में कोई रोमांच नहीं
जितनी घटिया कहानी उतना ही घटिया स्क्रीनप्ले। सब अपनी सहूलियत के हिसाब से लिख लिया। शमशेरा क्यों 'भगोड़े' का दाग अपने ऊपर लेता है? समझ से परे है। बेटा बल्ली जिसकी खोज में निकलता है वो तुरंत मिल जाता है। अंग्रेज क्यों शमशेरा और उसकी गैंग को बरसों तक कैद रखते हैं? मार क्यों नहीं देते? ऐसे कई सवाल परेशान करते हैं। और, अंग्रेजों की महारानी का ताज जिस तरह से उड़ाया गया है और बच्चे उससे खेलते हैं वो तो हास्यास्पद है।
3) मनोरंजन का नामोनिशान नहीं
मनोरंजन हो तो घटिया कहानी को भी पचाया जा सकता है, लेकिन 'शमशेरा' में मनोरंजन नामक चीज दूर-दूर तक नहीं मिलती। ना कॉमेडी है, न रोमांस और न ही जोरदार एक्शन। पहली फ्रेम से लेकर आखिरी फ्रेम तक दर्शक बस बैठे ही रहते हैं मनोरंजन के इंतजार में।
4) मिसफिट रणबीर
माना कि रणबीर कपूर अच्छे एक्टर हैं, लेकिन शमशेरा फिल्म में मिसफिट नजर आए। शायद उन्हें कहानी पर यकीन नहीं था तो ऐसे में अच्छा अभिनय कैसे किया जा सकता था? वो जोश-खरोश नदारद था उनके अभिनय में जैसा कि इस तरह के किरदार निभाने के लिए जरूरी होता है।
5) चूक गए निर्देशक
करण मल्होत्रा ने न अच्छी कहानी चुनी, न ढंग का स्क्रीनप्ले लिखा, न संगीतकार से मधुर धुन निकलवा पाए, बस फिल्म को भव्य बनाने में जुटे रहे और वो काम भी ठीक से नहीं कर पाए। फिल्म में चलती रेल से मुकुट चुराने का एक दृश्य है जिसमें रेल खिलौनेनुमा लगती है। इस फिल्म की असफलता के सबसे बड़े जिम्मेदार तो वे खुद ही हैं।