बिहार का बाहुबली: कलेक्टर और मंत्री की हत्या के लिए सलाखों के पीछे रहे बाहुबली मुन्ना शुक्ला फिर चुनावी मैदान में
बिहार के लालगंज सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं मुन्ना शुक्ला
बिहार में चुनाव बा...बाहुबली नेताओं की धमक बा।
बिहार विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक रहे बाहुबली नेताओं पर ‘वेबदुनिया’ की खास सीरिज ‘बिहार के बाहुबली’ में आज बात उस बाहुबली नेता की जो कलेक्टर और मंत्री की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे रहने के बाद एक बार फिर चुनावी मैदान में आ डटा है। जी हां बात हो रही है कि वैशाली जिले के लालगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय शुक्ला की।
माफिया से माननीय बनने तक का सफर पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में पूरा करने वाले मुन्ना शुक्ला तीन बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने जा चुके है। इस बार भी मुन्ना शुक्ला लालगंज से जेडीयू के टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन गठबंधन के फॉर्मूले में नीतीश बाबू ने लालगंज सीट भाजपा के खाते में डाल दी और मुन्ना शुक्ला का टिकट कट गया जिसके बाद वह निर्दलीय चुनावी मैदान में आ डटा है।
मुन्ना शुक्ला की गिनती बिहार के उन बाहुबली नेताओं में होती हैं जिसको न तो कानून का खौफ था और न जेल की सलाखों का। मुन्ना शुक्ला की जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। चार भाइयों में तीसरे नंबर के भाई मुन्ना शुक्ला के अपराध जगत में एंट्री पूरी फिल्मी है। अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए मुन्ना शुक्ला पहला अपराध करता है और देखते ही देखते जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन जाता है।
ठेकेदारी विवाद में अपने बड़े भाई छुट्टन शुक्ला की हत्या के विरोध में मुन्ना शुक्ला,अपराधी से राजनेता बने बाहुबली आनंद मोहन सिंह के साथ उस भीड़ की अगुवाई कर रहे था जिसने दिनदहाड़े गोपालगंज के कलेक्टर जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। कलेक्टर की हत्या में आनंद मोहन सिंह और उनकी पत्नी लवली आनंद के साथ मुन्ना शुक्ला पर पहला हत्या का केस 1994 में दर्ज हुआ था।
मुन्ना शुक्ला उस समय देश भर में सुर्खियों में आ गए जब उसने भाई की हत्या के आरोपी मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की जून 1998 में एम्स अस्पताल में घुसकर एके-47 से छलनी कर दिया था। मुन्ना शुक्ला मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को अपने दो भाईयों की हत्या का आरोपी मानता था।
अपने अपराध के गुनाहों की सजा से बचने के लिए मुन्ना शुक्ला राजनीति में आया और तीन बार विधायक चुना गया। मुन्ना शुक्ला की हनक सत्ता से लेकर पुलिसिया महकमे में कितनी थी इसकी गवाही जेल के अंदर उसका बार बलाओं के साथ डांस और हाथ में बंदूल लेकर अय्याशी करती हुई तस्वीरें देती है। वसूली, रंगदारी और हत्या के कई मामलों में आरोपी मुन्ना शुक्ला को उत्तर बिहार का डॉन कहा जाता था। मुन्ना शुक्ला भले जेल में था लेकिन उसका रंगदारी का कारोबार चलता रहा और उसने करोड़ों रूपए की रंगदारी वसूली।
1994 में गोपालगंज कलेक्टर की हत्या के मामले मुन्ना शुक्ला को 2007 में निचली अदालत ने मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई लेकिन 2008 में हाईकोर्ट से वह बरी हो गया जबकि इस मामले में आनंदमोहन सिंह अब भी उम्रकैद की सजा काट रहा है।
तीन बार का विधायक मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय कुमार शुक्ला इस बार बिहार के वैशाली के लालगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं चुनावी एफिडेविट के मुताबिक मुन्ना शुक्ला पर तेरह अपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके अलावा रंगदारी के नाम पर भी उसने करोड़ों रुपए वसूले थे।
अपराधी से माननीय बने मुन्ना शुक्ला ने लोकसभा जनाने की भी कोशिश की लेकिन दिग्गज आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद के हाथों उसे हार का सामना करना पड़ा। अपराधी से राजनेता बने मुन्ना शुक्ला ने जेल में रहते हुए पीएचडी भी कर डाली।