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Last Updated : बुधवार, 17 मई 2023 (13:51 IST)

कान फिल्म फेस्टिवल रेपिस्ट्स का फेस्टिवल नहीं है

कान फिल्म फेस्टिवल रेपिस्ट्स का फेस्टिवल नहीं है | The Cannes Film Festival Is Not a Festival of Rapists
कान फिल्म फेस्टिवल के जूरी प्रेजिडेंट रुबेन ऑस्टलंड से ऑस्कर के बारे में सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि अगर उन्हें एक और पाम डी'ओर अवॉर्ड मिलेगा तो ज्यादा बेहतर होगा। रुबेन सिनेमा घर में बैठकर सबके साथ फिल्म देखने की पैरवी करते हैं और चाहते हैं कि फिल्म स्कूल में न सिर्फ जेंडर के हिसाब से बल्कि आर्थिक और सामाजिक तौर से निचले तबके वालों को भी पूरा मौका मिले इसका ख़ास ख्याल रखा जाना जरूरी है।  
 
खबर है कि कान फेस्टिवल के दौरान फेस्टिवल के इलाके में प्रदर्शन करने पर पाबंदी है और अमेरिका में भी स्क्रीन राइटर एसोसिएशन अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। जब इस मुद्दे पर रुबेन से सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि फ्रांस में और ख़ास तौर से कान फिल्म फेस्टिवल के दौरान विरोध प्रदर्शन का पुराना इतिहास है।
 
जब गोदार्द और उनके साथियों ने फेस्टिवल रुकवा दिया था तब उनके ही साथी की फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही थी और एक तरफ वो लोगों के सामने अपनी फिल्म दिखाना चाहते थे और दूसरी तरफ स्टूडेंट्स का साथ भी देना चाहते थे। बस अभी हम सभी का ऐसा ही कुछ हाल है। 
 
अमेरिकी कलाकार पॉल डानो से जब इन हड़ताल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी हमारे छह महीने के बच्चे के साथ वहां खड़ी हुई हैं और जब मैं वापस जाऊंगा तब मैं भी झंडे बैनर लेकर लेखकों के साथ चलने की कोशिश करूंगा।
 
इस साल जॉनी डेप की फिल्म से फेस्टिवल शुरुआत हो रही है और शायद फेस्टिवल वालों ने सोचा भी नहीं था कि एक नाम और उससे जुड़े इल्ज़ाम इतनी तकलीफ देंगे। इतना ही नहीं पिछले हफ्ते फ्रेंच कलाकार अदेल हैनेल ने एक खुले खत में फेस्टिवल पर आरोप लगाए कि वो आखिर कब तक इन रेपिस्ट लोगों की फिल्मों को शामिल करते रहेंगे।
 
अडेल का कहना है कि फेस्टिवल को फर्क नहीं पड़ता कि इन मर्दों ने कितने sexual अपराध किये हैं और आखिर कब तक इन लोगों की गलतियों को नज़र अंदाज़ किया जाता रहेगा। 
 
फेस्टिवल डायरेक्टर थियरी फ्रेमाउ से जब लोगों ने इन मुद्दों पर सवाल पूछा तो जवाब तल्खी भरा था कि कान फिल्म फेस्टिवल रेपिस्ट्स का फेस्टिवल नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तो आप लोग भी हर साल यहाँ लौट कर नहीं आते।
 
लेकिन यहां एक बात गौर करने वाली है कि जॉनी डेप पर कितने ही sexual abuse के इल्जाम है, फ्रेंच कलाकार जेरार्ड देपारदिउ पर भी तेरह महिलाओं ने sexual assault का इल्जाम लगाया है और अपने एक पुराने इंटरव्यू में वो खुद यह बोल चुके हैं कि उन्होंने कई रेप में भागीदारी करी है  
 
फेस्टिवल की शुरुआती फिल्म "जीन डु बैरी" में न सिर्फ जॉनी डेप पर ऐसा इलज़ाम है बल्कि फिल्म की डायरेक्टर माईवैन पर भी गलत तरीके से दूसरे इंसान को छूने का इलज़ाम है। कहने का मतलब तो यह है कि भले ही कान फिल्मों का फेस्टिवल है लेकिन यह एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है अपनी बात कहने का और अब वक़्त आ गया है कान जैसे और भी बड़े इंस्टिट्यूट अपने गिरेबान में झाँक कर देखें। 
 
जो बीत गया उसे बदला नहीं जा सकता लेकिन अब कम से कम ऐसा नहीं दोहराये ऐसे मुद्दों पर बात करने की और सही सलाह पर अमल लाने की जरूरत है। 
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