पठान की सफलता से बायकॉट बॉलीवुड गैंग की कटी नाक, ऐसा चखा स्वाद लंबे समय तक रहेगा याद
पठान फिल्म ने रिलीज के पहले ही सफलता हासिल करने के संकेत दे दिए थे। फिल्म की एडवांस बुकिंग जोरदार थी और इसी से पता चल गया था कि यह बॉक्स ऑफिस पर सफलता की नई इबारत लिखने वाली है। फिल्म ने पहले दिन ही 55 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर कीर्तिमान बना दिया। यह किसी भी हिंदी फिल्म का एक दिन का सर्वाधिक कलेक्शन है। दूसरे दिन पठान ने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ डाला। 68 करोड़ रुपये का कलेक्शन किसी को भी आश्चर्य में डालने के लिए काफी थे। दो दिन के कलेक्शन से साफ है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हो गई है।
दिमाग के जाले इस बात से भी साफ हो जाते हैं कि बहिष्कार गैंग की एक भी नहीं चली जो महीने भर से हंगामा मचाए हुए थी। लोगों से चीख-चीख कर, पोस्टर फाड़ कर, पुतले जला कर, सोशल मीडिया पर ज़हर उगलकर कह रहे थे कि पठान फिल्म का बहिष्कार करो। लेकिन लोगों पर इसका रत्ती भर भी असर नहीं हुआ और उन्होंने थोकबंद में पठान के टिकट खरीदकर बहिष्कार गैंग को चारों खाने चित्त कर दिया। अब इनको मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है।
कुछ हैं जो अभी भी नहीं मान रहे हैं। एक मीडिया वाला दिखा रहा है कि पठान के शो में भीड़ ही नहीं है। लेकिन लोगों ने उसका ही वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिया कि वह कैसे फर्जीवाड़ा कर रहा है। दरअसल बहिष्कार गैंग की जिस तरह से नाक कटी है, बेइज्जती हुई है उससे वह बौखलाया हुआ है। खीझ निकाल रहा है।
पठान के पहले 'ब्रह्मास्त्र' के दौरान भी लोगों ने बहिष्कार गैंग की नहीं सुनी थी और उनके आंदोलन की हवा निकाल दी थी। लेकिन बहिष्कार गैंग को लगा कि ऐसा उनके साथ दोबारा नहीं होगा, लेकिन अब की तो उन्हें ऐसा झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा है कि सम्पट नहीं पड़ रहा है कि क्या हो गया है। आखिर लोग कब तक इनकी सुनेंगे? विरोध की भी हद होती है। बिकिनी के रंग पर बखेड़ा कर दिमागी दिवालिएपन का सबूत इन्होंने दे डाला। क्या खाएं? क्या पहनें? क्या देखें? इसका फैसला करने वाले ये कौन होते हैं? जब भारतीय संविधान ने सबको अपनी पसंद का खाना, पहनने और फिल्म देखने का अधिकार दे रखा है तो ये इस काम में अड़ंगा डालने वाले कौन? राजनेताओं को और काम नहीं है। ये सिर्फ इसी तरह के बखेड़े खड़े करते रहते हैं और फिल्म सेलिब्रिटीज के पीछे पड़े रहते हैं।
शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण इस मामले में समझदार निकले। चुप्पी साध कर बैठे रहे और इनसे विवाद करना फिजूल समझा। आखिरकार लोगों का समर्थन इन्हें ही मिला। पठान की सफलता इस बात का सबूत है। अब बहिष्कार गैंग को भी पुनर्विचार करने की जरूरत है। देश में और भी कई मुद्दे हैं जिन पर मुखर होना चाहिए। वहां पर तो चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। अब की बार लोगों ने ऐसा मजा चखाया है जिसका स्वाद अरसे तक बना रहेगा।